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Dog Lovers को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार: क्या गली-कूचों पर सिर्फ कुत्तों का हक़ है?

Dog Lovers को Supreme court से लगी तगड़ी फटकार | Khabar 24 Express

नई दिल्ली | खबर 24 एक्सप्रेस : अगर आप सुबह सैर पर निकलते हैं, या बच्चों को स्कूल भेजने जाते हैं और अचानक किसी आवारा कुत्ते का झुंड आपके पीछे पड़ जाए, तो यकीनन आप डर से सहम जाते होंगे।
और जब आप इसका विरोध करते हैं, तो कुछ कथित ‘डॉग लवर्स’ आप पर ही चढ़ बैठते हैं, सोशल मीडिया पर आपको ट्रोल करते हैं, धमकाते हैं — जैसे इंसान की ज़िंदगी से बड़ा कुत्ते का भोजन हो गया हो

अब ऐसे ही ‘बड़े दिल’ वालों को सुप्रीम कोर्ट से करारा जवाब मिला है


“अगर इतना ही शौक है तो अपने घर में पालिए” – सुप्रीम कोर्ट

मामला नोएडा का है, जहां एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई कि वो गली के कुत्तों को खाना खिलाता है, लेकिन सोसायटी वाले उसे परेशान करते हैं।
पर कोर्ट ने उसकी दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कहा:

“क्या हर गली, हर सड़क सिर्फ कुत्तों और उन्हें पालने वालों के लिए बना दी जाए? अगर इतना ही प्रेम है, तो घर में रखें, आश्रय बनाएं।”

कोर्ट की यह टिप्पणी उन लाखों नागरिकों की आवाज़ बन गई है, जो रोज़ अपने ही मोहल्लों में डर और असुरक्षा के साए में जीते हैं।


जब जानवरों के नाम पर इंसानों को खतरे में डाला जाए…

  • छोटे बच्चे जो सुबह स्कूल जाते हैं,
  • बुजुर्ग जो शाम को टहलने निकलते हैं,
  • महिलाएं, साइकिल सवार, बाइकर्स —
    इन सबके लिए हर गली अब एक खतरे का मैदान बन चुकी है।

और तब डॉग लवर्स कहां होते हैं?
जो सोशल मीडिया पर कुत्तों के लिए कविता लिखते हैं, वो कभी इंसानी ज़ख्मों के लिए दो शब्द नहीं कहते
Dog love का मतलब इंसान विरोध नहीं हो सकता।


डॉग लवर्स या डॉग एग्रेसर्स?

यह सवाल अब गंभीर होता जा रहा है कि क्या ये तथाकथित डॉग लवर्स जानवरों से ज्यादा अपने एजेंडे से प्यार करते हैं?
कई बार देखा गया है कि जो लोग आवारा कुत्तों के लिए आवाज़ उठाते हैं, वही लोग जब कोई सवाल करता है तो गाली-गलौज, बदतमीज़ी और धमकियों पर उतर आते हैं।

किसी को कुत्तों से प्रेम हो सकता है — लेकिन अगर वह प्रेम दूसरों की जान को खतरे में डाले, तो वह ज़िम्मेदारी नहीं, ज़िद बन जाती है।


कोर्ट का साफ संदेश: इंसानों की सुरक्षा पहले

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा:

“Animal Birth Control Rules का पालन हो — लेकिन इंसानों की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अगर कुत्तों को खिलाना है, तो निजी आश्रय बनाइए, सड़कें किसी की निजी जागीर नहीं हैं।”

यह याचिका दरअसल मार्च 2025 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि
“जानवरों को संरक्षण मिले, लेकिन आम नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है।”


तो क्या अब समय नहीं आ गया कि समाज तय करे – इंसान पहले या अंधी पशु-सेवा?

Dog Lovers का होना गलत नहीं है, लेकिन उनका हिंसक और तानाशाही रवैया अब समाज के लिए खतरा बनता जा रहा है।
कुत्तों के लिए रहम हो — लेकिन इंसानों के लिए भी समझ और सम्मान जरूरी है।


अब आप बताइए — क्या गली के हर मोड़ पर कुत्तों को खाना खिलाना जरूरी है, या इंसानों की सुरक्षा ज़्यादा ज़रूरी?
आपकी राय नीचे कमेंट में ज़रूर लिखें।

ऐसी ही खुलकर और साफ़-सपाट खबरों के लिए जुड़े रहिए… खबर 24 एक्सप्रेस के साथ।


ब्यूरो रिपोर्ट : खबर 24 एक्सप्रेस


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