आप में से बहुत से लोगों ने एक फ़िल्म देखी होगी “तारे जमीन पर” इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी आमिर खान ने और इसी फिल्म में एक बच्चा था ईशान जिसने अहम किरदार निभाया था। फिल्म में ईशान अजीब हरकतें करता है उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता है, शब्दों को उल्टा सीधा लिखता है। यहां तक कि वो रंगों को भी नहीं पहचान पाता है।
ईशान का न तो अपने घर में पढ़ाई में मन लगता है और न ही बोर्डिंग स्कूल में वो कुछ भी ठीक कर पाता है।
सौभाग्य से, एक कला शिक्षक उसकी मदद करता है और उसके माँ बाप को उसकी बीमारी के बारे में बताता है।
तब जाकर पता लगता है कि बच्चे को डिस्लेक्सिया है। जिसके बाद वो उसकी क्षमता को पहचानने में मदद करता है।
अब आपमें में से बहुत से लोग यह सोच रहे होंगे कि ये डिस्लेक्सिया है क्या बला? इसका जीवन पर कैसे प्रभाव पड़ता है? क्या यह इतनी खतरनाक बीमारी है? तो आपको बता दें कि इस बीमारी से महान हस्तियां भी अछूती नहीं रही हैं। टेलीफोन के निर्माता एलेक्जेंडर ग्राहम बेल और वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन भी डिस्लेक्सिया से पीड़ित थे। हालांकि उन्होंने डिस्लेक्सिया को कभी खुद पर हावी नहीं होने दिया। भारत में 3 करोड़ से अधिक बच्चे डिस्लेक्सिया से पीड़ित हैं।
लेकिन भारत में अब इसका सस्ता और अच्छा इलाज संभव है। जहां लाखों रुपये डिस्लेक्सिया से उभरने में लगते हैं वहीं भारत में एक ऐसी शख्सियत हैं जिन्होंने एक वेब टूल की मदद से डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को निकलाने में मदद की है।
इसी पर हमनें बात की है अल्पा निगम से, कैसे वो ‘अनलॉकिंग लिटरेसी’ नामक वेब टूल से भारत में डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों की मदद कर रही हैं। इस बेहतरीन कार्य में “लैंग्वेज एंड लर्निंग फाउंडेशन” यानि “एलएलएफ” भी अपना सहयोग दे रहा है।
👉 इस वीडियो के माध्यम से आप Dyslexia को अच्छे से समझें :