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पेट्रोल-डीजल की भारी कीमतों के खिलाफ व गन्ना बकाया भुगतान को लेकर मजदूर किसान मंच बदायूँ ने जिलाधिकारी कार्यालय पर किया प्रदर्शन

 

 

 

 

 

अमेरिकी दबाव में ईरान से तेल आयात रोकना देश हित में नहीं यह भारत की संप्रभुता पर चोट है – अजीत

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाये मोदी सरकार – मजदूर किसान मंच

बदायूँ, 29 सितंबर 2018

 

अमेरिकी दबाव में ईरान से तेल आयात रोकना देश हित में नही होगा। मोदी सरकार को अमेरिका के सामने घुटने नहीं टेकने चाहिए और ईरान से तेल आयात जारी रखना चाहिए। अगर अमेरिकी दबाव में मोदी सरकार ऐसा करती है तो भारत की संप्रभुता खतरे में पड जाएगी। उक्त विचार आज बदायूं में जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन के दौरान मजदूर किसान मंच के प्रदेश संयोजक अजीत सिंह यादव ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि अमेरिका और ईरान के बीच अंतरराष्ट्रीय परमाणु संधि टूटने के बाद अमेरिका ने भारत से 4 नवंबर तक ईरान से तेल आयात बंद करने की धमकी दी है। इसके कारण ही जून महीने में पेट्रोलियम मंत्रालय ने रिफाइनरियों से नवंबर माह से ईरान से बिल्कुल तेल आयात नहीं करने को तैयार रहने को कहा था। ईरान से तेल नवंबर के लिए तेल आयात का आर्डर न देकर मोदी सरकार ने जिस तरह अमेरिका के सामने घुटने टेके हैं, वह भारत की संप्रभुता के लिए हानिकारक है। दूसरी बात और देशों की तुलना में कच्चे तेल का ईरान से आयात सस्ता है।

मजदूर किसान मंच द्वारा यह प्रदर्शन पेट्रोल और डीजल की भारी कीमतों व अमेरिकी दबाव में ईरान से तेल आयात रोकने के खिलाफ एंव किसानों का गन्ना बकाया के ब्याज सहित भुगतान, बाजरा समेत सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी की मांग को लेकर किया गया।

 

 

प्रदर्शन के बाद सिटी मजिस्ट्रेट बदायूँ के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।

 

प्रदर्शन में मजदूर किसान मंच के मंडल संयोजक व स्वराज अभियान के जिला संयोजक अनिल कुमार यादव ने कहा कि डीजल की आसमान छूती कीमतों के चलते महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड दी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में भारी कमी के बावजूद देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं। इसकी वजह से देश में रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम भी बढ रहे हैं क्योंकि ढुलाई (ट्रांसपोर्ट) महंगी हुई है। मंहगा पेट्रोल और डीजल की मुख्य वजह केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाने वाला भारी भरकम टैक्स है। विदित हो कि सरकारें पेट्रोलियम पदार्थो पर 106 प्रतिशत से अधिक टैक्स वसूल कर रही हैं। एक देश एक टैक्स का नारा देकर जीएसटी को लागू किया गया, लेकिन मोदी सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में अभी तक नहीं लायी। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष केंद्र व राज्य सरकारों ने पेट्रोल और डीजल आदि पर टैक्स के जरिए जनता से साढ़े पांच लाख करोड़ रुपये की उगाही की, जिसमें केंद्र सरकार ने 343858 लाख करोड़ रूपए और राज्य सरकारों ने 209155 लाख करोड़ रूपए की उगाही की। यह देश की आम जनता पर बहुत बड़ा हमला है। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाकर आम जनता की मेहनत की कमाई को लूटना बंद किया जाए और आम जनता को राहत दी जाए।

मजदूर किसान मंच के नेता रामरहीस लोधी ने कहा कि पर्याप्त उत्पादन के बावजूद मोदी सरकार द्वारा पाकिस्तान से चीनी आयात करने से देश में चीनी उद्योग व गन्ना किसान संकट में आ गये हैं। अभी तक गन्ना किसानों के बकाया का भुगतान उत्तर प्रदेश कराने में सरकार असफल रही है। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा दिए गए राहत पैकेज गन्ना किसानों का भुगतान करा पाने में विफल रहे हैं, जिससे गन्ना किसान भारी आर्थिक संकट से जूझने को मजबूर हैं। उन्होंने मांग की कि गन्ना किसानों का भुगतान तत्काल कराया जाए और विलंब से भुगतान के लिए गन्ना एक्ट के मुताबिक बकाया भुगतान ब्याज सहित कराया जाए।

प्रदर्शन में अनेशपाल, अनुपम, राजेंद्र, राजाराम, सामेंदर, वीरपाल समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे।

 

 

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रिपोर्ट : आयुष पटेल, बदायूँ
ख़बर 24 एक्सप्रेस


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