अब नवरात्रि प्रारम्भ होने वाली है और देवी पर भक्त अपनी मनोकामनाओं के नारियल चढ़ाते है। नारियल का चढ़ाना बड़ा महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
इसके अलावा जब भी आपको सूर्य ग्रहण का ज्ञात हो कि कब लगने वाला है तब आपको करना ये है कि – ग्रहण के दिन एक कच्चा नारियल ले कर उसपर 7 बार कलावा अपनी कोई भी मनोकामना कहते हुए लपेटे और अब उसे अपने सामने इष्ट की मूर्ति या चित्र के सामने रखे और यदि आपको अपने गुरु मंत्र सहित गुरु चालीसा या इष्ट चालीसा याद है, तो उसका 7 बार पाठ करें और 7 या 11 माला जप गुरु व् इष्ट मंत्र का करते हुए अंत में आरती करें। और अब गुरु व् इष्ट की मूर्ति या चित्र में उनके चरणों से अपना नारियल छुवाते हुए ग्रहण के बाद मन्दिर में चढ़ाते हुए फोड़ दें। और यदि वो खराब निकले तो आपकी मनोकामना को गुरु या इष्ट आशीर्वाद नहीं मिला, वो अभी पूर्ण नहीं हुयी, और सही साफ निकले तो पूजा आपके ईष्ट ने स्वीकार की।
अनेक बार साफ निकलने पर भी मनोकामना पूर्ण नहीं होती है। भक्तों की आस्था इस नारियल के चढ़ाने से हट जाती है कि-ऐसा करने पर कुछ नहीं होता है। ऐसा नहीं है।
इसे ये माने की अपने इष्ट पर विश्वास किया है, वे अवश्य इसे किसी और भी अच्छे और उपयुक्त तथा आपके अनुकूल बनाकर अन्य रूप में और समय में आपको देंगे।भगवान या गुरु पर की सच्ची और समर्पित आस्था कभी खाली नहीं जाती है।यहाँ केवल अपनी ही नहीं चलाये।तुमने अपना कर्म किया अब फल उनके हाथ में छोड़े। नाकि उसे भी अपने ही हाथ में रखने की इच्छा करें।
भारतीय हिंदू धर्म में मान्यता है कि- किसी भी धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम के शुभ अवसर पर अपने अपने इष्ट भगवान को पानी वाला या जुटवाला नारियल चढ़ाया जाता है। हमारे सभी पूजन सम्बंधित शास्त्रों में नारियल को बहुत ही पवित्र माना गया है और इसको चढ़ाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण भी है। ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म में किसी की बलि नहीं दी जाती, बल्कि नारियल को फोड़कर बली के रूप में चढ़ाया जाता है। लेकिन यदि पूजा में चढ़ा हुआ नारियल को यदि फोड़ते समय वो अंदर से खराब निकल आए, तो इसका क्या मतलब होता है। आइए जानते है।
कुछ लोगों का मानना है कि अगर पूजा का नारियल खराब निकलता है, तो ये एक अशुभ संकेत होता है। लेकिन ऐसा नहीं है, यदि पूजा का नारियल खराब निकले तो ये एक शुभ संकेत होता है। धर्म शास्त्रियों का कहना है कि-यदि पूजा का नारियल खराब निकले तो,इसका अर्थ है कि-भगवान ने आपके प्रसाद को स्वीकार कर लिया है और अब भविष्य में आपको अच्छे फल प्राप्त होंगे।
कुछ लोगों की ये भी धारणा होती है की-यदि नारियल फोड़ने पर अंदर से खराब निकले तो,उसे अशुभ नहीं समझे बल्कि इसे भगवान ने स्वीकार कर लिया है,ये माने।जबकि ये बिलकुल गलत कथन है।क्योकि भगवान का भोग लगाकर आपको देने पर वो खराब नहीं,बल्किवो साफ़ और अच्छे रूप में नारियल निकलना ही शुभ होता है।
जब हम अपनी किसी भी लौकिक अलौकिक मनोकामना की पूर्ति के बदले अपने मनोभावों में सुधार के स्थान पर देव देवी को एक त्याग के रूप में अपना संकल्प को किए वस्तु के रूप में देते है की-हे देव या देवी मैं अपनी इस मनोकामना की पूर्ति के लिए आपको अपना ये नियम समर्पित करता या करती हूँ।तब हमने जो वस्तु ईश्वर पर अर्पित की वो कोई भी हो सकती है।यो संसार में मनुष्य की भावनाओं के रूप में सबसे उत्तम और पूर्ण नारियल होता है।नारियल में ऊपर जूट मनुष्य के शरीर के बाल है,अंदर का कठोर खोल मनुष्य की तरहां उसका परिश्रम से निर्मित कठोर मासपेशियों से भरा सभी कथानाइयों को झेलने वाला संकल्पित शरीर है और नारियल की गिरी की भांति मनुष्य का ह्रदय स्वच्छ और विनम्र है और मीठे जल जेसी मनुष्य की वाणी है और उसका बीज मनुष्य में भी स्थित मूल बीज है जिससे मनुष्य की पुनः सृष्टि होती है।