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लव जिहाद और हिंदुत्व सामाजिक दर्शन में ही है लव विकर्षण, गैर हिंदुओं में आकर्षण कैसे और क्यों? इसका सच्चा निदान बता रहे हैं सद्गुरु स्वामी सत्येंद्र जी महाराज

लव जिहाद ओर हिंदुत्व सामाजिक दर्शन में ही है लव विकर्षन,,तभी है गेर हिंदुओं में आकर्षन,,क्यों,कैसे,ओर इसका सच्चा निदान,

बता रहें हैं, स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी

चारों ओर लव ज़िहाद पर एतराज चल रहा है,नियम बनाये जा रहे है,गेर हिंदुओं पर आरोप लगाए जा रहे है कि,वे कैसे ओर क्या प्लांनिग करके हिन्दू लड़कियों को फँसाते है,ये सब को बड़ी गहनता से बताया जा रहा है।ओर उसके कानूनी ओर सतही बाहरी उपाय ही बताये जा रहे है जो कि हिन्दू लड़कियों व स्त्री की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को भी छीनते है।
जैसे कि ये अनेक सामाजिक संगठनों की कुछ प्रचलित उपाय की बातें-
1-जब जेहादियों ओर उनके पैदा बच्चों के वोट अधिकारों को रद्द किया जाए।
2-हिन्दू लड़कियों धर्मांतरण कराने वाले मौलवियों को रासुका के तहत गिरफ्तार करो।
3-हिन्दू मुस्लिम लड़के के निक़ाह की अवैध घोषित करो।
ओर भी उपाय नियम है-जैसे की,
ये हैं विश्व हिंदू परिषद द्वारा दिए गए लव जिहाद के टिप्स:-

1-मंगलसूत्र पहनिए और सिंदूर लगाइए।
2-हिंदू त्योहार मनाइए।
3-घर में धार्मिक माहौल बनाकर रखिए।
4-अगर दूसरे धर्म में शादी करके ‘फंस’ गई हैं तो अपने पति का धर्मांतरण कराने की कोशिश कीजिए।
5-पुलिस या विश्व हिंदू परिषद से संपर्क करें।
पर क्या सच्च में ये लव ज़िहाद का पक्का निदान का उपाय है?

ये सब बाहरी नियम बिल्कुल भी सफल ओर पक्के उपाय नही है,बल्कि सहायक हो सकते है।
फिर पक्का उपाय क्या है?

वैसे यहां ये कहावत हिंदुओं पर सिद्ध होती है कि,

खुद नहीं माल रखाया।
चोर को गाली देना भाया।।

यदि,इसके सही उपाय के बारे सीधी सी बात जाननी है तो, सबसे पहले हमें अपने ही हिन्दूओं के बहुत काल से चले आ रहे वर्तमान तक के कथित रूढ़िवादी सामाजिक धर्म में ही झांकना खंगालना व देखना होगा।
हमारी विवाह प्रणाली विश्व की सबसे सटीक वैज्ञानिक आधार पर आदर्श ओर चरित्र बली है।
परन्तु इस विवाह को सफल बनाने के पीछे जो लड़का लड़की की खोज है,वहां विकट खोट भरा है,यहीं छिपा ओर प्रकट है-
लव जिहाद का पक्का उपाय-वो कैसे तो,
जब हम लड़के को लड़की या लड़की को लड़का देखते खोजते है तब,हमें अपनी मां यानी ननसाल का रिश्ता व गोत्र त्यागना पड़ता है और अपने पिता का गोत्र त्यागना पड़ता है,इन दोनों को छोड़कर हमें अपनी ही जाति के दूसरे गोत्रों में पसन्द की लड़की या लड़का देखना व चुनना पड़ता है।जहां वो पसन्द मिल गयी तो ठीक जीवन,नहीं मिली तो ओर खोज करो ओर इंतजार करो और बढ़ाओ उम्र और 27 से 31 वर्ष तक इस इंतजार से विवाह का यौवन आंनद खत्म करते हुए केवल एक कराव यानी एजस्टमेंट यानी एक जीवन समझौता तय करके प्रेमविहीन व अनसुलझा विवाह करना पड़ता है,जहां की फाउंडेशन यानी नींव ही प्रेम विहीन है,तब विवाह का सुखी आधार ही खत्म, तब कैसे प्रेम ओर विवाहित जीवन में सफलता मिलेगी?अत्याधिक कम ही मिलेगी।
