15 जनवरी थल सेना दिवस
थल सेना भारत का गहना
अचल अविचलित उद्धेश्य है रहना।
गौरवान्वित करती ध्वज पताका
शहीद समर्पित देश को होना।।
मैं हूँ जब तक शत्रु नही आवे
सतर्क है हम ये घोष जवान।
भारत माता की रक्षा में हम
प्राण जाये यही सेना शान।।
निर्भय रहो हे देशवासियों
और जीवन सदा प्रसन्ता जीयो।
हम है रक्षक भारत सीमा के
आनंद सुख का तुम अमृत पीयों।।
एक मरे तो मारे सौ सौ
शत्रु नाम भारत से कांपे।
हम सच्चे सपूत भारत के वासी
शत्रु सीना लोह पदों से नापे।।
ज्यो पिता के रहते संतान हो निर्भय
संतान के रहते निर्भय मात पिता।
यो हम वही संतान भारत की
हमारे रहते देश सदा जीता।।
सर्दी बरसात हो चाहे गर्मी
नही रहे कर्तव्य में नरमी।
सुमेरु पर्वत एक एक सैनिक
जिसे पार नही कर सकता विधर्मी।।
माली है हम भारत बगियाँ के
हमारे रहते खिलें स्वतंत्र चमन।
हम भारत के रक्षक सैनिक है
प्राण आहुति हमारी देश अमन नमन।।
जय जवान जय भारत महान
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
प्रत्येक वर्ष 15 जनवरी को ‘भारतीय थल सेना’ के लिए पूरे भारत में मनाया जाता है। ‘थल सेना दिवस’ देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले वीर सपूतों के प्रति ‘श्रद्धांजलि’ देने का दिन है। यह दिन देश के प्रति समर्पण व कुर्बान होने की प्ररेणा का पवित्र अवसर है।
भारत में ‘थल सेना दिवस’ देश के जांबाज रणबांकुरों की शहादत पर गर्व करने का एक विशेष मौका है। 15 जनवरी, 1949 के बाद से ही भारत की सेना ब्रिटिश सेना से पूरी तरह मुक्त हुई थी, इसीलिए 15 जनवरी को “थल सेना दिवस” घोषित किया गया। यह दिन देश की एकता व अखंडता के प्रति संकल्प लेने का दिन है। यह दिवस भारतीय सेना की आज़ादी का जश्न है। यह वही आज़ादी है, जो वर्ष 1949 में 15 जनवरी को भारतीय सेना को मिली थी। इस दिन के.एम. करिअप्पा को भारतीय सेना का ‘कमांडर-इन-चीफ़’ बनाया गया था। इस तरह लेफ्टिनेंट करिअप्पा लोकतांत्रिक भारत के पहले सेना प्रमुख बने थे। इसके पहले यह अधिकार ब्रिटिश मूल के फ़्राँसिस बूचर के पास था और वह इस पद पर थे। वर्ष 1948 में सेना में तकरीबन 2 लाख सैनिक ही थे, लेकिन अब 11 लाख, 30 हज़ार भारतीय सैनिक थल सेना में अलग-अलग पदों पर कार्यरत हैं।
भारतीय थल सेना शहीदों को श्रद्धांजलि:-
देश की सीमाओं की चौकसी करने वाली भारतीय सेना का गौरवशाली इतिहास रहा है। देश की राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर बनी अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस दिन सेना प्रमुख दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देने वाले जवानों और जंग के दौरान देश के लिए बलिदान करने वाले शहीदों की विधवाओं को सेना मैडल और अन्य पुरस्कारों से सम्मानित करते हैं। हर वर्ष जनवरी में ‘थल सेना सेना’ दिवस मनाया जाता है और इस दौरान सेना अपने दम-खम का प्रदर्शन करने के साथ ही उस दिन को पूरी श्रद्धा से याद करती है, जब सीमा पर वर्ष के बारह महीने जमे रह कर भारतीय जवानों ने समस्त देशवासियों के साथ ही साथ देश की रक्षा भी की थी। दिल्ली में आयोजित परेड के दौरान अन्य देशों के सैन्य अथितियों और सैनिकों के परिवारों वालों को बुलाया जाता है। सेना इस दौरान जंग का एक नमूना पेश करती है और अपने प्रतिक्रिया कौशल और रणनीति के बारे में बताती है। इस परेड और हथियारों के प्रदर्शन का उद्देश्य दुनिया को अपनी ताकत का एहसास कराना है। साथ ही देश के युवाओं को सेना में शामिल होने के लिये प्रेरित करना भी है। ‘थल सेना दिवस’ पर शाम को सेना प्रमुख चाय पार्टी आयोजित करते हैं, जिसमें तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिमंडल के सदस्य शामिल होते हैं।
भारतीय थल सेना:-
भारतीय थल सेना के प्रशासनिक एवं सामरिक कार्य संचालन का नियंत्रण थल सेनाध्यक्ष करता है। सेना को अधिकतर थल सेना ही समझा जाता है, यह ठीक भी है क्योंकि रक्षा-पक्ति में थल सेना का ही प्रथम तथा प्रधान स्थान है। इस समय लगभग 13 लाख सैनिक-असैनिक थल सेना में भिन्न-भिन्न पदों पर कार्यरत हैं, जबकि 1948 में सेना में लगभग 2,00,000 सैनिक थे। थल सेना का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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