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शिवसेना का भाजपा पर एफआरडीआई बिल को लेकर जबरदस्त आरोप, केंद्र सरकार लोगों का पैसा लूटने के लिए बना रही है बड़ी योजना

 

भाजपा पर उसी की सहयोगी पार्टी शिवसेना भाजपा पर बड़ा आरोप लगा रही है। शिवसेना ने आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार अब लोगों के बैंक अकाउंट पर हमला बोलने वाली है। वो किसी भी तरह से गरीबों के पैसे को लूटकर अमीरों की जेबें भरने की सोच रही है जो बहुत गलत है।
शिवसेना ने वित्तीय समाधान एवं जमा बीमा विधेयक 2017 को लेकर अपने मुखपत्र सामना के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने सामना में लिखे एक लेख में केंद्रीय सरकार पर लोगों को लूटने का आरोप लगाया है।
शिवसेना का ये बड़ा आरोप तब आया है जब गुजरात में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं। शिवसेना यहाँ कई जगह पर अपने कैंडिडेट्स खड़े कर चुकी है।
सामना के संपादकीय में लिखा है, केंद्रीय सरकार के प्रस्तावित एफआरडीआई के बाद, लोगों के बीच एक बड़ा डर है, क्योंकि यह बिल बैंकों को जमाकर्ताओं के पैसे का उपयोग करने में नाकाम रहने पर डिफॉल्ट होने की अनुमति देता है।

लेख में आगे लिखा है, यह बिल सत्ताधारी सरकार को बैंक के डिफॉल्ट होने की स्थिति में जमाकर्ताओं की रकम इस्तेमाल करने की ताकत देता है। सरकार का यह बिल बैंक यह आदेश देने का अधिकार देता है कि आपने बैंक के पास आपका पैसा रखने का अधिकार नहीं है, भले ही आपकी गाढ़ी कमाई बैंक के पास जमा हो। आपको बता दें कि सरकार ने अगस्त 2017 में लोकसभा में एफआरडीआई बिल पेश किया था। जिसे संसद की संयुक्त समिती को भेजा गया था। इस बिल पर ससंद के शीतकालीन सत्र में चर्चा होनी है।

हालांकि इस प्रस्तावित बिल पर उठी संशाओं पर स्थिति साफ करते हुए वित्त मंत्रालय ने सफाई दी थी। वित्त मंत्रालयल ने गुरुवार को बयान जारी कर कहा था कि एफआरडीआई बिल जमाकर्ताओं के हित में है और इसमें उनके लिए वर्तमान कानून की तुलना में अच्छे प्रावधान किए गए है। इस विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति विचार कर रही है।

दरअसल लगातार ऐसी बातें सामने आ रही है, जिसमें आशंका व्यक्त की जा रही है कि शीत कालीन सत्र के दौरान पेश होने वाले एफआरडीआई बिल में सरकार ऐसा कानून बनानी की तैयारी में है जिसमें यह प्रावधान होगा कि अगर कोई बैंक दिवालिया होता है तो उसे जमाकर्ता को पैसा देना है या नहीं, देना है तो कितना देना है जैसे सभी तरह के अधिकार बैंक के पास होंगे।
मतलब यह कि बैंक में जमाकर्ताओं के पैसे की कोई गारंटी नहीं है। इतना ही नहीं संसद द्वारा क़ानून बन जाने के बाद जामाकर्ता अपने पैसे डूबने की शिकायत अदालत में भी नहीं कर सकता है। इसके बाद चारों ओर इस बिल को लेकर वाद-विवाद का दौर शुरू हो गया है। इसी क्रम में बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है।


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