अब आते है,यदि हमारे पिता के गोत्र में या माता के गोत्र ओर अपनी ही जाति में ही खासकर (अपने सगे भाई बहिन या सगे वंश के रिश्ते के भाई बहिन को छोड़कर)अपनी खास रिश्तेदारी व बिरादरी की ही में कोई देखी परखी परिचित लड़की या लड़का हो,जो परस्पर एक दूसरे को बख़ूबी हर प्रकार से लगभग एक दूसरे के सभी आवश्यकताओं ओर अनावश्यक्ताओं को भली भांति जानते पहचानते हो,ओर वहां उनके माता पिता व कुनबा आदि को भी बखूबी से परिचित होते है,तो वहां वर्षो के परिचित भरा प्रेम सहजता के साथ मिल जाता है और जिंदगी स्वयं ही प्रेम और सही परिवारिक दायित्वों से भरपूर बनती चलती पूर्ण होती व होगी,यहां विवाह की सफलता की गारंटी सर्वाधिक है।जो कि हम नहीं चुनते है,हमें इस विषय पर जो संकीर्णता का दायरा है,उसे मिटाना होगा और इस प्रकार सभी लव ज़िहादों का कोई खतरा नहीं होगा और न ही खतरा होगा जल्दी ही तलाकों से भरे दुखद अधूरे जीवन का।।
क्योकि इस जातिवादीय सम्बन्धों के चलने से अपनी जाति के अलावा भी जो हिंदुओं का परस्पर लव ज़िहाद है,वो भी बहुत कम या खत्म हो जाएगा।
वैसे भी हमारा सनातन वैदिक ज्ञान इसी ही चरित्र को बढ़ावा देता है।

सब बात आती है,उन एक जनसमाज में प्रचलित गुणसूत्रों की शुद्धता की कथा की,की स्वजातिय विवाह से ही जातीय गुणसूत्र शुद्ध बने रहते है और उन्हें इस तरहां के विजातीय विवाह करने से ये शुद्ध गुणसूत्र अशुद्ध हो जाने का पूरा खतरा है,यो ये करना निषेध है,ओर आगे इस ज्ञान पर भी कुछ नजर डालें-की,
पहले तो,स्वजातिय विवाह से बनने वाले गुणसूत्रों में बहुत काल से उस जातीय या सभी जातियों के मनुष्य यानी उनके स्त्री और पुरुषों के वीर्य व रज बीजों में उच्चतर फर्टिलाइजेशन यानी नई उत्प्रेरणा शुद्धता उत्पादन छमता क्वालटी की कोई विशेष स्तर पर वृद्धि नहीं होने की जगह, केवलव अधिकतर क्वांटिटी यानी केवल सामान्यतौर की सन्तान व्रद्धि होकर अनुवांशिक परिवारिक सन्तति सुख की ही व्रद्धि ही मुख्यतौर पर ही बढ़ी है।कोई उच्चतर विकास की ओर गति नहीं है,जो है वो भोगवाद ओर भौतिकवादी उन्नति की ओर दिशा है और यही मूल उद्देश्य भी दिखता हुआ प्रसारित प्रचारित ओर लागू है।यानी आंतरिक आध्यात्मिक उन्नति की केवल उम्मीद कल्पना भर है,ये सच्च में हक़ीक़त कैसे बने ये नहीं है।
वैसे भी देखें तो,अनादिकाल में सतगुण की व्रद्धि थी यानी मनुष्य में उच्चतर दैविक शक्ति की शुद्धता के गुण भरे ओर प्रदान किये गए या किए जाते थे और रहे थे,जिसके देव सन्तानों की प्राप्ति के उदाहरणों से शास्त्र भरें है,धीरे धीरे अन्य त्रेता व द्धापर व कलिक युगों में वो इस जातीय वैवाहिक संस्था की मान्यता पर चलते चलते एक वहीं का वहीं स्थिर बीज या सभी प्रकार से गिरते गुणसूत्रों के स्तर के मनुष्य ओर उसके वीर्य व रज रूपी बीज को प्राप्त होते गए है,कभी कभी किसी दैविक या प्राकृतिक स्थिति या सामाजिक स्थिति के चलते हुए उस आये परिवतर्न से मनुष्य स्त्री या पुरुष के बीज में एक एक्साइटमेंट यानी उत्प्रेणा आने से एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों में उच्चता शुद्ध शक्ति के गुणों की व्रद्धि हुई और सामाजिक,धार्मिक, व्यवसायिक ,राजनीतिक, वैज्ञानिक खोजे व सुधार आदि घटित हुए है,अन्यथा बाकी का जनसाधारण मनुष्य समाज वही की वही परम्परागत परिपाटी पर चलता चला व उसे परम्पराओं के नाम पर ढोता हुआ आ रहा है।जिसकी संख्या आजतक भी अत्याधिक है।
