एडॉल्फ हिटलर जन्म २० अप्रैल १८८९ -।मृत्यु ३० अप्रैल १९४५, के सीधे हाथ में आप मणिबंध से प्रारम्भ होती असाधारण स्पष्ट और लगभग सीधी और बिना कटी फ़टी भाग्य रेखा जो शनि पर्वत और शनि ऊँगली के प्रारम्भिक भाग तक पहुँची है और जिसका प्रारम्भ और अंत में स्पष्ट क्रास से हुआ है।ये चिन्ह निम्न से उच्चतम और ऐतिहासिक प्रसिद्धि को देती भाग्य रेखा होती है।और इसका प्रारम्भ और अंत क्रॉस से होना,व्यक्ति को अनगिनत हिंसक युद्ध में अनगिनत लोगो की मृत्यु का कारण और स्वयं की भी आत्महत्या से मृत्यु होनी बताता है। साथ ही जीवन रेखा और मस्तक रेखा का प्रारम्भिक अवस्था में मिलना व्यक्ति को बहुत समय तक अपने रूढ़िवादी और परम्परावादी परिवारिक हो या राष्टवादी हो या समाजवादी मन्यताओं का मानने वाला बनाती है और फिर उसे इसी परम्परा आदि सोच में बदलाव को अपने नए योजनाबद्ध तरीके से करने को प्रेरित करती है।अब यदि ह्रदय रेखा की स्थिति सही है, तो उसकी ये बदलाव की योजना और कार्य परिवार या समाज या राष्ट को विकास देती है और ये ह्रदय रेखा शनि पर्वत तक हो तो व्यक्तिगत लाभ और विनाश के मार्ग पर धकेल देती है।यहाँ हिटलर के हाथ में शनि और सूर्य पर्वत तक दो रेखाएं अपने अंत सूर्य पर्वत पर सूर्य के चिन्ह से पूर्ण होती दिखती है।ये युगों तक प्रसिद्धि देने वाला योग है।और ह्रदय रेखा का अंत तीन चार रेखाओं से गुरु पर्वत की और हो रहा है।ये योग प्रबल उन्नतिकारक और अपनी योजना और चिंतन में उच्चादर्श राष्टवादी ह्रदय को देता है।और गुरु पर्वत पर भी वर्गाकार चिन्ह है और उससे गुजरती एक गुरु रेखा शनि पर्वत पर जा रही है।ये अति महत्वाकांक्षी बनाती है।मस्तक रेखा सुदृढ़ है और बाहरी मंगल पर्वत को स्पर्श करते अपने अंत में एक स्पष्ट दीप से समाप्त हुयी है।ये चिन्ह व्यक्ति की सारी महत्वकांक्षी विकास योजना का अंत उस व्यक्ति के सहित उसमें सहभागी व्यक्तियों सहित समाज हो या राष्ट का अंत देती है।जीवन रेखा का अंत भी क्रॉस से हुआ है।
बुध पर्वत पर तीन खड़ी बड़ी और अच्छी रेखाएं व्यक्ति को व्यापारिक बुद्धि और उससे उच्चतर मनचाहा धन कमाने के साधन और सहयोगी देती है।सभी उँगलियों पर अनेकों खड़ी मित्र व् सहयोगी रेखाएं भरी पड़ी है।ये बहुत बड़ा जन समर्थन देती है।तर्जनी व् अनामिका ऊँगली समान व् सीधी है और शनि ऊँगली अधिक बड़ी और सीधी है,ये प्रबल महत्त्वकांक्षी और सफल होना बताती है।अंगूठे के पास स्थित मंगल पर भी अद्रश्य स्टार है जिससे एक बारीक़ रेखा सूर्य पर्वत के स्टार में जाकर मिल रही है और सूर्य रेखा गहरी होने से छाप में नहीं आई है,पर अपना प्रबल प्रभाव बता रही है।की कालजयी प्रसिद्धि योग दे रही है।बुध पर्वत के बाहरी किनारे से अति दो रेखा में से एक वहीं रुक गयी है और दूसरी एक रेखा आगे बढ़कर जो वहाँ खड़ी तीनों रेखाओं को काट कुछ नीचे को गिर गयी है,ये रेखा प्रेम रेखा है,जो प्रेम के साथ कहीं न कहीं व्यापारिक सम्बंधों में साहयक है,पर संतान सुख नहीं देती है।और इस प्रेम का अंत भी सुखद नहीं होता है।और शुक्र पर्वत अनेक रेखाओं के जाल से भरा है।जो किसी भी रिश्ते और प्रेम को सदा अविश्वास और संदिग्धता से घेरे रहता बताता है।
यहां मूल रेखा भाग्य और मस्तक और जीवन रेखा अंत और प्रारम्भ क्रास और दीप से हुआ है।जो व्यक्ति सहित उसके साथ उसकी योजना और विचारधारा पर चलने वालों का अंत भयावह और विध्वंश से होना देता है।
यो आप इस अध्ययन से बहुत कुछ हस्तरेखा ज्ञान सीखेंगे।
श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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