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देश में जितनी तेजी से मोदिकरण हो रहा है उससे एक बात तो साफ हो गई कि विकास पूरी तरह साफ हो गया है।
लोग बोल रहे हैं सड़कें बन रही हैं तो मेरा जबाव है सड़कें पहले भी बन रही थीं लेकिन उस पर लगने वाले टोल पर हम तत्कालीन सरकारों (राज्य व केंद्र) को खूब लानत भेजते थे। आज सिंगल रोड (आगरा से मुरादाबाद जैसी) बनाकर उसपर मोटा टोल वसूला जा रहा है लेकिन अब सबके मुंह में बर्फ जम गयी है। और जमें भी क्यों न इतने सालों बाद, लंबे इंतजार के बाद श्री राम भक्तों की सरकार है।
राम भक्त से याद आया जामिया में गोली चलाने वाले रामभक्त का एक भाषण घूम रहा है वो मुस्लिम औरतों के साथ रेप और “जब मुल्ला काटे जाएंगे, राम राम चिलायेंगे” का भाषण देता फिर रहा है। मुल्ला काटे जाने से याद आया एक “यति नरसिंहानंद सरस्वती महाराज” है जिसके मंदिर में मुस्लिम बच्चे को पानी पीने के लिए पीटा गया था पहले इस कथित महाराज को कोई नहीं जानता था लेकिन मार्च 2021 की घटना के बाद माननीय प्रधानमंत्री भी इस आदमखोर माफ कीजिये महाराज को जान गए। अब ये महाराज हिन्दू औरतों को वेश्या बता रहा है। मुसलमानों के खिलाफ न जाने क्या क्या ज़हर उगल रहा है.. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं? अरे कार्रवाई कैसी जब लिख दिया कि प्रधानमंत्री भी जानने लग गए तो मैं भी बचकाना बात कर रहा हूँ।
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यह सरकारी कंपनियों का नहीं बल्कि मोदी सरकार का निजीकरण है, यही मोदिकरण है।
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मोदिकरण के युग में ये साधारण बातें हैं जो आपको सहजता के साथ स्वीकार करनी पड़ेगीं। और हाँ इन लोगों की तालिबान से तुलना करने की भूल कतई मत करना, खुद तालिबान मोदिकरण I mean विश्वगुरु, आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी भगवान की तारीफ कर चुका है।
अब आप भी कहेंगे कि मोदिकरण की बात करते करते कहाँ तालिबान तक आ पहुँचे… तो जनाब आपको बता दें कि भगवान मोदी का रुतबा ही इतना बड़ा है कि कहीं से शुरू करो और कहीं दूर जाकर खत्म होता है।
खैर मोदिकरण में विकास की बयार बह रही है, बयार भी कहना सही नहीं होगा, बयार यहां कुछ अटपटा सा लग रहा है, विकास की आंधी भी फिट नहीं बैठ रहा है।
विकास की बाढ़ कैसा रहेगा? बाढ़ मतलब जो रास्ते में आया वो बह गया… अरे हाँ मालूम है आप ज्यादा समझदार हैं पहले ही “लोया” समझ गए।
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चलो अब विकास की बाढ़ पर नज़र डाल लेते हैं…। 👇
👉 पिछले साल अप्रैल, मई और जून 2020 को छोड़कर जनवरी 2016 के बाद से कभी भी किसी महीने में बेरोजगारी दर दोहरे अंकों में नहीं रही। देश की आज़ादी के बाद सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर 2016 के बाद.. अब तक।
👉 केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने 2019 में मोदी 2.0 में मोदी सरकार की ताजपोशी के अगले ही दिन शुक्रवार को बेरोजगारी के आंकड़े जारी कर दिए। चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष के दावों को खारिज करती रही सरकार ने भी आखिरकार यह मान लिया कि बेरोजगारी की दर 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है। और 2019 के चुनावों में भाजपा ने चीख चीख कर कहा कि हमने इतनी नौकरियां दी। 2014 के बाद सरकार ने इतना रोजगार दिया.. यहां तक कि पकौड़ा तलने, रिक्शा चलाने को भी रोजगार माना गया।
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👉 लॉकडाउन से 12 करोड़ नौकरियां गईं, बेरोजगारी दर 27.1 फीसदी पर पहुंची। जबकि 2016 के बाद भी करोड़ों लोगों ने नौकरियों से हाथ धोए..।
👉 केंद्र सरकार बड़ी संख्या में सरकारी कंपनियों का विनिवेश कर निजी हाथों में सौंप रही है। भारत में 384 सरकारी कंपनियां हैं। आने वाले दिनों में सरकारी कंपनियों की संख्या घटकर महज 20 से 25 के बीच रह जाएगी। हो सकता है इससे भी कम रह जाये। इन कंपनियों में देश के सबसे बड़े सरकारी संसस्थान भी शामिल हैं जिनका निजीकरण किया जा रहा है या हो गया है।
👉 एससी, एसटी और ओबीसी को सरकारी कंपनियों में नौकरी में कुल 49.5 फीसदी आरक्षण मिलता है। (मैंने SC, ST, OBC तीनों शब्दों पर जोर लगाकर कहा है।) सबसे ज्यादा असर इन लोगों की नौकरियों पर पड़ेगा… यानी नई नोकरियाँ बिना आरक्षण के निकाली जाएगी और निजीकरण के दौर में कोई दबाव नहीं होगा कि किसे नौकरी दी जाए किसे नहीं ल.. कंपनियों की मनमर्जी के मुताबिक नौकरी दी जाएगी… अगर होगी तो।