संसार के पूर्व से वतर्मान तक के समाज का अध्ययन करें तो आज तक जितने भी विकासशील व महान लोग हुए है,उनके जन्म के पीछे कोई न कोई दैविक,परिस्थिति का प्रत्यक्ष या गुप्त शक्तिपात की उत्प्रेणा यानी फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया है,तभी उनके मां बाप के बीज में उच्चतर उन्नति की सोच और कार्य की ओर ले जाने वाली फर्टिलाइजिंग हुई है और उच्चतर सन्तान पैदा हुई और सभी प्रकार के असाधारण कार्य किये है,पर उनकी आगामी सन्तान में वो उच्चतर गुणों का उतना विकास नही दिखता है,वहां कहीं न कहीं वहीं ढर्रा वैवाहिक प्रोसिजर उपयोग में लाना ही आया है।यो आगामी पीढ़ी कुछ स्तर पर असामान्य से सामान्य या निम्न स्तर तक को ही प्राप्त कर पाई है।वैसे भी जैसा मन वैसा तन।यानी भोगवादी सोच के विकास से भोगवादी सन्तान ही पैदा होकर आएगी ओर वो किसी न किसी स्त्री को ही प्रताड़ित करती हुई भोगेगी ओर यही तो हो रहा है,ये लव जिहाद या बलात्कारियों की जमात।
ओर अब ओर भी भयंकर जींस के बदलाव का युग शुरू हो चुका,जो अपनी रासायनिक मिलावट के रूप में हमारे जीन्स में घुसकर, हमारी इस जातिय गुणसूत्र की शुद्धता को बिल्कुल ही मिटा देंगे।
आज का युग-वेक्सिनिकरण का युग है।
इसके चलते तो मनुष्य की सभी जातियों के सनातन धर्म गुणसूत्र बदलने की प्रक्रिया में चल चुके है।ये सबसे ख़तरनाक स्थिति है।
जो अगली पीढ़ी को कहीं का नहीं छोड़ेगी।
आज हमसे हमारी भविष्य पीढ़ी एक रासायनिक मनुष्य की पीढ़ी की ओर निरन्तर अग्रसर है।जो एक विचित्र प्रकार की अप्राकृतिक रूप से बायोटिक्स पीढ़ी बनेगी।तब जाने कैसे लव जिहाद होंगे,कल्पना करो।
अब आती है,इन लव जिहादियों की ये धर्मांतरण कराती राजनीतिक सामाजिक स्तर पर अपना ही धर्म कानून को फैलाने के षड़यंत्र को रचती एक
मुस्लिम संस्क्रति:-
भारत भर में लगभग जितना भी मुस्लिम है,वो 95% पूर्व का हिन्दू ही था,जो बाहर से आये कुछ हजार मुस्लिम व इसी प्रजाति के अन्य मुस्लिम आक्रांताओ आदि द्धारा जबरन धर्मान्तर किया गया मुस्लिम है।जिनका इस लव जिहाद ओर अपना मुस्लिम बस्तियों को हिन्दुओ की बस्तियों में या उनके आसपास बस्ती बसाते हुए,उन हिन्दुओ को घेरने की ये लव जिहाद आदि की बढ़ोतरी में बहुत बड़ा हाथ है,वो कैसे है,जाने,
जब ये मुस्लिम धर्म मे परिवर्तित हो गए,तब उनके सामने सबसे बड़ी चुनोती ये आयी कि,जब वे मुस्लिम बन गए तो,उनके पूर्व के हिन्दू धर्म के सभी संस्कार तो जीवित थे और साथ मे ज़बरन मुस्लिम संस्क्रति को अपनाने पड़ने से वे अंदर से आक्रोशित झटपटाते असन्तुष्ट हिन्दू बने रहने की विवशता के साथ साथ ओर साथ ही बाहर से मुस्लिम बने रहने की विवशता के चलते पीसते रहे,हाँ, उनकी दूसरी पीढ़ी के इस अधकच्चे मुस्लिमवाद के बाद कि तीसरी पीढ़ी कट्टर मुस्लिम बन गयी थी।