ये सब गुण मनुष्य में होने चाहिए और होते है।अब जब हम ऐसा नारियल अपनी मनोकामना को चुनते है।तब भाग्य वश हमें प्राप्त होता है-अच्छा या खराब नारियल।ये हमारी दूषित और दोषपूर्ण मनोकामना का भी प्रतीक है की-हमारी जो भी मनोकामना है वो शुभ नहीं है।वो किसी भी अन्य के प्रति द्धेष भरी या अनावश्यक जिद्द भरी है की-ऐसा हो जाये।और दूषित खराब निकला नारियल ये बता रहा है की-तुम और तुम्हारी मनोकामना सही भाव की नहीं है,यो उसे त्याग दो और साथ ही शुभ संकल्प या शुभ विचार से भरी मनोकामना ईश्वर पर अर्पित करो।यो ये खराब नारियल को अंदर से सही से निरक्षण कर देख कर भी जाना जाता है की-आपकी मनोकामना में क्या दोष है।
जेसे-उसमें खराब बरुदा यानि गिरी का बारीक़ काला रेत सा निकलना-आपका धन व्यर्थ जगहां खर्च होगा या फंसेगा।कोई भी गुप्त योजना या सट्टे से कमाया धन नहीं फलेगा या वहाँ हानि होगी।गुप्त शत्रु प्रबल होकर गुप्त रूप से हानि देंगे।यो अपनी योजना नहीं बताये और गुप्त साधना अनुष्ठान करने से लाभ होगा,ये देव का आपकोसंकेत व् उपाय है।
-जगह जगह से गला सड़ा निकलना-शरीर या कारोबार में जगहां जगहां से हानि होगी और कोई गुप्त रोग शरीर में पनप रहा है।केंसर या कोई भयंकर संक्रमण रोग इंफेक्शन बन रहा है।और जो मनोकामना है,उसमे खोट है।उस योजना को सही से बनाकर फिर से करें,तब लाभ होगा।
बिलकुल काला निकलना-आपकी मनोकामना सही नहीं है,उसमे भक्ति कम और अधिकार और घमंड अधिक है।यो ये देव को स्वीकार नहीं भक्ति पैदा करें तब कृपा होगी।और इस मनोकामना का अंत बड़ा दुखद होगा।यो इसपर विचार नहीं करें और अर्थ है की-इस मनोकामना या योजना का भविष्य अन्धकार भरा है।नवीनता से कार्य करें और फिर से प्रयास करें।
धूसर रंग के गंदे से धब्बे धब्बे से निकलने-आपकी योजना या मनोकामना पर आगे चलकर ग्रहण लगने वाला है।यो मनोकामना के पीछे छिपे अपने मनोरथ पर विचार करें।प्रेम मनोरथ है तो दूसरी तरफ से मिश्रित प्रेम है।सही नहीं और व्यापार या रोग या सिद्धि मनोरथ है तो,मिश्रित परिणाम मिलेंगे
सुखी पपड़ी या बरुदा निकले तो-प्रारम्भ में तो धन या अन्य लाभ होगा, पर इसके अंत में वो वेसे से चला जायेगा।
बुंदकि बुंदकी से निशान निकले-तो आपकी मनोकामना में अनेक पार्टनरशिप से हल निकलेगा और II पूरा फल नहीं मिलेगा।
टुकड़े टुकड़े में नारियल बंट जाये-तो आपको अपनी मनोकामना का फल भविष्य में टुकड़ों में मिलेगा और बार बार प्रयत्न करना पड़ेगा।
उपाय:-यो तुरन्त ही ईश्वर से अपने संकल्प को लेकर क्षमा माँगे और नया नारियल लेकर इष्ट या गुरु या ईश्वर के ऊपर अपनी मनोकामना को छोड़कर शुद्ध संकल्प मनोरथ से उनके चरणों में चढ़ाये या फोड़ें।तब ईश्वर स्वयं तुम्हारे क्या शुभ रहेगा,उसे अवश्य पूर्ण करेंगे।और वही तम्हारा ईश्वर या शुभ संकल्प से बदला हुआ नवीन भाग्य है। और यदि आपका नारियल स्वच्छ निकला यो आपकी मनोकामना शुभ और सफल होगी।
गुरु और इष्ट मंत्र को निरन्तर गुरु विधि से जपने वाले और सेवा और अधिक सेअधिक दान करने वाले भक्तों पर सदा ही गुरु और इष्ट कृपा स्वयं ही बनी रहती है।
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अगर आप अपने जीवन में कोई कमी महसूस कर रहे हैं घर में सुख-शांति नहीं मिल रही है? वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मची हुई है? पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा है? कोई आपके ऊपर तंत्र मंत्र कर रहा है? आपका परिवार खुश नहीं है? धन व्यर्थ के कार्यों में खर्च हो रहा है? घर में बीमारी का वास हो रहा है? पूजा पाठ में मन नहीं लग रहा है?
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श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः