महाराष्ट्र की राजनीति में बम जैसा धमाका हुआ है। विधानसभा चुनाव 2024 के दौरान काटोल में एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर हुए कथित हमले को लेकर अब पुलिस की जांच रिपोर्ट ने जो सच्चाई उजागर की है, उसने पूरे राजनीतिक गलियारे को हिला दिया है।
दरअसल, पुलिस रिपोर्ट में सामने आया है कि जिस घटना को “हमला” बताया गया, वह असल में एक “राजनीतिक साजिश” थी। सहानुभूति और वोट पाने के लिए यह पूरा खेल खुद अनिल देशमुख ने रचा था।

बावनकुले का बड़ा हमला: “सहानुभूति के लिए खुद ही हमला करवाया”
राजस्व मंत्री और नागपुर-अमरावती के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने इस खुलासे पर सीधा निशाना साधते हुए कहा,
“क्या कोई इंसान 10 किलो का पत्थर उठाकर किसी पर फेंक सकता है? जबकि शिकायत में यही दावा किया गया था। सच तो यह है कि अनिल देशमुख को पहले ही समझ आ गया था कि जनता उन्हें और इंडिया गठबंधन को नकार चुकी है। इसलिए उन्होंने खुद पर हमला करवाने की साजिश रची, ताकि सहानुभूति हासिल कर सकें।”
बावनकुले ने आगे कहा,
“जब जनता के बीच नहीं जाएंगे, घोटाले करेंगे और जवाबदेही से भागेंगे, तो हार निश्चित है। लेकिन सहानुभूति पाने के लिए खुद पर हमला करवाना राजनीति पर एक और दाग है।”
पुलिस जांच ने खोली पोल: “हमला पूरी तरह फर्जी”
18 नवंबर 2024 को अनिल देशमुख की गाड़ी पर पत्थरबाजी की जो घटना बताई गई थी, पुलिस जांच में वह पूरी तरह झूठी साबित हुई।
पुलिस ने कोर्ट में ‘बी सारांश’ रिपोर्ट दाखिल करते हुए कहा कि मामला फर्जी है और शिकायतकर्ता के खिलाफ ही मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी गई है।
देशमुख के निजी सहायक उज्ज्वल भोयर ने शिकायत दी थी कि चार अज्ञात लोगों ने उनकी कार पर पत्थर फेंके, जिससे देशमुख घायल हो गए।
लेकिन फोरेंसिक जांच में पता चला:
- कार का शीशा इतनी आसानी से नहीं टूट सकता।
- चोट के निशान पत्थरबाजी से मेल नहीं खाते।
- घटनास्थल से कोई सबूत नहीं मिला।
- सीसीटीवी फुटेज में किसी हमलावर का कोई सुराग नहीं।
इन सभी तथ्यों से यह साफ हो गया कि कथित हमला एक राजनीतिक नाटक था, जिसे सहानुभूति और वोट पाने के लिए खुद रचा गया।
“यहां तो खुद पीड़ित ही साजिशकर्ता निकला”
बावनकुले ने तीखे शब्दों में कहा,
“यहां तो खुद पीड़ित ही साजिशकर्ता निकला। जनता अब इन चालों को समझ चुकी है और झूठे नाटकों से कोई फायदा नहीं होगा।”
बड़ा सवाल: क्या राजनीति में यह नया ट्रेंड है?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है —
क्या हारती हुई राजनीति में सहानुभूति पाने के लिए खुद पर हमले की कहानी गढ़ना नया ट्रेंड बन गया है?
या फिर यह हारती सियासत की आखिरी चाल है?
जो भी हो, इस खुलासे के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया है। अनिल देशमुख की सियासी साख पर बड़ा सवालिया निशान लग गया है और चंद्रशेखर बावनकुले के बयान ने चुनावी माहौल को और भी गरमा दिया है।
Bureau Report : Khabar 24 Express
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