अब जब उन्होंने अपने पर लगातार होते इस हिन्दू से मुस्लिम बनने की धर्मांतरण प्रक्रिया पर,जो शेष बचे उन हिन्दुओ की ओर से लगातार सामाजिक प्रताड़ना को सहने पर की,अरे,तुम कायर हो,मर जाते,पर मुस्लिम नहीं बनते आदि कटु आलोचना का रोज प्रतारण से सामना करना पड़ता,तो,उन्होंने इस प्रतारण के पलटवार के रूप में मुस्लिम शासकों से इस प्रताड़ना की शिकायत की ओर अनुरोध किया,की यदि हमें आगामी भविष्य में सही से ओर कट्टर मुस्लिम बनाये रखना चाहते हो तो,इन हिंदुओं का कोई इलाज करो,तब से चला-
हिंदुओं को किस न किसी रूप प्रत्यक्ष और गुप्त षड्यंत्र के तहत,किसी भी तरहां से मुस्लिम बनाने का आंदोलन ओर जिससे कैसे जोड़ा जाए।ये षड्यंत्र बना ओर इसका एक गुप्त अटेक है-लव ज़िहाद या इस नाम के धर्मांतरण आंदोलन।
जिसके तहत-हिंदुओं की लड़कियों व स्त्रियों की मानसिक दशा को कैसे तोड़ा ओर कैसे उन्हें अपने से जोड़ा जाए?ओर फिर निकाह या उन्हें अपनी रंगत में लाने को उनकी ही संस्क्रति के अनुसार विवाह करना और बाद में अपने घर लाकर फिर उसे ओर उसके बच्चों को मानसिक प्रताड़ना देकर मुस्लिम बनाना।
इसकी पूरी रणनीति तैयार करके ये लव ज़िहाद को बढ़ावा दिया गया।
जिसके ओर भी अनेक प्रकार के मुख्य कारण लगभग ये है-
1-मुस्लिमों में शिक्षा का अनुपात बहुत कम है व कट्टरता से अपने धर्म स्तर पर बहुत ही ज्यादा है।
2-शिक्षा की व्रद्धि नोकरी को कम की है,बल्कि अपने अधिकारों की व्रद्धि के साथ अपनी जातिय सुरक्षा के साथ साथ उसकी सहायता को अधिक है।
3-ओर भारत में अपनी शैक्षिक योग्यता के साथ सरकारी नोकरियों पर अधिकार करके अपना सामाजिक वर्चस्व बढ़ाकर पुनः इस देश का इस्लामीकरण करना मुख्य उद्धेश्य है।
4-मुस्लिम लड़कियों में कपड़े ढके रहने से सेक्सुलिटी आकर्षण कम बन पाता है और यदि ये है भी,तो उन्हें ये सम्बन्ध उनके धार्मिक कानून के तहत सहजता से प्राप्त हो जाता है।
5-इधर हिंदू लड़कियां शिक्षा और बहुत हद तक धार्मिक व सामाजिक स्वतंत्रता की प्राप्ति होने से खुले व अपने को धर्म से स्वतन्त्रता के नाम पर लव इज गॉड या गॉड इज लव को क्रिश्चियन शिक्षा पद्धति को फॉलो करते उसे पढ़ते उसे अपनाते हुए नास्तिकवादी ओर उसकी आधुनिकीकरण में लिप्त है यो,उन्हें इनके इसी खुलेपन में अपनी एक कामुकता की अपने लिए पूर्ति का स्त्री स्वतन्त्रता के नाम की हम पर अंकुश नहीं लगाया जाए,हम पुरुषों के बराबर है,यो अच्छा साधन,फैशनेबल दुनियां को अपनाने ही होड़ के चलते वस्त्रों के फैशन को अपनाते दिखता है।जो कि बहुत बड़ी संख्या में मुस्लिम लड़कियों में धर्म समाज के द्धारा नहीं है।यो वहां कहाँ मजे होंगे,इस फैशनेबल हिंदुओं की लड़कियो जैसा।यो इन्हें तोड़ो ओर अपने से जोड़ो।
