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भाजपा के पक्ष में नहीं दिख रहे वोटर गुजराती वोटर, यकीन नहीं आये तो पढ़ लीजिये ये रिपोर्ट

 

 

इस बार गुजरात की जनता भाजपा के पक्ष में कम दिख रही है या यूँ कहें कि इस बार गुजरात में शायद कोई और भी है जो भाजपा को सीधे टक्कर दे रहा है।
नोटबंदी और जीएसटी से गुजरात की जनता खासी नाराज दिख रही है। जीएसटी के बाद जिस तरह व्यापारी वर्ग सड़कों पर आया उससे तो यही लग रहा है। भले ही बीजेपी की केंद्र सरकार ने जीएसटी की दरें घटा दी हों बाबजूद इसके गुजरात की जनता इन सबसे सन्तुष्ट होती नजर नहीं आ रही है।

2014 में मोदी के जाने के बाद गुजरात में भाजपा का गिराफ लगातार गिरा है यही नहीं 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी ने गुजरात की जनता को जबर्दस्त परेशान किया ठीक इसके एक साल बाद भी परिणाम अनुकूल नहीं आये जिससे जनता और खासी नाराज हो गयी। इसके बाद जीएसटी की दरों ने गुजरात के व्यापारीगण की नाराजगी को और बढ़ा दिया।

यही कारण है कि गुजरात के सौराष्ट्र की हवा इस बार कुछ बदली-बदली सी है। 2012 में इस इलाके की 48 में से 30 सीटें जीतने वाली भाजपा के लिए कांग्रेस की चुनौती भारी पड़ रही है।
जूनागढ़, जामनगर, पोरबंदर, द्वारका और राजकोट में भाजपा की परंपरागत सीटों पर भी इस बार कड़ा मुकाबला है। पीएम नरेंद्र मोदी के गुजरात से दिल्ली चले जाने का दर्द यहां सबकी जुबान पर है।

मोदी को लेकर एक खास किस्म का लगाव और अपनापन तो यहां दिखता है लेकिन 2014 के बाद से आनंदीबेन और विजय रुपाणी की सरकार से लोग रिश्ता नहीं जोड़ पाए हैं।

इसके अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रवैये को लेकर तमाम कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी है। कोई खुलकर आलोचना करने से डरता है लेकिन ‘ऑफ द रिकॉर्ड’ बोलने में किसी को कोई परहेज नहीं।

उक्त पांचों जिलों के करीब 40 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा करने के बाद साफ है कि इस बार यह नाराजगी वोट प्रतिशत पर भी असर डालेगी और सीटों पर भी।

भाजपा के तमाम नेता दबी जुबान से कह रहे हैं कि लोगों के पास कोई विकल्प न होना एक मजबूरी है और इसका फायदा भाजपा को ही मिलेगा, लेकिन अबकी बार जो सरकार बनेगी वह पहले से और कमजोर होगी।

ज्यादातर लोग मान रहे हैं कि इस बार मुद्दों से ज्यादा अहम पार्टी के अंदरूनी झगड़े और सरकार से लोगों की नाराजगी है। हालांकि भाजपा के निचली कतार के कार्यकर्ता रटे रटाए अंदाज में नोटबंदी और जीएसटी के दूरगामी फायदे गिना रहे हैं, लेकिन यह भी कह रहे हैं कि हमें जो कहा गया है वो तो करना ही है।
कोई 70 तो कोई 90 सीटों पर भाजपा की जीत की जता रहा उम्मीद

पोरबंदर की सीमा पर पुलिस वाले गाड़ियों की तलाशी ले रहे हैं। बातचीत करने पर नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट दे दी है और इस बार भाजपा का 70 से ऊपर जाना मुश्किल है।

यही बात जामनगर और जूनागढ़ के दो पुलिस वालों ने कही। उनके अनुसार भाजपा इस बार 90 से ऊपर नहीं जाने वाली। ऐसे में सरकार बनेगी भी तो बड़ी मुश्किल से।

सौराष्ट्र की सीटों में पुलिस वाले इस बार कांग्रेस को 48 में से 25 दे रहे हैं। उनका कहना है कि वे गांव-गांव ड्यूटी कर रहे हैं और लोगों की नाराजगी देख रहे हैं। सब मानते हैं कि 2012 तो मोदी जी की वजह से जीते, लेकिन अब मोदी नहीं तो भाजपा नहीं। इन लीडरों को कोई नहीं मानता।

कपास व्यवसायी सोमवार से हड़ताल पर जाने की धमकी दे रहे हैं। ग्रेटर राजकोट चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष धनसुख वोरा बताते हैं कि जीएसटी से जिस तरह व्यापारी वर्ग नाराज है और जिस तरह 65 हजार करोड़ का रिटर्न अब तक नहीं मिला है, एक्सपोर्ट बंद है, उससे भाजपा को वोट देने को लेकर व्यापारी समाज बुरी तरह बंटा है। ऐसे में गुजरात की और खासकर सौराष्ट्र की जंग इस बार काफी मुश्किल हो गई है।


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