हिंदी दिवस मनाये हिंदी लिख
हिंदी हमारी है राष्ट भाषा।
हिंदी हमारा स्वरूप परिचय
हिंदी भविष्य इतिहास की आशा।।
विरोध नहीं अन्य भाषा से
निरुद्ध नहीं करना अन्य ज्ञान।
ह्रदय रहे हिंदी कमल मध्य
हिंदी साहित्य दो प्रथम मान।।
हिंदी हिन्द हिन्द महासागर
हिंदी लिख भरो साहित्य गागर।
हिंदी बनाओ हिंद माथे की बिंदी
हिंदी में करो नमस्ते पा कर।।
हिंदी पर गर्व स्व करना
हिंदी गौरव आत्म निज भरना।
हिंदी राष्ट गान नित गा कर
हिंदी आशीष वर्षाओ झरना।।
!!शुभ प्रातः सत्यास्मि ज्ञान!!
पूजा श्लोक स्तुति भी
ईश प्रेम वंदन।
ये सुद्रढ़ प्रेम शब्द मोती
जो पीरे अर्थ प्रेम क्रंदन।।
जो जान डूबे इन लिखे
वही पाये प्रेमा ईश।
तरे इन्हीं लिखे ईश वचन
और तारे बन स्वधीश।।
भावार्थ:-हे शिष्य ये पूजा श्लोक और स्तुति आदि सभी उस आत्म ईश्वर की सम्पूर्ण अभिव्यक्तियों का प्रकट शब्द स्वरूप हैं,जो एक सही क्रम में एक दूसरे से जुड़कर प्रेम का अद्धितीय प्रवाह तुम्हारे ह्दय से भाव बनकर उभारता है और तुम्हें जिस प्रेम स्नेह और सहानुभूति की आवश्यकता है,उसे इन्हीं शब्दों से कर्म को बनाकर भी प्रकट करते है।यो ये व्यर्थ नही।बल्कि सदार्थ है।यो इन्हें इनके भावार्थ सहित जपो तो ये ही जो तुम चाहते हो-यानि प्रेम,अवश्य प्रदान करेंगे।ये सदा कल्याणकारी है।
श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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