6-हिन्दू लड़कियों ओर स्त्रियो में धार्मिकता के नाम अज्ञान भरी,अस्थिरता भरी, असमंजस भरी विभिन्न पूजा पाठ ओर तन मन को कमजोर करते अनेक व्रत(जबकि व्रत का सच्चा अर्थ है-संकल्पशक्ति को बढाने की ओर का महाज्ञान,जिससे ये लगभग सारी स्त्रियां कोसों दूर है) रखने से किसी भी प्रकार की न धार्मिक न सामाजिक और ना ही पारंपारिक कट्टरता आती है,आता है तो,केवल खाने के नाम पर बहुत सारा तलाभुना भोजन के साथ एसिडिटी ओर ब्लडप्रेशर।यो उन्हें एक ईश्वरवाद निराकारवादी धर्म सिद्धांत की दुहाई देखकर अपने सर्वजातीय का सम्मान करने पाकसाफ नियत की बड़ी लुभावनी उर्दू भरी जुबान में खुदा गवाही की दुहाई दे दे कर बहकाने के षड़यंत्र में फ़साने में आसानी हो जाती है।
7-हिन्दू लड़कों के प्रेम सम्बन्ध यानी अफ़ेयर भी एन्जॉय के ही होते है यो वे इन्हीं भाइजानों की सहायता लेते है,नतीजा इनकी घुसपैठ उनके लव अफेयर के बीच मे से अपने लव अफेयर्स बनाने की मुहिम में सहजता से मिल जाती है।क्योंकि हिन्दू लड़के की जबतक नोकरी नहीं,तबतक छोकरी नही ओर फूलों भरी हैप्पी एन्ड भरी टोकरी भी नहीं,मिलेगी यो वे इन अफेयरों को बीच मे ही अधूरी प्यास के नाम छोड़ जाते है,तब इसी अधूरी प्यास के बुझाने की ओर प्रारम्भ होता है ये-लव ज़िहाद।
8-ओर रहे सहे कसर की पूर्ति मुस्लिमों के ये पीर साहब जी की मजारें,हिंदुओं के भगवान और उनके कारिंदे देवी देवताओं के द्धारा मनोकामनाओं की पूर्ति नहीं कर पाने की स्थिति में दो अगरबत्ती ओर 5 बताशे ओर एक चद्दर चढ़ाने ओर इसी भी हालत में मुझे चाहिए-एक मनचाहा प्रेम।ओर उस प्रेम में मनचाहे प्रेमी व प्रेमिका जीवनसाथी से विवाह या निकाह के पक्के मिलने की गारंटी के मीठे दावे कर देते है।
9-ऐसे ही हिंदुओं का धर्मांतरण ये क्रिश्चियन यानी ईसाइयत के चमत्कारिक ब्लेसिंग कृपालु दरबार करते है।जबकि हमारे धर्म के ये फैशनेबल,मजे के किस्से सुनाते,सर्वधर्म समान है उनका हमें सम्मान करना चाहिए, चाहे हमें कितना ही अपमानित करें,हमारी स्त्रियों,लड़कियों का अपहरण कर धर्मान्तरण करें,उन मुस्लिमों को भाई भाई सिद्ध करते,ये प्रचारक,सत्संगी,योगाचार्य,गद्दी चलाते बाबा जी,गुरु जी,भगत जी आदि केवल व्यक्तिवादी अनुयायी बनाने की विस्तारित पर निम्न सोच के चलते बस अपने जेब भरते ओर वैभवशाली आश्रम बनाते है,कोई भी सामाजिक धार्मिक आंदोलन ,निशुल्क चिकित्सालय नहीं चलाते है ओर यदि कोई चलाता भी है तो,बहुत अल्प स्तर पर तथा वहां भी अपने साम्प्रदायिक अनुयाइयों की प्राथमिक पकड़ रखते है।इस सम्बन्धित कोई ज़ोरदार आवाज नहीं उठाते है।
11-मुस्लिमों में अधिकतर जल्दी कमाने की वजह से सेल्फडीपेंडिंग यानी आत्मनिर्भरता होने के चलते जल्दी ही विवाह करने के कारण सेक्सुअलिटी की व्रद्धि होती है और नतीजा कम आयु में ओर भी अधिक मजे लिए जाए,यो,वो अपने स्वतन्त्र काम काज के बीच समय निकाल कर अपनी बाइक निकाली या ठीक होने आयी या दोस्तों की मांग ली,उसे चलाते हुये अपने जैसे ही दोस्तों के संग,फैशनेबल कपड़े,चहरो को चमका कर,बॉडी बनाकर, इन्हीं पटायलोजी में लेते और अपने बन्धुओं का सहयोग देते है।
