सीबीआई की इस लड़ाई में सरकार की खासी किरकिरी हुई थी, और अब इसे सरकार की हार के तौर पर भी देखा जा रहा है क्योंकि पीएम ने रातों रात सीबीआई के निदेशक को छुट्टी पर भेज दिया था। जिसके बाद आलोक वर्मा ने सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सीवीसी की जांच में निर्दोष पाए जाने वाले आलोक वर्मा को सुप्रीमकोर्ट की तरफ से भी राहत मिली।
बता दें कि आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले के बाद आलोक वर्मा ने सरकार की आलोचना भी की थी और साथ ही कहा था कि सरकार सीबीआई के काम में अड़ंगा डालती है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के रूप में सीमित अधिकार के साथ बहाल किए जाने के एक दिन बाद बुधवार को उन्होंने फिर से पदभार संभाला। आलोक कुमार ने विभिन्न हाई प्रोफाइल मामलों की प्रगति की समीक्षा की। 23-24 अक्टूबर की रात को जबरन छुट्टी पर भेजे गए वर्मा लगभग ढाई महीने बाद काम पर लौट आए हैं। सीबीआई मुख्यालय पर आलोक वर्मा का स्वागत एम.नागेश्वर राव ने किया।
नागेश्वर राव को आलोक वर्मा की जगह पर उनका कामकाज देखने के लिए नियुक्त किया गया था। आलोक वर्मा सीबीआई मुख्यालय में 10वीं मंजिल पर अपने केबिन में गए। वर्मा का केबिन उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के बाद से बंद था। नागेश्वर राव द्वारा स्थानांतरित किए गए दो सीबीआई अधिकारी भी आलोक वर्मा से मिलने एजेंसी के मुख्यालय पहुंचे। सीबीआई के सूत्रों के अनुसार, पुलिस उप अधीक्षक (डीएसपी) ए.के. बस्सी व अश्वनी कुमार ने आलोक वर्मा से मुलाकात की।
सूत्र ने कहा कि आलोक वर्मा ने दूसरे अन्य अधिकारियों से भी मुलाकात की और विभिन्न हाई प्रोफाइल मामलों की प्रगति की समीक्षा की। आलोक वर्मा अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम व केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के 1979 बैच के आईपीएस हैं। आलोक वर्मा एक फरवरी 2017 को सीबीआई निदेशक के तौर पर अपनी नियुक्ति से पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त थे।
आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को खत्म होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) व केंद्र के उन्हें कामकाज के अधिकार के वंचित करने के फैसले को दरकिनार कर मंगलवार को आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के रूप में फिर से बहाल कर दिया।