
न्यूज़ देखने से या पढ़ने से पहले हम खासकर अपने उत्तर प्रदेश के दर्शकों से बस यही अपील करना चाहेंगे कि आप यह न्यूज़ जरूर देखें और अधिक से अधिक संख्या में शेयर करें। अगर आप अपने क्षेत्र, अपने चहेतों से प्यार करते हैं तो इस न्यूज़ में दिखाई जा रही एक-एक तस्वीर को बड़े ही ध्यान से देखें, ये तस्वीरें झूंठी नहीं हैं, बनावटी नहीं हैं। ये तस्वीरें कोरोना की दुसरी लहर की हैं। यूपी में चुनावी माहौल चल रहा है वहीं कोरोना भी अपने खेल खेल रहा है। दूसरी लहार खत्म होने के बाद कोरोन जिस तेजी से बढ़ रहा है उसे देखकर लग रहा है कि तीसरी लहर का कहर दूसरी लहर से भी ज्यादा खतरनाक होगा। वहीं WHO ने चेताया है कि ओमिक्रॉन के मामलों में तेजी आ सकती है। मौतों के आंकड़े भी बढ़ सकते हैं। ब्रिटेन में हुई ओमिक्रॉन से पहली मौत ने एक तरह से रेड अलर्ट जारी कर दिया है, लेकिन भारत में चुनावी माहौल में टेस्टिंग की रफ्तार घट गई है। कई राज्यों में तो टेस्टिंग के आकंड़े भी डैश बोर्ड पर दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। यह बात गंभीर इसलिए हैं क्योंकि जीनोम सीक्वेंसिंग में यही आंकड़े काम आते हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग ही वह जरिया है जिससे वायरस का नेचर पता लगाया जाता है कि वह कितना खतरनाक है।
UP, पंजाब समेत चुनावी राज्यों में दर्ज नहीं हो रहे आंकड़े, बंगाल चुनाव बाद हुआ था कोरोना विस्फोट
WHO ने चेताया है कि ओमिक्रॉन के मामलों में तेजी आ सकती है। मौतों के आंकड़े भी बढ़ सकते हैं। ब्रिटेन में हुई ओमिक्रॉन से पहली मौत ने एक तरह से रेड अलर्ट जारी कर दिया है, लेकिन भारत में चुनावी माहौल में टेस्टिंग की रफ्तार घट गई है। कई राज्यों में तो टेस्टिंग के आकंड़े भी डैश बोर्ड पर दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। यह बात गंभीर इसलिए हैं क्योंकि जीनोम सीक्वेंसिंग में यही आंकड़े काम आते हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग ही वह जरिया है जिससे वायरस का नेचर पता लगाया जाता है कि वह कितना खतरनाक है।
इधर रैलियों में जुट रही लाखों की भीड़ को देखकर इसी साल अप्रैल में मद्रास हाईकोर्ट चुनाव आयोग को लगाई फटकार याद आती है। अप्रैल 2021 में हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार ठहराया था। मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. बनर्जी ने सुनवाई के दौरान कहा था कि चुनाव आयोग ही कोरोना की दूसरी वेव का जिम्मेदार है। कोर्ट ने यहां तक कहा था कि चुनाव आयोग के अधिकारियों पर अगर मर्डर चार्ज भी लगाया जाए तो गलत नहीं होगा। हालांकि चुनाव आयोग शायद उस फटकार को भूल चुका है। तभी रैलियों की अनुमति बिना रोकटोक मिल रही है।
अगर हम सरकारी डैश बोर्ड पर आंकड़ों को चेक करें तो कम से कम 4 राज्य ऐसे हैं जिनमें 30 अक्टूबर के बाद के टेस्टिंग के आंकड़ों को दर्ज ही नहीं किया गया। इसमें सबसे बड़ा राज्य UP भी शामिल है। अगले साल यहां चुनाव होने हैं, लिहाजा रैलियों पर जोर दिया जा रहा है। हाल ही में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के दौरान PM को सुनने हजारों की तादाद में लोग इकट्ठे हुए। दूसरी तरफ गोवा में तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी एक के बाद एक रैलियां और जनसभाएं करने में लगी हैं। डैश बोर्ड में टेस्टिंग के आंकड़े यहां भी 30 अक्टूबर के बाद जीरो ही नजर आते हैं। मध्य प्रदेश का भी यही हाल है।
बता दें कि काशी में प्रधानमंत्री मोदी की एक जनसभा के दौरान जनसैलाब उमड़ा था। भीड़ को दिखाने के लिए भाजपा नेताओं ने जी जान लगा दी थी। लाखों की भीड़ इकट्ठी करने के लिए लोगों को लालच दिया गया था और पैसे भी बांटे गए थे जिसके वीडियो भी वायरल हुए। लेकिन जरा सोचिए… देश में कोरोना का प्रकोप चल रहा है। एक जरा सी गलती न जाने कितनी जानों पर बन आएगी। पीएम मोदी चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं उन्हें भीड़ पसंद आ रही है। लेकिन वे यह भूल रहे हैं कि बंगाल चुनाव के दौरान क्या हुआ था?