12-हिन्दू लड़को को तो विवाह की स्वतंत्रता उनके बड़ी नोकरियों के सपने पूरे होने पर ही होने के चांस अधिक होते है,यो वे तो इसी पढ़ाई के बीच चलते अद्धकच्चे लव अफेयर्स के बनाने रखाने के चक्कर मे ही टेंशन भरी ओर कथित नपुंसक ओर हार्मोन्स बिगाड़ू ब्रह्मचर्य के चरित्र पालन में ही आधी से ज्यादा जिंदगी काट देते है।तब जॉब अच्छी मिली तो अच्छी लड़की और दहेज से मिटे कड़की,के सिद्धांत पर माता पिता के अनुसार समझौतावादी विवाह कर पाते है।तो सोचो वे क्या कर लेंगे इस लव जिहाद में सहयोग?झगडेगें ये??ये कुछ भी नहीं करेंगे।
13-ऐसे आंदोलनों के चलने वाले लोगो के लेक्चर्स वीडियो को बस सुना,नीचे कमेंट में वेरी नाइस आदि कमेंट लिखे ओर मन उत्साहित हुआ तो शेयर कर देंगे कि,मेरे पर इस सम्बंध में कोई टाइम नहीं है,कोई और दे सके तो,दे,ये ले,ये हिन्दुओ का कथित सामाजिक धार्मिक आंदोलनों में दया भर सहयोग है।
14-आज की युवा हिन्दू पीढ़ी अपने हिन्दू धर्म को अधिकतर,बस अनसाइनटिफिक अधर्म या सनातन धर्म को बस माँ पिता का दिल न दुखे यो,मानते व मनाते है,ओर साथ ही बहुत बड़ा वर्ग बस अपने धर्म को असमझ,अधकच्चे ज्ञान वाला अवैज्ञानिक कहकर गाली देने वाले पहले तो हिन्दू ही है जो,कथित विज्ञानवादी बनकर नास्तिक होने की स्वतंत्रता को स्वीकार करके अपनी मौज की स्वतंत्रता के लिए नकार देते है।और ऐसे लव जिहादी ओर नास्तिकवादी धर्मान्तरण आंदोलनों का चुप रह न्यूट्रल बन,हम पर इनके लिए कोई समय नही है,यो भरपूर समर्थन करते है।
15-अनगिनत पुराने पन्थों ओर नवपन्थों के चलते जो सनातन धर्म या कहे हिन्दू धर्म मे बंटवारा है,वह इस धर्म के विनाश ओर घटोत्तरी को बहुत ही घातक है,जिसमें कुल मिलकर हिंदुओं में ही हिन्दू अनुयायी बनाऊ नामक तोडाफोडी चलती व चलाते आ रहे है।उनमे मुस्लिम को हिन्दू कैसे बनाये,ये पहल नहीं है।
तो मूल बात ये है कि,यो इन सब बातों को मध्यनजर रखते व सुधार करते हुए सबसे पहले हम हिंदुओं में,
सबसे पहले हिंदू मैरिज एक्ट में सामाजिक स्तर पर भी ओर कानूनी स्तर पर बहुत बड़े सुधार की जरूरत है।
हिन्दुओ को सरकारी या प्राइवेट स्तर पर बड़ी नोकरियाँ या छोटी नोकरियों के नहीं मिल पाने की मन मार मजबूरी के नाम पर छोटे उद्योगों को सीखने और उन्हें रोजगार बनाने पर,की अब तो बस जिंदगी ऐसे ही अभाव में कटेगी आदि झिकने की जरूरत नहीं होकर,उन्हें खुशी और प्लानिंग के अनुसार ज्यादा से ज्यादा अपना कर उनके विकास पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस लव ज़िहाद के देश,प्रान्त,शहर,गांव और विदेश के सभी मामले को केवल धार्मिक गुरुओं के चल रहे धर्म संस्थान ही अपनी पहल करने की प्रमुखता से समाधान कर सकते है,यो उन्हें अपने सत्संगों में इसे पूरी तरहां से उठाना ओर मनवाने की शपथ के साथ चलाना चाहिए।
केवल एक दो धार्मिक संस्थानों के बसका बात नहीं है।
ओर जो इस मुद्दों को उठाये है,उन्हें सभी हिंदू जनता की ओर से समर्थन और जब जरूरत पड़े,उनके साथ खड़े होकर के अपना जन सहयोग देना होगा।
ओर सबसे बड़ी बात खुद हिन्दू लड़कियों और स्त्रियों को ये सब समझना और अपनाना होगा।
आप इसका अध्ययन कर अपनाए ओरो को बताए,चर्चा करें तथा अपने परिचितों को अधिक से अधिक शेयर करें।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org


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