आपको बता दें कि केरल के सबरीमाला मंदिर पर भारी विरोध के बीच आज सोमवार को कपाट खुल रहे हैं। राज्य सरकार ने हालात की समीक्षा करते हुए प्रदेश भर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम कर तो दिए हैं। लेकिन बाबजूद इसके लोगों में जबरदस्त गुस्सा, उबाल देखने को मिल रहा है। इसके अलावा कुछ हिन्दू संगठनों ने महिलाओं के मंदिर से दूर रहने की चेतावनी भी दी है। वहीं महिला पत्रकारों को मंदिर के अंदर प्रवेश न करने की चेतावनी दी है। हिन्दू संगठनों ने मीडिया हाउस को चेताया है कि वे महिला पत्रकारों को मंदिर कवर के लिए न भेजें वरना उन्हें भुगतना होगा।
आपको बता दें कि पिछले महीने हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। सरकार ने बताया कि 2300 पुलिसकर्मियों को मंदिर के आसपास तैनात किया गया है, जिनमें 20 सदस्यीय कमांडो टीम और 100 महिलाएं शामिल हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जरूरत पडऩे पर सर्कल निरीक्षक और उपनिरीक्षक रैंक की 30 महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा, जिनकी उम्र 50 वर्ष से अधिक होगी। वहीं आंदोलन कर रहे कई हिंदू संगठनों ने मीडिया संगठनों से इस मुद्दे को कवर करने के लिए महिला पत्रकारों को न भेजने की अपील की है। वीएचपी और हिंदू ऐक्यवेदी समेत दक्षिणपंथी संगठनों के संयुक्त मंच सबरीमाला कर्म समिति ने यह चेतवानी जारी की है। पिछले महीने महिला पत्रकारों से बदसलूकी और वाहनों में तोडफ़ोड़ के घटनाक्रम को देखते हुए संपादकों को लिखे पत्र में समिति ने कहा कि इस आयु वर्ग की महिलाओं के अपने काम के सिलसिले में मंदिर में प्रवेश करने से स्थिति और बिगड़ सकती है।
मंदिर सोमवार को शाम पांच बजे विशेष पूजा श्री चितिरा अट्टा तिरूनाल के लिए खुलेगा और उसी दिन रात 10 बजे बंद हो जाएगा। तांत्री कंडारारू राजीवारू और मुख्य पुजारी उन्नीकृष्णन नम्बूदिरी मंदिर के कपाट संयुक्त रूप से खोलेंगे और श्रीकोविल (गर्भगृह) में दीप जलाएंगे। इसके बाद 17 नवंबर से तीन महीने लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए दर्शन के लिए फिर से खोला जाएगा।
कोलकाता में काली पूजा पंडाल में महिलाओं के प्रवेश पर रोक
कोलकाता में भी पूजा-स्थल में महिलाओं के प्रवेश पर रोक का मामला सामने आया है। यहां 34 साल से चली आ रही पंचकूंडा काली पूजा के पंडाल में महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। चेतला प्रदीप संघ की कार्यकारिणी के सदस्य गंगाराम शॉ ने इसकी पुष्टि की है। शॉ ने बताया कि पहली बार जब यहां पूजा हुई थी, ये प्रतिबंध तब से ही जारी है।