Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Breaking News / दशहरा और विजयादशमी में क्या है फर्क? जानिए क्यों एक ही दिन मनाए जाते हैं ये दो पावन पर्व, क्या है इसका इतिहास और धार्मिक महत्व

दशहरा और विजयादशमी में क्या है फर्क? जानिए क्यों एक ही दिन मनाए जाते हैं ये दो पावन पर्व, क्या है इसका इतिहास और धार्मिक महत्व

मनीष कुमार अंकुर | Khabar 24 Express : भारत को त्योहारों की भूमि कहा जाता है, और इनमें से सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है दशहरा या विजयादशमी

हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत और धर्म की अधर्म पर विजय का प्रतीक है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि दशहरा और विजयादशमी में अंतर क्या है, ये दोनों त्योहार एक साथ क्यों मनाए जाते हैं, और इस दिन वास्तव में क्या हुआ था? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब और इस पर्व का पूरा इतिहास।


दशहरा क्या है? बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व

‘दशहरा’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – दश (दस) और हारा (हारना), जिसका अर्थ है “दस सिर वाले रावण का हार जाना”। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्रीराम ने राक्षस राजा रावण का वध कर अधर्म और अन्याय का अंत किया था

दशहरा को राम-रावण युद्ध में सत्य और न्याय की विजय का प्रतीक माना जाता है। देशभर में इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई के अंत और अच्छाई के उत्सव का संदेश देता है।


विजयादशमी क्या है? शक्ति और विजय का प्रतीक

विजयादशमी का अर्थ है “विजय प्राप्त करने वाली दशमी”। यह पर्व देवी दुर्गा को समर्पित है। मान्यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों तक शक्ति की आराधना के बाद दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था और देवताओं तथा मानव जगत को उसके आतंक से मुक्त कराया था।

इसीलिए विजयादशमी को शक्ति, साहस और विजय का उत्सव माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर जीवन में हर प्रकार की बुराई और नकारात्मकता को समाप्त करने का संकल्प लिया जाता है।


दशहरा और विजयादशमी एक साथ क्यों मनाए जाते हैं?

हालांकि दशहरा और विजयादशमी के पीछे दो अलग-अलग पौराणिक कथाएं हैं – एक भगवान राम और रावण से जुड़ी और दूसरी मां दुर्गा और महिषासुर से – लेकिन दोनों का मुख्य संदेश एक ही है: बुराई पर अच्छाई की विजय

इतिहास और धार्मिक मान्यता के अनुसार, दोनों घटनाएं एक ही तिथि – आश्विन शुक्ल दशमी – को हुई थीं, इसलिए दोनों पर्व एक साथ मनाए जाते हैं।


इस दिन का धार्मिक और सामाजिक महत्व

  1. धर्म की जीत: यह पर्व सिखाता है कि सत्य और न्याय हमेशा अन्याय और झूठ पर भारी पड़ते हैं।
  2. शक्ति की उपासना: विजयादशमी हमें जीवन में साहस, शक्ति और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
  3. सामाजिक एकता: यह त्योहार समाज में एकजुटता और बुराई के खिलाफ संघर्ष की भावना को मजबूत करता है।


और अंत में

चाहे भगवान श्रीराम द्वारा रावण का वध हो या मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का संहार, दशहरा और विजयादशमी दोनों ही अच्छाई, साहस, धर्म और शक्ति की जीत के प्रतीक हैं। ये पर्व हमें यह याद दिलाते हैं कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत सदा सत्य और धर्म की ही होती है।


मनीष कुमार अंकुर, खबर 24 एक्सप्रेस – नई सोच, नया भारत



Discover more from Khabar 24 Express Indias Leading News Network, Khabar 24 Express Live TV shows, Latest News, Breaking News in Hindi, Daily News, News Headlines

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Check Also

दिवाळीनंतर दोन दिवसांत आचारसंहिता लागू होण्याची शक्यता; नगराध्यक्षपद आरक्षण जाहीर

दिवाळीनंतर दोन दिवसांत आचारसंहिता लागू होण्याची शक्यता; नगराध्यक्षपद आरक्षण जाहीर

Leave a Reply