
आज यानी रविवार 12 फरवरी को पीएम मोदी राजस्थान दौरे पर आ रहे हैं। पीएम यहां जिले के धनावड़ में 18,100 करोड़ रुपए से अधिक लागत की सड़क विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करेंगे। इसके बाद विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। चुनावी साल में पीएम मोदी का यह दूसरा दौरा है। इससे पहले हाल ही गत 28 फरवरी को भीलवाड़ा आए थे। दरअसल, इस साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस बरसों पुरानी परंपरा को तोड़कर सूबे की सत्ता में वापसी करने की कोशिश में जुटी है तो बीजेपी चुनाव जीतकर सत्ता में आने की रणनीति बना रही है।
यही वजह है कि पीएम मोदी के दौसा दौरे को लेकर सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के बीच हलचल तेज है। बीजेपी जहां पीएम मोदी के राजस्थान दौरे को सफल बनाने में जुटी है। वहीं कांग्रेस की ओर से भी इस दौरान ईस्टर्न कैनाल प्रोजेक्ट यानी ERCP के मुद्दे पर हवा देने की रणनीति बना ली गई है। या कहें पीएम के दौरे से पहले कांग्रेस ने ईआरसीपी के मुद्दे को फिर से हवा दे दी है। और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर बीजेपी व प्रधानमंत्री को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।

और इसे मुद्दा बनाने की बड़ी वजह भी है। क्योंकि यह प्रोजेक्ट पिछली सरकार यानि वसुन्दरा राजे सरकार का है जिसे केंद्र की मोदी सरकार मंजूरी दे चुकी थी। वहीं खुद पीएम मोदी ने इस प्रोजेक्ट को केंद्रीय प्रोजेक्ट बनाने की घोषणा की थी। पीएम का कहना था कि राजस्थान के हर घर को पानी मिलना चाहिए। लेकिन जैसे ही भाजपा की सरकारा राजस्थान से गई प्रोजेक्ट अधर में अटक गया। या यूं कहें कि केंद्र सरकार ने फिर इस प्रोजेक्ट में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई। लेकिन राज्य की गहलोत सरकार ने राजस्थान के लोगों से कहा कि भले पीएम मोदी अपने वायदे को भूल जाएं लेकिन हम इस प्रोजेक्ट को जरूर पूरा करेंगे क्योंकि राजस्थान में पानी की समस्या सबसे विकट है। हम अपने लोगों को प्यासा मरते हुए नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह भाजपा का ही प्रोजेक्ट था लेकिन देखिए सत्ता का लालच किसे है, राजस्थान में भाजपा ERCP के प्रोजेक्ट को केवल लायी लेकिन इसे अधर में ही छोड़ दिया। अब केंद्र सरकार मदद करती है तो ठीक है वरना हम ERCP के प्रोजेक्ट को पूरा करेंगे। राजस्थान के लोगों को उनका हक मिलना चाहिए।
बता दें कि ERCP के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरने के लिए हाल ही विधानसभा में भी CM गहलोत ने दांव खेला था। राज्यपाल के अभिभाषण का जवाब देते हुए सदन में CM गहलोत ने यह कहा था कि ERCP को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए बीजेपी नेताओं को साथ देना चाहिए। PM मोदी को उनका वादा याद दिलाना चाहिए। इस दौरान सीएम ने यह भी कहा था कि पीएम दौसा आ रहे है, हम सभी को उनसे मिलकर ERCP को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की रिक्वेस्ट करनी चाहिए।
अब आपको बताते हैं आखिर ERCP परियोजना है क्या? और इससे राजस्थान के लोगों को क्या फायदा होने वाला है।

ईआरसीपी यानी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से प्रदेश के 3.5 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे। इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने के लिए लगातार मांग की जा रही है, जिससे कई फायदे होंगे। लेकिन ERCP को लेकर राजनीति थमने का नहीं ले रही है।
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर इन दिनों पूरे राजस्थान और केंद्र में राजनीति गरमाई हुई है। राजस्थान सरकार बीते लंबे समय से इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिलाने की मांग कर रही है। पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए लाइफलाइन मानी जा रही इस परियोजना को यदि राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा मिल जाता है तो केंद्र सरकार की ओर से इस परियोजना को मूर्त रूप देने में भागीदारी बढ़ जाएगी और इसका सीधा लाभ राजस्थान के 13 जिलों की जनता को मिलेगा।
बता दें कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान की चंबल, कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध और उसकी सहायक नदियों के बरसात के पानी का संचय करना है। इन नदियों के पानी को बनास, बाणगंगा, मोरेल, गंभीर और पार्वती नदियों में पहुंचाया जाएगा। ईआरसीपी योजना के तहत वर्ष 2051 तक इन नदियों के पानी का उपयोग राज्य के 13 पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जिलों की पेयजल और औद्योगिक पानी की जरूरतों को पूरा किया जाएगा। इस परियोजना से झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर जिलों को सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही इन जिलों के लोगों की पानी की किल्लत लगभग दूर हो जाएगी।

लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मुताबिक केंद्र सरकार इस परियोजना को रोकने के लिए कह चुकी है। वहीं मुख्यमंत्री का कहना है कि यह परियोजना पूरी होकर ही रहेगी ताकि राजस्थान के लोगों को लाभ मिल सके और पानी की किल्लत दूर हो सके।
वहीं लोगों का कहना है कि पीएम मोदी दौसा दौरे पर आ रहे हैं। संभवतः वे राजस्थान के लोगों को प्यासा नहीं मरने देंगे। वे ERCP परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करेंगे। लोगों का मानना है कि पीएम मोदी विकास पुरुष हैं और विकास पुरुष नहीं चाहेगा कि लोग प्यासे मरें। यही वजह है कि राजस्थान के बहुत से लोग पीएम मोदी की तरफ आस की नज़रों से देख रहे हैं।
वहीं कांग्रेस ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर लगातार केन्द्र सरकार पर सियासी हमला कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित तमाम कांग्रेसी नेता आए दिन ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सवाल उठा रहे हैं। पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान विधानसभा में पीएम मोदी पर निशाना साधा।

वहीं लोगों का भी कहना है कि सरकार बदल गयी तो इसका यह मतलब नहीं हो गया कि प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए। केंद्र सरकार को इसके लिए राज्य सरकार की मदद करनी होगी। जिससे कि राजस्थान के लोगों की पानी की समस्या दूर हो सके। लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री का यह दोहरा रवैया है जो ठीक नहीं है, हमारे मुख्यमंत्री इस प्रोजेक्ट के लाइट तत्पर हैं हमें खुशी है।
गहलोत ने विपक्ष के नेताओं से कहा कि प्रधानमंत्री जी अपना वादा भूल गए हैं तो उनके भाषण का वीडियो लेकर दिल्ली चलते हैं। उनसे मिलकर उन्हें उनका पुराना भाषण सुनाकर ईआरसीपी के मुद्दे पर किए गए वादे को याद दिलाएंगे।
बता दें कि दौसा जिला पूर्वी राजस्थान नगर परियोजना से जुड़ा है। ऐसे में पीएम के दौरे से ईआरसीपी के मुद्दे को हवा मिलना तय है। पीएम मोदी के दौरे में दौसा के आसपास के जिलों से जो भीड़ जुटने वाली है, वे सभी 13 जिले जयपुर, दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, टोंक, अलवर, भरतपुर और धौलपुर भी ईआरसीपी योजना से जुड़े हुए हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दौसा दौरे के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत केन्द्र को ईआरसीपी के मुद्दे पर घेरने का मौका नहीं गंवाना चाहते। पूर्व में देश में ऐसी 16 परियोजनाओं को केन्द्र सरकार मंजूरी दे चुकी है। ईआरसीपी भी पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे के कार्यकाल में तैयार की गई परियोजना है। पीएम नरेन्द्र मोदी अजमेर और जोधपुर की चुनावी सभाओं में ईआरसीपी को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की बात कह चुके हैं। इसी कारण राज्य की कांग्रेस सरकार पीएम मोदी को हर मोर्च पर घेरने तैयार बैठी है। गहलोत कई बार विपक्ष के सदस्यों पर भी तंज कस चुके हैं। वे कहते हैं कि राजस्थान की जनता ने भाजपा के सभी 25 सांसद जीताकर लोकसभा में भेजे हैं। ये सब मिलकर ईआरसीपी के मुद्दे पर पीएम मोदी पर दबाव क्यों नहीं बनाते। गहलोत ने पिछले दिनों कहा कि बीजेपी के नेता चाहें तो वे मोदी के भाषण की वीडियो सीडी लेकर साथ चलने को तैयार हैं।
वहीं ईआरसीपी मुद्दे पर बीजेपी बचाव की मुद्रा में है। बीजेपी केन्द्र सरकार के जल जीवन मिशन और हर घर नल योजना सहित तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के बीच जा रही है। ईआरसीपी के मुद्दे पर बीजेपी गहलोत सरकार पर सवाल उठा रही है। बीजेपी का आरोप है कि गहलोत सरकार ने नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर सही प्रस्ताव नहीं बनाया है जबकि कांग्रेस का कहना है कि प्रस्ताव तो वही है जो पूर्ववर्ती बीजेपी के शासन में तैयार किया गया था। चूंकि दौसा की सभा में ईआरसीपी से जुड़े 13 जिलों लोगों को अधिक से अधिक जोड़ा जाना है। ऐसे में बीजेपी के नेता इन जिलों में लगातार दौरे कर रहे हैं।
खैर यह तो राजनीति है और राजनीति का काम ही है राजनीति करना लेकिन इस राजनीति में राजस्थान की जनता पिस रही है। लोगों को पानी चाहिए अब चाहे वो केंद्र की मोदी सरकार दे, या राज्य की गहलोत सरकार। जो भी राजस्थान के लोगों को लाभ देगा वो वोट भी उसी को करने वाले हैं। क्योंकि पानी की समस्या पूरे राजस्थान की समस्या है और वे इस समस्या से निजात चाहते हैं।
तो इसी के साथ जानते हैं इन जिलों से जुड़े लोग पीएम मोदी के दौसा दौरे को लेकर ERCP प्रोजेक्ट को लेकर क्या मांग कर रहे हैं।
ब्यूरो रिपोर्ट : जगदीश तेली, राजस्थान
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