कहते हैं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सादगी ने पूरी दुनिया को अपना बना लिया था। वे पीएम ऐसे रहे जिन्होंने ऐसे ऐसे काम किए जिनके बारे में देश को कभी पता ही नहीं चल।
अपने द्वारा किए गए अनंत कार्यों को उन्होंने कभी गाया ही नहीं और न ही कभी उन कार्यों का क्रेडिट लिया।
आज जब वो इस संसार में नहीं हैं तब उनकी अच्छाई निकलकर सामने आ रही है।
कैम्ब्रिज ग्रेजुएट, ऑक्सफोर्ड के पूर्व छात्र, प्रोफेसर, वित्त मंत्री और 2 बार प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह को दुनियाभर के दिग्गज श्रद्धांजलि दे रहे हैं।वैश्विक नेताओं, राजनेताओं और विशेषज्ञों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है, उनकी दूरदर्शिता, संयम और भारत के आर्थिक विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान का जिक्र किया है। इसी बीच मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मनमोहन सिंह से जुड़ा एक व्यक्तिगत किस्सा शेयर किया है। जो मनमोहन सिंह के मानवीय पक्ष को दर्शाती है।
अनवर इब्राहिम ने X पर लिखा कि मेरे सम्मानित और प्रिय मित्र डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर सुनकर मुझ पर दुख का बोझ बढ़ गया है। इस महान व्यक्ति के बारे में निश्चित रूप से बहुत सारी किताबें होंगी, जो उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों के निर्माता के रूप में व्यक्त करेंगी। डॉ. मनमोहन सिंह विश्व के आर्थिक दिग्गजों में से एक थे।
अनवर ने 1990 के दशक के दौरान मलेशिया के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया, उन्होंने मनमोहन सिंह के अभूतपूर्व आर्थिक सुधारों को याद किया। दोनों नेताओं ने भ्रष्टाचार से लड़ने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह, एक बेहतरीन राजनेता थे, एक राजनेता के रूप में वह निर्विवाद रूप से काफी दृढ़ थे। वे एक ऐसी विरासत छोड़ गए हैं जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।
मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि जब उन्हें एक राजनीतिक साजिश के तहत जेल में डाल दिया गया था, तब मनमोहन सिंह ने उनके बच्चों, खासकर उनके बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाने की पेशकश की थी। इब्राहिम बताते हैं कि ऐसा करने से तत्कालीन मलेशियाई सरकार के नाराज़ होने का जोखिम था। हालांकि अपने व्यक्तित्व के अनुरूप उन्होंने फिर भी ऐसा किया। अनवर इब्राहिम ने कहा कि हालांकि उन्होंने, मनमोहन सिंह की मदद की पेशकश को विनम्रता से मना कर दिया था। लेकिन पढ़ाई का खर्च उठाने में असमर्थ बच्चों के प्रति सहानुभूति मनमोहन सिंह के लिए स्वाभाविक रही होगी।
मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत यात्रा भी उल्लेखनीय रही। 1935 में पाकिस्तान के एक छोटे से गांव गाह में जन्मे, उनका परिवार विभाजन के दौरान भारत आ गया। बिजली, स्कूल या स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित एक गांव में अपनी साधारण शुरुआत के बावजूद मनमोहन सिंह की प्रतिभा चमक उठी। छात्रवृत्ति ने उन्हें विश्व स्तर पर प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त किया।
बता दें कि अनवर को मलेशियाई मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था, 1998 में गिरफ्तार किया गया और देश के विवादास्पद आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया। उन्हें भ्रष्टाचार और समलैंगिकता के आरोपों का सामना करना पड़ा, उन्हें कारावास, सार्वजनिक अपमान और हिरासत के दौरान शारीरिक हमले भी सहने पड़े। ये अनवर के लिए बुरे दिन थे, लेकिन मनमोहन सिंह ने असाधारण दयालुता का परिचय दिया था।
तो ऐसे थे हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जिनकी चुप्पी पर बहुत सारे लोगों ने मीम बनाए, उनकी आलोचना की, उनकी बुराई की लेकिन वे कभी बुरा नहीं मानें। क्योंकि वे पढ़े लिखे और समझदार व्यक्ति थे। ऐसे महापुरुष साधारण मनुष्य नहीं होते। उन्होंने भारत के लिए जो किया उसे युगों तक याद रखा जाएगा।
Manish Kumar Ankur (Associate Editor)