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद से बात करने पर उन्होंने बस इतना भर कहा- टेस्टिंग जारी है। आंकड़ों को दर्ज करने का काम दूसरी टीम करती है। दूसरे राज्यों स्वास्थ्य सचिवों से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने डैश बोर्ड पर नदारद आंकड़ों को गंभीरता से ही नहीं लिया।
PM मोदी ने मई, 2021 में प्रति दिन 40-45 लाख रोजाना टेस्टिंग का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस तय लक्ष्य के मुकाबले आंकड़ों की जमीनी हकीकत बेहद खराब नजर आती है। अगर 15 सितंबर से लेकर 15 दिसंबर के बीच के आंकड़ों का ग्राफ देखें तो यह घटता बढ़ता ही नजर आता है। इतना ही नहीं, यह तय लक्ष्य से भी काफी दूर दिखता है। 15 सितंबर को टेस्टिंग का आंकड़ा 16 लाख से ज्यादा पहुंचा था।
रैलियों और जनसभाओं में इकट्ठी होती भीड़ और टूटते प्रोटोकॉल अब तस्वीरों में साफ नजर आने लगे हैं। VIP से लेकर आम जन तक मास्क और दो गज की दूरी नदारद है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता डॉक्टर आशुतोष वर्मा से जब पश्चिमी UP में हुई रैली और आगे के प्लान के विषय में पूछा गया तो उनका कहना था- ‘PM और सत्ताधारी दल जो मिसाल कायम करेंगे, उस पर ही दूसरे चलेंगे।’
आखिर राज्य की सरकारों ने प्रशासन को प्रोटोकॉल फॉलो करवाने के दिशा निर्देश क्यों नहीं दिए। रैलियों और जनसभाओं की अनुमति प्रशासन कैसे दे रहा है? यूपी में समाजवादी दल भी सत्ता में रहा है। तो क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं?
बिल्कुल है। पर, अनुमति देने वाला प्रशासन किसका है? UP में कांग्रेस प्रेसिडेंट अजय सिंह लल्लू भी कुछ इसी अंदाज में सत्ताधारी भाजपा दल पर सवाल खड़े नजर आते हैं। खुद की जवाबदेही पर सवाल के जवाब में वे प्रदेश की योगी सरकार के रवैए पर सवाल खड़े करते हैं।
भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता भारती घोष से जब चुनावी रैलियों के बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था- अब तक 1.38 बिलियन वैक्सीन लगाई जा चुकी हैं। यह मोदी जी की वजह से संभव हुआ। भारत कोरोना जैसे संकट से भी PM मोदी की वजह से निपट पाया। उनसे जब पूछा गया कि पिछले साल कुंभ जैसे आयोजन को प्रतीकात्मक करने का निर्णय PM ने लिया था। इस बार क्या चुनावी रैलियों पर कोई लगाम लगाने का प्लान है? जवाब मिला- ‘कोरोना के भयंकर विस्फोट को रोकने के लिए PM ने कुंभ को प्रतीकात्मक करने का फैसला लिया। अनगिनत जानें बचाने के लिए देश PM के लिए कृतज्ञ है। जब तक मोदी हमारे PM हैं तब तक सारा विपक्ष चैन की नींद सो सकता है।’
हालांकि, इसका जवाब नहीं मिला की भाजपा चुनावी रैलियों को लेकर क्या कोई संदेश दूसरे दलों को देगी।
भाजपा सूत्रों की मानें तो 6 बड़ी रैलियां उत्तर प्रदेश में आयोजित होनी हैं। इसमें वाराणसी, बुंदेलखंड और लखनऊ शामिल हैं। कांग्रेस भी पीछे नहीं है। उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में 3-4 बड़ी रैलियों के आयोजन की तैयारी है। समाजवादी पार्टी ने पश्चिमी यूपी से रैलियों की शुरुआत कर दी है। कुल मिलाकर UP में चुनावी माहौल अब बनने लगा है। भीड़ जुटने लगी है।
पश्चिम बंगाल की भयावह यादें दिमाग में तैरने लगी हैं
पश्चिम बंगाल में हुईं ताबड़तोड़ रैलियों का नतीजा यह हुआ था कि देश में चुनाव की तारीख घोषित होते वक्त, यानी 2 फरवरी को कोरोना के मामले 11,039 थे। जबकि, नतीजे के बाद 6 मई को यह आंकड़ा 4 लाख, 14 हजार पहुंच गया। राज्य की बात करें तो 2 फरवरी में 200 मामले कोरोना के थे। मतदान का आखिरी चरण आते-आते यह आंकड़ा 900 फीसदी बढ़ गया।
यह आंकड़े काल्पनिक नहीं बल्कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के हैं। पहले चरण, यानी 25 मार्च को यह आंकड़ा 516 था, दूसरे चरण के चुनाव में यह आंकड़ा 982 हो गया, तीसरे चरण, यानी 6 अप्रैल को 2058, चौथे चरण 4043, पांचवें चरण में 4817, छठवें चरण में 8426, सातवें चरण में 12876 और आठवें चरण में आंकड़ा 17,000 को पार कर गया था।
तकरीबन 6 महीने पहले जब देश कोरोना की सेकेंड वेव के खतरे से जूझ रहा था। उस वक्त पश्चिम बंगाल में ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां जारी थीं। चुनाव प्रचार के दौरान हजारों की भीड़ वाली रैलियां और रोड शो किए गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में 18 रैलियां कीं। गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 30, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2, और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने करीब 100 रैलियां की थीं। इनमें ‘दो गज़ की दूरी’ और मास्क दोनों गायब थे। आलम यह हुआ कि वहां कोरोना का विस्फोट हुआ और लाखों लोग मारे गए थे। बस यूपी में भी वैसा ही हो सकता है और इसकी जिम्मेदारी फिर से पीएम की होगी, भाजपा की होगी।
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