हाईवोल्टेज ड्रामे के साथ बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में बहुमत तो हासिल कर लिया है लेकिन इस जीत को अभी जीत नहीं कहा जा सकता है।
आपको बता दें कि बिहार में बहुमत के लिए 122 विधायकों का आंकड़ा जरूरी होता है लेकिन बीजेपी और जेडीयू के विधायकों को मिलाकर ये आंकड़ा 123 का हो रहा था यानि कि समर्थन से 1 विधायक ज्यादा। लेकिन जेडीयू के पक्ष में 8 विधायकों का और साथ मिला जिसमें 3 निर्दलीय विधायक थे।
दोनों तरफ से क्रॉस वोटिंग की संभावना जताई जा रही थी लेकिन वो नही हुई।
माना यह जा रहा है कि शरद यादव और राज्यसभा संसाद अली अनवर नीतीश कुमार के फैसले से नाराज चल रहे हैं। और कुछ ऐसे भी विधायक हैं जो चोरी छिपे लालू के खेमें में आने के लिए तैयार हैं। 18 विधायक जेडीयू से नाराज बताए जा रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो नीतीश की नए गठबंधन की सरकार अल्पमत में आ जायेगी और ऐसे में नीतीश के लिए मुसीबत बन जाएगी।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने विश्वासमत हासिल कर दिया है। शुक्रवार को विधानसभा में आरजेडी और कांग्रेसी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच बहुमत परीक्षण हुआ। नीतीश ने बेहद आसानी से जरूरी आंकड़ा हासिल कर लिया। नीतीश की अगुआई वाले एनडीए गठबंधन को 122 का जादुई आंकड़ा हासिल करना था। नीतीश के समर्थन में 131 जबकि विपक्ष में 108 वोट पड़े।
नीतीश के फेवर में जेडीयू के 71, बीजेपी के 52, आरएलएसपी के 2, एलजेपी के 2, ‘हम’ के 1 और 3 निर्दलीय विधायकों ने वोट दिया। नीतीश खेमे ने 132 का समर्थन मिलने का दावा किया था। बीजेपी विधायक आनंद भूषण पांडेय की तबीयत खराब होने की वजह से इलाज के सिलसिले में दिल्ली में थे। इसलिए नीतीश के पक्ष में एक वोट कम मिला। विश्वासमत साबित करने के बाद नीतीश ने कहा कि उन्हें बिहार की सेवा करने के लिए बहुमत मिला है। बता दें कि सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही नीतीश ने विश्वासमत प्रस्ताव रखा। इसके बाद, सत्ता और विपक्ष के नेताओं ने एक दूसरे पर निशाना साधा।
बहुमत परीक्षण का टीवी पर लाइव टेलिकास्ट नहीं किया गया। सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा का सीन पूरी तरह बदला हुआ था। सत्ताधारी बेंच पर बैठने वाले आरजेडी और कांग्रेसी सदस्य विपक्ष के तौर पर नीतीश के सामने खड़े थे। हंगामा कर रहे आरजेडी और कांग्रेस गुप्त मतदान की मांग कर रहे थे। बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम और आरजेडी लीडर तेजस्वी यादव ने विपक्ष ने नेता के तौर पर सदन में अपनी बात रखी। उन्होंने नीतीश को ‘बॉस’ कहकर संबोधित किया। विश्वासमत के विरोध में बोलते हुए तेजस्वी ने नीतीश, सुशील मोदी और बीजेपी को जमकर खरी-खटी सुनाई।
बीजेपी नेता ने किया नीतीश का बचाव
बीजेपी की ओर से नंदकिशोर यादव ने नीतीश का बचाव करते हुए जवाबी हमला किया। उन्होंने पूछा कि बिना ‘मूंछ वाला’ लड़का करोड़ों का मालिक कैसे बन गया? यादव के मुताबिक, लालू को पुत्रमोह नहीं होता तो तेजस्वी नहीं, अब्दुल बारी सिद्दीकी डेप्युटी सीएम होते। उन्होंने सलाह दी कि तेजस्वी नए-नए नेता विपक्ष बने हैं, उन्हें सुनने की भी आदत डालनी चाहिए। वहीं, जब नीतीश कुमार बोलने के लिए खड़े हुए तो तेजस्वी और अन्य आरजेडी नेताओं ने उनकी स्पीच के दौरान बाधा पहुंचाई। नीतीश ने कहा, ‘तेजस्वी की एक-एक बात का जवाब वक्त आने पर दूंगा। सबको आइना दिखाऊंगा, बाहर भी बोलूंगा और अंदर भी। सत्ता सेवा के लिए होती है, भोग के लिए नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘सांप्रदायिकता की आड़ में भ्रष्टाचार का साथ नहीं देंगे। कोई हमें सेक्युलरिज्म का पाठ नहीं पढ़ाए। सेक्युलरिज्म का इस्तेमाल भ्रष्टाचार छिपाने के लिए नहीं होना चाहिए।’ नीतीश ने कहा, ‘सरकार आगे चलेगी, बिहार की खिदमत करेगी। भ्रष्टाचार और अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’
तेजस्वी ने कहा कि यह सब कुछ प्री प्लांड था। 6 महीने की तैयारी के बाद किया गया है। तेजस्वी ने कहा कि आरजेडी और कांग्रेस ने नीतीश कुमार का वजूद बचाया। नीतीश की छवि बनाने के लिए सारा नाटक हुआ। उन्होंने कहा, ‘छवि की बात है तो पूरा देश जानता है कि नीतीश जी का कितना आधार है।’ आगे उन्होंने कहा, ‘हमारे पास 80 विधायक थे। नीतीश जी जानते थे कि वह मुझे हटा नहीं सकते थे।’ आरजेडी नेता के मुताबिक, नीतीश ने न केवल बिहार की पूरी जनता को धोखा दिया है, बल्कि राजद्रोह भी किया है। उन्होंने कहा, ‘आपकी कौन सी विचारधारा, कौन सी नैतिकता, दुनिया इसके बारे जानना चाहती है।’ तेजस्वी ने पूछा कि जेडीयू डीएनए को कोसने वालों के साथ कैसे हो गई? वहीं, सुशील मोदी को निशाने पर लेते हुए तेजस्वी ने कहा कि उन्हें शर्म आनी चाहिए। तेजस्वी की इस टिप्पणी का जेडीयू और बीजेपी सदस्यों ने जमकर विरोध किया।