देश में आत्महत्या से हुई मौत को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं वे बेहद चौंकान वाले और डराने वाले हैं। देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या युवा कर रहे हैं इनमें अधिकतर उद्यमी और छात्र हैं। अगर हिसाब लगाया जाए तो आत्महत्या करने वालों में वर्तमान भविष्य की चिंता रही होगी यही वजह है कि उन्होंने यह कदम उठाया होगा। भारत में बेरोजगारी जिस तरह बेतहाशा बढ़ रही है उसकी वजह से भी आज का युवा हताशा से भर गया है।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक 2021 में सबसे ज्यादा आत्महत्या हुईं इनमें छात्र और छोटे उद्यमी ज्यादा रहे।
एनसीआरबी के नए रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2021 में प्रति 10 लाख लोगों में 120 लोगों ने आत्महत्या की है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 6.1 फीसदी बढ़ गई। मौत के ये मामले पिछले सभी वर्षों में सबसे अधिक हैं। इन मामलों में सबसे तेज वृद्धि छात्रों और छोटे उद्यमियों में देखी गई, जो कि रिपोर्ट के 2020 संस्करण में भी देखी गई थी। ये निष्कर्ष भारत में दुर्घटना से होने वाली मौतों और आत्महत्याओं (एडीएसआई) और भारत में अपराध (सीआईआई) की 2021 की रिपोर्ट से हैं। दोनों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित किया गया था।
डाटा से पता चलता है कि 2021 में आत्महत्या से कुल 164,033 लोगों की जान गई जो कि 2020 की तुलना में 7.2% अधिक है। वहीं साल 2020 में 153,052 लोगों की जान गई थी। वहीं 2019 में यह आंकड़ा करीब 139,000 था।इसके अलावा प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 120 मौतें हुईं। 2021 में 1967 में आत्महत्या से होने वाली मौतों से भी उच्चतम दर देखी गई। देश में आत्महत्या की अब तक की दूसरी सबसे बड़ी दर 2010 में दर्ज की गई थी, जब प्रति 10 लाख जनसंख्या पर 113 मौतें हुई थीं। आंकड़ों से यह भी पता चलता है सबसे कम आय वर्ग (प्रति वर्ष ₹1 लाख से कम आय वाले लोग), जो आत्महत्या से होने वाली मौतों का लगभग दो-तिहाई हिस्सा हैं और सबसे अधिक हैं।
1967 में देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या के केस आये थे इसके बाद 2010 में लेकिन 2019, 2020 और 2021 ने अब तक के सभी आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया है।
युवाओं की आत्महत्या के मामले में इसे सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। क्योंकि हम फिर से बता दें कि आत्महत्या करने के मामले में युवा और छोटे उद्यमी हैं या फिर छात्र हैं। अब ये बताने की जरूरत नहीं है कि ये आत्महत्याएं किस वजह से हुई होंगी।
खैर हम तो यही कहेंगे कि खराब हालातों से निकलने के लिए आत्हत्या ही एकमात्र विकल्प नहीं है। जब जन्म लिया है तो हालातों से लड़ने का जज्बा भी हमें ही ढूंढना होगा। हमें अपने अंदर पॉजिटिव एनर्जी को लानी होगी। आज का युग सोशल मीडिया का युग है। अपनी आवाज बुलंद कीजिए, सरकार से परेशानी है तो उसके खिलाफ होने की हिम्मत जुटाइये यूँ कायरों की तरह अपनी जिंदगी को खत्म मत कीजिए आपकी जिंदगी भी अनमोल है।