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इस घटना को अंजाम किसी और ने नहीं बल्कि मास्टर शौकत की शिक्षामित्र बेटी शबनम ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर दिया था। हसनपुर कस्बे से सटे छोटे से गांव बावनखेड़ी की शिक्षामित्र शबनम ने 14 अप्रैल 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम, भतीजे अर्श और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से वार कर बेरहमी से कत्ल कर दिया था।
शबनम की फांसी की सजा पहले ही सुनाई जा चुकी है। अब राष्ट्रपति भवन से भी उसकी याचिका खारिज कर दी गई है। ऐसे में माना जा रहा है। जल्द ही उसे फांसी दी जा सकती है। मास्टर शौकत ने अपनी एकलौती बेटी शबनम को बड़े ही नाजों के साथ पाला था। यही वजह थी कि उसे बेहतर तालीम भी दिलाई गई थी। एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद शबनम शिक्षामित्र बन गई। इसके कुछ ही समय बाद शबनम की आंख गांव के ही आठवीं पास सलीम से लड़ गई। दोनों एक-दूसरे पर जान छिड़कते थे और शादी भी करना चाहते थे, अड़चन ये थी कि शबनम सैफी तो सलीम पठान बिरादरी से था। इसके कारण युवती के परिवार को यह रिश्ता स्वीकार नहीं था। इसके बावजूद दोनों का मिलना-जुलना जारी रहा। शबनम प्रेमी को अपने घर बुलाने के लिए खाने में नीदं की गोलियां मिलाकर पूरे परिवार को सुला देती थी। जब परिवार गहरी नींद में होता तो प्रेमी सलीम को अपने घर बुला लेती थी। इसके बाद दोनों ने अपने प्यार को मुकाम तक पहुंचाने के लिए भयानक फैसला ले लिया। 14 अप्रैल, 2008 कत्ल की रात रही। शबनम ने प्रेमी सलीम को घर पर बुला लिया। नींद की गोली के जरिए पूरे परिवार को सुला दिया। खास बात ये थी कि उस दिन फुफेरी बहन राबिया भी उनके घर आई हुई थी। रात में दोनों प्रेमी और प्रेमिका ने पिता शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम, राबिया व भतीजे अर्श का गला काट कर हत्या कर दी।
इस सनसनीखेज वारदात ने पूरे प्रदेश में हलचल पैदा कर दी थी। यही वजह थी कि तत्कालीन सीएम मायावती भी गांव में पहुंची थीं। घटनास्थल की स्थिति शबनम की ओर इशारा कर रही थी। पुलिस ने इसी लाइन पर जांच भी शुरू की। वारदात के चौथे दिन ही शबनम व सलीम को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। बाकी की कसर सलीम के मोबाइल की कॉल डिटेल ने पूरी कर दी। इससे पूरा मामला सामने आ गया। आरोपित ने वारदात में शामिल कुल्हाड़ी तालाब से बरामद करा दी थी। इस घटना का दूसरा पहलू यह था कि शबनम वारदात के दौरान गर्भवती थी। उसका दो माह का गर्भ था। यह बच्चा सलीम का ही था। इसके बाद जेल में शबनम ने अपने बेटे को जन्म दिया था।
शबनम को अब फांसी की सजा मुकर्रर होने के बाद ग्रामीणों का भी कहना है कि उसकी फांसी में अब कतई देरी नहीं होनी चाहिए यदि फांसी से भी बड़ी कोई सजा हो तो वह शबनम को मिलनी चाहिए।
गांव वालों का कहना है कि घटना के बाद बावनखेड़ी के किसी भी घर में बेटी का नाम शबनम नहीं रखा है। उनका कहना है कि वह खौफनाक मंजर आज भी सामने आ जाता है। घर में सात लोगों की कब्र आज भी उस घटना की गवाही देती है।
ब्यूरो रिपोर्ट : खबर 24 एक्सप्रेस