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RSS के 100 साल का स्वर्णिम इतिहास: नागपुर की धरती बनी राष्ट्रभक्ति और संगठन की साक्षी

RSS के 100 साल Nagpur की धरती बनी इस ऐतिहासिक पल की साक्षी | Khabar 24 Express

Manish Kumar Ankur | नागपुर : राष्ट्रनिर्माण, संगठन और देशभक्ति की एक सदी… राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने आज अपने 100वें स्थापना दिवस का भव्य आयोजन नागपुर के ऐतिहासिक रेशमबाग मैदान में किया। विजयादशमी के इस विशेष अवसर पर हजारों स्वयंसेवक एक साथ खड़े होकर उस संगठन के शताब्दी वर्ष का उत्सव मना रहे हैं जिसने पिछले सौ वर्षों में भारत की आत्मा को नया स्वरूप दिया है।

1925 से 2025: एक विचार से बना विश्व का सबसे बड़ा संगठन

वर्ष 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने विजयादशमी के दिन नागपुर में जिस छोटे से विचार का बीज बोया था, वह आज विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन के रूप में वटवृक्ष बन चुका है। आरएसएस केवल एक संगठन नहीं, बल्कि भारत की एकता, स्वाभिमान और आत्मनिर्भरता की एक विचारधारा है, जिसने देश की दिशा और दशा दोनों को बदलकर रख दिया।

स्वयंसेवकों ने गांव-गांव तक पहुंचकर शिक्षा, संस्कार, स्वदेशी, सुरक्षा और सेवा की नई मिसालें कायम कीं। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर प्राकृतिक आपदाओं तक हर संघर्ष में आरएसएस ने निःस्वार्थ भाव से सेवा का परिचय दिया। यही कारण है कि आज यह संगठन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रप्रेम और सेवा का पर्याय बन चुका है।

शताब्दी समारोह की भव्य शुरुआत

2025 से 2026 तक संघ का शताब्दी वर्ष मनाया जाएगा, और आज की विजयादशमी इस ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है। नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित मुख्य समारोह में करीब 21,000 स्वयंसेवक शामिल हुए। इस अवसर पर घाना, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, इंडोनेशिया और ब्रिटेन जैसे देशों के प्रतिनिधियों ने भी उपस्थिति दर्ज कराते हुए आरएसएस के वैश्विक प्रभाव को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले सहित कई प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी ने इस ऐतिहासिक पल को और भी खास बना दिया।

संगठन नहीं, राष्ट्रनिर्माण का संकल्प

आरएसएस की यात्रा केवल एक संगठन की नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की कहानी है — त्याग, तपस्या, संस्कार और सेवा की कहानी। इस संगठन ने हर पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति का अर्थ सिखाया और हर भारतीय के दिल में भारत माता के प्रति समर्पण की लौ प्रज्वलित की।

आज जब भारत “विश्व गुरु” बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तो उसके पीछे आरएसएस की वही अनथक यात्रा है जिसने देश को एक सूत्र में बांधकर रखा और हर भारतीय में राष्ट्रभावना को सशक्त बनाया।

नागपुर से शुरू होकर विश्व तक

नागपुर की धरती से शुरू हुआ यह विचार आज विश्वभर में भारत की पहचान बन चुका है। आरएसएस की राष्ट्रभक्ति और सेवा की यह गंगा आने वाली शताब्दियों तक बहती रहेगी और भारत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को उसके शताब्दी वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। आइए, हम सब मिलकर उस सशक्त, एकजुट और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना योगदान दें जिसका सपना हमारे पूर्वजों ने देखा था।

जय हिंद, जय भारत।


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