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अब मुश्किल में एकनाथ शिंदे सरकार, दो फाड़ होने के कगार पर पहुंची “बालासाहेबची शिवसेना” नाराज विधायक व नेताओं का उद्धव गुट से संपर्क

शिवसेना के दो टुकड़े कराने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अब अपनी कुर्सी बचाने की जद्दोजहद में नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ विधायक व बड़े नेता एकनाथ शिंदे से नाराज हो गए हैं। यहां तक कि उन्होंने पार्टी से भी दूरी बना ली है। एकनाथ शिंदे गुट की “बालासाहेबची शिवसेना” के कई पार्षद, नेता व विधायक अब पार्टी से दूरी बनाने लगे हैं। कई तो उद्धव गुट की शिवसेना (बालासाहेब) से संपर्क बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री बनने की अपनी महत्त्वकांक्षा को पूरा करने के लिए शिवसेना के दो टुकड़े करने वाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अब खुद की कुर्सी बचाने की जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं।

महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज नासिक जिले के दौरे पर थे। माना जा रहा था कि इस दौरे के दौरान वह कुछ दिनों से नाराज चल रहे विधायक सुहास कांदे (Suhas Kande) को समझा-बुझाकर मना लेंगे। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट (Eknath Shinde Faction) में विधायकों के बीच बढ़ती हुई नाराजगी किसी भी तरह से कम होती हुई नजर नहीं आ रही है। आलम यह है कि मुख्यमंत्री के नासिक (Nasik) पहुंचने के पहले ही नाराज सुहास कांदे अपने चुनाव क्षेत्र नांदगांव की तरफ रवाना हो गए थे। बाद में खबर यह आई कि वह अपने चुनाव क्षेत्र में भी नहीं पहुंचे। ऐसे में अब यह बात चर्चा का विषय बनी हुई है कि सुहास कांदे कहां गए थे? खैर शाम पांच बजे जब मुख्यमंत्री हवाईअड्डे पर पहुंचे तो उनको रिसीव करने कांदे भी पहुंचे थे। हालांकि, वहां भी सुहास कांदे और मंत्री दादा भूसे (Dada Bhuse) के बीच की दूरी चर्चा का केंद्र बनी रही।

कुछ दिनों पहले ही सुहास कांदे ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहा था कि वह नाराज नहीं हैं। जबकि पूरी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के करीबी मंत्री दादा भूसे के खिलाफ अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की थी। कांदे ने यह कहा था कि नासिक जिले में होने वाली पार्टी मीटिंग में उन्हें नहीं बुलाया जाता। शहर में शिंदे गुट की कार्यकारिणी बनाई जाती है। पदाधिकारियों को निर्वाचित किया जाता है लेकिन इस बारे में भी उन्हें कोई सूचना नहीं दी जाती है।

सुहास कांदे नासिक जिले में एकनाथ शिंदे की बगावत के दौर के पहले सिपाही थे। जिन्होंने खुलकर उद्धव ठाकरे के खिलाफ एकनाथ शिंदे का झंडा बुलंद किया था। कांदे की नाराजगी का सबब यह भी है कि जब एकनाथ शिंदे को बगावत के दौर में सबसे ज्यादा समर्थन की जरूरत थी। तब सबसे पहले वह उनके साथ खड़े हुए थे। उसके बाद मौजूदा मंत्री दादा भूसे और सांसद हेमंत गोडसे शामिल हुए थे। बावजूद इसके मंत्रिमंडल विस्तार में कांदे को जगह नहीं मिली। नासिक जिले की सियासत में इस बात की भी चर्चा है कि सुहास कांदे को एकनाथ शिंदे के मंत्रिमंडल में जगह चाहिए थी। अगर उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलती तो कम से कम किसी निगम की जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी।

वहीं दूसरी ओर जब से महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार अस्तिव में आयी है तब से उसके गिरने की भविष्यवाणियां शुरू हो गई हैं। बिल्कुल वैसे ही जैसे महाविकास अघाड़ी सरकार के गिरने की तारीखें बीजेपी नेताओं द्वारा बताई जाती थी। अब उद्धव ठाकरे गुट की नेता सुषमा अंधारे ने शिंदे सरकार को लेकर नई भविष्यवाणी की है। उनके मुताबिक आने वाले चार से छह महीनों में एकनाथ शिंदे सरकार गिर जाएगी। नासिक के नाराज विधायक सुहास कांदे के संबंध में जब सुषमा अंधारे से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो भी विधायक शिंदे गुट में नाराज चल रहे हैं वो वापस हमारे साथ आएंगे।

अब देखना दिलचस्प होगा कि शिवसेना के दो टुकड़े करके अपनी महत्त्वकांक्षा को पूरा करने वाले मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी को कितने दिनों तक बचा पाते हैं।

मुंबई से खबर 24 एक्सप्रेस के लिए सचिन झिटे की रिपोर्ट

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