👉 निजीकरण की पटरी पर भारतीय रेल : रेलवे में 1.50 लाख से ज्यादा पद खाली, पर सरकार अब इन्हें भरने के मूड में नहीं। रेल मंत्रालय 2023 से देश के 109 रूटों पर 151 ट्रेनों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी में।
👉 आज़ादी के बाद अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन, 2020-21 में जीडीपी माइनस में। GDP यानि (Gross domestic product) सकल घरेलू उत्पाद… भारत में हर तीन महीने बाद GDP की गणना की जाती हैं जिसे देश की तरक़्क़ी का विश्लेषण किया जाता है।
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दुनिया में एक समय सबसे तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्था रहे भारत के इस नए जीडीपी आंकड़े से जुड़ी ख़बरों और लेख को दुनियाभर के तमाम अख़बारों और मीडिया हाउसेज़ ने अपने यहां जगह दी है।
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👉अमरीकी मीडिया हाउस सीएनएन ने अपने यहां ‘भारतीय अर्थव्यवस्था रिकॉर्ड रूप से सबसे तेज़ी से सिकुड़ी’ शीर्षक से ख़बर लगाई है। इस ख़बर में कैपिटल इकोनॉमिक्स के शीलन शाह कहते हैं कि इसके कारण अधिक बेरोज़गारी, कंपनियों की नाकामी और बिगड़ा हुआ बैंकिंग सेक्टर सामने आएगा जो कि निवेश और खपत पर भारी पड़ेगा।
👉 जापान के बिजनेस अख़बार निकेई एशियन रिव्यू में भारतीय वित्त आयोग के पूर्व सहायक निदेशक रितेश कुमार सिंह ने एक लेख लिखा है जिसका शीर्षक है, ‘नरेंद्र मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को जर्जर बनाया।’ “भारत के सबसे आधुनिक औद्योगिक शहर से आने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था कि वो अर्थव्यवस्था सुधारेंगे और हर साल 1.2 करोड़ नौकरियां पैदा करेंगे। छह साल तक दफ़्तर से आशावाद की लहर चलाने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था जर्जर हो गई है। जिसमें जीडीपी चार दशकों में पहली बार इतनी गिरी है और बेरोज़गारी अब तक के चरम पर है। विकास के बड़े इंजन, खपत, निजी निवेश या निर्यात ठप्प पड़े हैं। ऊपर से यह है कि सरकार के पास मंदी से बाहर निकलने और ख़र्च करने की क्षमता नहीं है।”
👉 अमरीकी अख़बार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी अपने यहां इस ख़बर को जगह दी है। अखबार ने लिखा कि “भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में सबसे बुरी तरह बिगड़ी है। अख़बार आगे लिखता है कि 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश की अर्थव्यवस्था कुछ ही सालों पहले 8 फ़ीसदी की विकास दर से बढ़ रही थी जो दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक थी। उपभोक्ता ख़र्च, निजी निवेश और आयात बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। व्यापार, होटल और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्र में 47 फ़ीसदी की गिरावट आई है। एक समय भारत का सबसे मज़बूत रहा निर्माण उद्योग 39 फ़ीसदी तक सिकुड़ गया है।
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और अंत में….
खैर कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन श्री राम मंदिर बन रहा है। हमें केवल भगवान राम का मंदिर चाहिए भले खाने को मिलें न मिले। यूपी के एक नेता ने वाकायदा नारे लगाए थे, रोटी नहीं चाहिए, सड़क नहीं चाहिए, न अस्पताल न स्कूल चाहिए हमें केवल मंदिर चाहिए… जय श्री राम और इसके बाद अप्रैल की लहर के कहर में इलाज के अभाव में रामभक्त निकल लिए। उनकी बेटी ने राज्य व केंद्र सरकार पर खूब आरोप लगाए लेकिन आरोप लगाने से क्या होता है, देश में कोरोना ने 50 लाख लोगों की जान ले ली और अब भी लगातार मौतों ले मामले सामने आ रहे हैं। मेरे सवाल पर बीजेपी के एक बड़े नेता ने कहा था कि कोरोना लोगों की गलती का नतीजा है तो मैंने भी उन्हें उन्हीं के मुंह पर जबाव दिया… “जी बिल्कुल और यह गलती मेरे सामने खड़ी है।”
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खैर हमने मंदिर मांगा था। हमने न रोटी मांगी, न सड़क मांगी, न स्कूल, अस्पताल मांगे, न रोजगार व विकास मांगा। सपना तो केवल मंदिर का देखा था सो अब पूरा हो रहा है। तो आइए मंदिर में घंटा बजाकर अच्छे दिनों को याद करते हुए जय श्री राम के नारे लगाकर हर हर मोदी घर घर मोदी करते हुए मोदिकरण का स्वागत करते हैं।
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