राजगढ़: जिला अस्पताल प्रबंधन अपनी खामियों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहा है, चाहे वह मामला प्रसूता को राजगढ़ से भोपाल रेफर करने का हो या अस्पताल में जच्चा बच्चा दोनों की मौत का मामला हो। राजगढ़ जिला अस्पताल का आजसे विवादों से काफी नाता रहा है।
अभी 2 दिन पहले जिला अस्पताल राजगढ़ में एक कुत्ता मृत नवजात के शव को अस्पताल परिसर के अंदर लेकर घूमता हुआ नजर आया। परिसर के अंदर ही कुत्ता शव को मुंह में लेकर घूमता हुआ नजर आया,जिससे वहां अफरा तफरी का माहौल बन गया। वही पर खड़े एक शख्स तबरेज़ खान ने नवजात के शव को अस्पताल प्रबंधन के हवाले कर दिया।
बताया जा रहा है कि बच्चा मंडावर के शासकीय अस्पताल से गंभीर अवस्था मे राजगढ़ जिला अस्पताल के एस एन सी यु वार्ड में भर्ती कराया गया था। जंहा रात के लगभग 10 बजे बच्चे ने दम तोड़ दिया । लगभग 10:30 बजे अस्पताल प्रबंधन ने मृत शिशु को उसके पिता राधेश्याम को सौंप दिया गया। जिसे पिता अस्पताल परिसर के आस पास ही छोड़ कर चला गया। जिससे वंहा मौजूद कुत्ते नवजात शिशु के शव को मुह में दबाकर घूमते हुए नजर आए।
प्रबंधन की लापरवाही:
अस्पताल में होने वाली मृत्यु के लिए अस्पताल प्रबन्धन की तरफ से शव वाहन भी उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं। ताकि शव और उसके परिजनों को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाया जा सके। यदि अस्पताल प्रबन्धन के द्वारा मृत शिशु के परिजनों को शव वाहन उपलब्ध करा दिया जाता तो इस तरह के हालात कभी उतपन्न नही होते। लेकिन सूत्रों की माने तो अस्पताल प्रबन्धन के द्वारा पिछले कुछ वर्षों से शव वाहन उपलब्ध नही कराए जा रहे, जिससे आज के इस महँगाई के दौर में शक्षम परिवार तो अपने मृत परिजनों को लेकर जाने की व्यवस्था कर लेता है लेकिन, गरीब को तो आज भी संघर्ष करना पड़ता है, जिसका उदाहरण आज हम सबके सामने है।
रिपोर्ट : अब्दुल वसीम अंसारी/ राजगढ़ (मध्यप्रदेश)