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पश्चिम बंगाल भाजपा में उथल-पुथल, चुनाव हारने के बाद बुरी तरह बिखराव पर बीजेपी, अब ये विधायक पार्टी से नाराज होकर थामने वाले हैं टीएमसी का हाथ

Mukul Roy claims 33 BJP MLAs from West Bengal ‘in touch’ with him to join TMC



पश्चिम बंगाल में बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले विधानसभा चुनावों में बीजेपी की करारी हार और इसके बाद पंचायत चुनावों में भाजपा का सूपड़ा साफ ये बंगाल में भाजपा की स्थिति बताने के लिए काफी है। साथ ही बता दें कि भाजपा के विधायक, सांसद व नेता पार्टी से नाराज होकर घर वापसी कर चुके हैं यानि टीएमसी में जा चुके हैं या जाने का मन बना रहे हैं। विधानसभा चुनावों के बाद भाजपा में बड़ी टूट देखने को मिल रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा बंगाल विधानसभा चुनावों में हार के बाद भी अपनी जीत बताती रही। भाजपा का कहना था कि भले हम चुनाव हार गए हो लेकिन हम पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं। यह बात सही है लेकिन भाजपा ने यह नहीं बताया कि जिस तरह चुनाव प्रचार हुआ, पानी की तरह पैसा बहाया गया, टीएमसी के नेताओं पर डोरे डाल गए। टीएमसी के कई सारे विधायक और सांसदो को भाजपा में शामिल करवाया गया। लगभग सभी बड़े नेताओं व मंत्रियों से चुनाव के ठीक 1 साल पहले से चुनाव प्रचार शुरू करवा दिया गया और इसके बावजूद पार्टी चुनाव हार जाए तो इसे सफलता कहा जायेगा या नाकामी? और इसी नाकामी के बदौलत बंगाल में भाजपा के अंदर असंतोष साफ नजर आ रहा है।

भाजपा की ओर से गठित की गई नई समिति में अनदेखी होने से नाराज पार्टी के पांच विधायकों ने शनिवार को एक व्हाट्सएप ग्रुप को छोड़ दिया। यह ग्रुप संगठन की ओर से बनाया गया है जिसमें बीजेपी के सभी विधायक जुड़े हुए हैं। पांच विधायकों की ओर से व्हाट्सएप ग्रुप छोड़े जाने को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि यदि कोई मतभेद है तो उसे समय आने पर बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि नई कमेटी बनने पर छोटी-छोटी चीजें होती है, हम उसे सुलझा लेंगे। लेकिन अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी के कई विधायक नाराज हैं और वे जल्द ही भाजपा छोड़ ममता बनर्जी के पास जा सकते हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री और बीजेपी सांसद शांतनु ठाकुर, जो मटुआ समुदाय के एक प्रमुख नेता भी हैं ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। ठाकुर की यह मुलाकात पांच विधायकों मुकुट मणि अधिकारी (राणाघाट दक्षिण), सुब्रत ठाकुर (गायघाटा), अंबिका रॉय (कल्याणी), अशोक कीर्तनिया (बोनगांव उत्तर), और असीम सरकार (हरिंगाटा) की ओर से राज्य समिति से बाहर रहने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

ठाकुर ने कहा, “हां, वे (पांच विधायक) अनदेखी किए जाने से नाराज हैं..उन्होंने मुझे अपनी शिकायतें बताईं। मैंने नड्डा जी से मुलाकात की और उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत कराया। हमने चर्चा की।” हालांकि, उन्होंने इस मामले पर नड्डा की प्रतिक्रिया के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
पीड़ित विधायकों में से एक मुकुटमोनी अधिकारी ने पुष्टि की कि उन्होंने सोशल मीडिया ग्रुप छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाएं नवगठित समिति के तहत पूरी नहीं हो सकती हैं। वहीं, गायघाट विधायक और बनगांव उत्तर के विधायक ने भी कहा कि उन्होंने ग्रुप छोड़ दिया है, लेकिन इसके पीछे के कारण को बताने से इनकार कर दिया है।
मटुआ समुदाय राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। नदिया, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में कम से कम चार लोकसभा सीटों और 30-40 विधानसभा सीटों पर मटुआ समुदाय का काफी दबदबा है।

कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि इनमें से कुछ विधायकों ने टीएमसी में जाने की इच्छा जताई है आउट टीएमसी के नेताओं से मुलाकात भी की है।

बता दें कि विधानसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। कई बीजेपी नेता पार्टी छोड़कर टीएमसी ज्वाइन कर चुके हैं। इससे पहले मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके सांसद बाबुल सुप्रियो ने भी टीएमसी ज्वाइन कर ली। उन्होंने कुछ दिन पहले ही बीजेपी से इस्तीफा दिया था। इससे पहले मुकुल रॉय भी बीजेपी छोड़ टीएमसी में शामिल हो चुके हैं।

इसके अलावा कई विधायक और अन्य छोटे-बड़े नेता बीजेपी छोड़ टीएमसी में शामिल हो चुके हैं। बीजेपी विधायक बिस्वजीत दास, रायगंज से बीजेपी विधायक कृष्ण कल्याणी और बीजेपी के काउंसलर मनतोष नाथ ने भी बीजेपी छोड़ टीएमसी का दामन थामा लिया है। इससे पहले बीजेपी के विष्णुपुर विधायक तन्मय घोष ने भाजपा छोड़ दी थी।

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