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RSS के 100 गौरवशाली वर्ष: राष्ट्रसेवा और संस्कृति के प्रतीक बने Chandrashekhar Bawankule

RSS के 100 गौरवशाली वर्ष Chandrashekhar Bawankule का समर्पण और राष्ट्र आराधना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष का ऐतिहासिक पर्व नागपुर की पवित्र धरती पर बड़े ही धूमधाम और गर्व के साथ मनाया गया। यह केवल एक समारोह नहीं था, बल्कि सौ वर्षों से चली आ रही राष्ट्रसेवा, संस्कृति और समर्पण की उस परंपरा का भव्य उत्सव था, जिसने भारत की पहचान को और भी सशक्त और गौरवशाली बनाया।

इस ऐतिहासिक अवसर पर महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री और नागपुर-अमरावती के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले विशेष रूप से उपस्थित रहे। पूरे आयोजन के दौरान उन्होंने न केवल संघ के प्रति अपना गहरा समर्पण व्यक्त किया, बल्कि राष्ट्रसेवा और “राष्ट्र पहले” की भावना को हर शब्द और हर व्यवहार में जीया।

राष्ट्र आराधना का भव्य पर्व

नागपुर के ऐतिहासिक रेशीमबाग मैदान में जब आरएसएस शताब्दी समारोह का शुभारंभ हुआ, तो वातावरण देशभक्ति और संस्कृति की सुगंध से भर गया। जैसे ही सूर्य की पहली किरणें पड़ीं, ऐसा महसूस हुआ मानो भारत की आत्मा एक नई ऊर्जा के साथ जाग उठी हो।

इस आयोजन में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, सरसंघचालक मोहन भागवत, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित देश-विदेश के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। हर किसी के चेहरे पर भावनाओं की लहर थी और गर्व की चमक दिखाई दे रही थी।

“राष्ट्रसेवा ही मेरा धर्म” – चंद्रशेखर बावनकुले

समारोह से पहले चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा था,
“मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि उस राष्ट्रप्रेरणा और राष्ट्र आराधना की ज्वाला को अपनी आंखों से देख पा रहा हूं, जो पिछले 100 वर्षों से जन-जन के दिलों में जल रही है।”

बावनकुले ने आगे कहा कि RSS का इतिहास केवल एक संगठन की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस विचारधारा की यात्रा है जिसने भारत को आत्मनिर्भरता, राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक गौरव का मार्ग दिखाया। डॉक्टर हेडगेवार से लेकर गुरुजी गोलवलकर और आज मोहन भागवत तक, संघ ने हर दौर में देश की एकता, संस्कृति और चरित्र निर्माण में अमिट योगदान दिया है।

समर्पण और राष्ट्रवाद का प्रतीक

चंद्रशेखर बावनकुले की उपस्थिति और उनके शब्दों ने यह स्पष्ट कर दिया कि उनका जीवन और राजनीति केवल सत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र सेवा की साधना है। उनका समर्पण इस बात का प्रमाण है कि आज भी भारतीय राजनीति में ऐसे नेता मौजूद हैं जो “राष्ट्र पहले” की भावना से प्रेरित होकर कार्य करते हैं।

100 साल की प्रेरणादायक यात्रा

RSS की 100 वर्षों की यह यात्रा हमें सिखाती है कि जब विचार दृढ़ और राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत होते हैं, तो संगठन कालजयी हो जाता है। और जब इन विचारों को चंद्रशेखर बावनकुले जैसे समर्पित और राष्ट्रनिष्ठ नेता आगे बढ़ाते हैं, तो भारत का भविष्य और भी उज्ज्वल और सशक्त बन जाता है।


अगर आप भी मानते हैं कि RSS का इतिहास भारत की आत्मा है और चंद्रशेखर बावनकुले जैसे नेता ही देश को नई दिशा दे सकते हैं, तो इस लेख को शेयर करें और हमारे पोर्टल Khabar 24 Express से जुड़े रहें।

नई सोच, नया भारत — भारत माता की जय।


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