Manish Kumar Ankur Exclusive Article Tractor rally turns violent as farmers enter Capital What is the truth of the conspiracy behind this ruckus in Delhi Khabar24 Express
फरवरी 2020 में दिल्ली के दंगों की आग अभी तक ठंडी भी नहीं हुई थी कि 26 जनवरी 2021 को आज फिर कुछ ऐसा हुआ कि दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों की याद ताजा कर दी।
CAA-NRC का प्रोटेस्ट दिल्ली में पिछले कई महीनों से शांतिपूर्ण चल रहा था। लेकिन कहीं न कहीं लोगों को सोशल मीडिया के माध्यम से आंदोलन के खिलाफ भड़काया जा रहा था, उसे बारूद बनाया जा रहा था। और एक दिन ऐसा ही हुआ। दंगे कराने में “वे” लोग सफल हो गए, सफल ही नहीं बल्कि बेहद सफल और उनकी यह सफलता 50 से ज्यादा लोगों की मौत पर हासिल हुई।
और आज 26 जनवरी 2021 को किसान आंदोलन के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ। किसान शांतिपूर्ण तरीके से पिछले 2 महीने से आंदोलन कर रहे थे, और आज 26 जनवरी को शांतिपूर्ण तरीके से ही ट्रैक्टर रैली निकाल रहे थे। लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि आंदोलन चिंगारी में ताब्दील हो गया… किंतु इसे समझना इतना आसान नहीं है और न मुश्किल… ऐसा नहीं है कि ये आग आज ही लगी… इसे लगाने के लिए अंगारी पहले से सुलगाई जा रही थी। ठीक वैसे ही जैसे CAA-NRC में भड़की थी।
उस वक़्त भी “वो” आग लगाने में सफल हुए थे और आज भी “वो” सफल हो गए। “उनका” इतिहास है जब कोई प्यार से बात न मानें तो साम दाम दंड भेद का इस्तेमाल करो और जब ये भी फैल हो जाये तो फिर कुछ ऐसा कर जाओ कि लाठी भी न टूटे और सांप भी मर जाये। और किसी को भनक तक भी न लगे।
आज किसान और पूरी सिख कौम खालिस्तानी आतंकवादी घोषित कर दी गई।
खैर जो भी है, आजके इस घटनाक्रम से एक बात जरूर साफ हो गई कि यहाँ कभी भी कुछ भी हो सकता है… जब खरीदे ने जाएं तो जज, मंत्रियों, नेताओं को मरवाया जा सकता है, लोगों को जेल में सड़ाया जा सकता है।
लेकिन इन सबके बीच आज लोगों से भी सवाल… क्योंकि “उनसे” सवाल पूंछने की हमारी हिम्मत नहीं है…।
- पहला सवाल कि दिल्ली पुलिस ने ये सब कुछ ऐसे ही इतनी आसानी से होने क्यों दिया?
- पुलिस बाहरी दिल्ली में प्रदर्शनकारियों पर डंडे बरसा रही थी और लालकिले में ये सब होने दे रही थी।
- इन दो महीनों के आंदोलन के दौरान क्या आपने इनमें से एक भी प्रदर्शनकारी को उग्र होते देखा?
- इन दो महीनों के आंदोलन के दौरान गोदी मीडिया ने दिल्ली में किसी किसान को किसी का मकान, दुकान जलाते देखा?
- क्या किसी भी किसान ने रास्ता जाम करते हुए आम आदमी या एंबुलेंस का रास्ता रोका?
- क्या किसी किसान ने कोई स्कूल, अस्पताल जलाया, किसी राहगीर को पकड़कर पीटा? उत्पात मचाया?
- क्या किसी किसान ने सड़क पर चलते किसी की मोटरसाइकिल में आग लगाई? बस जलाई या किसी की कार जलाई?
- इन दो महीनों के आंदोलन के दौरान क्या किसी किसान ने रेल की पटरियाँ उखाड़ीं?
- इस 2 महीने के आंदोलन के दौरान 100 से ज्यादा किसानों की जान चली गई, 25 से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या कर ली और सबने लेटर लिखकर तीन नए कृषि कानून को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन उसके बाद भी किसान हिंसक नहीं हुए बल्कि अपनी मांगों को लेकर डटे रहे।
- ये वही किसान थे जब इन पर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे थे… कड़कड़ाती ठंड के बीच पानी की तेज़ धार की बौछार की जा रही थीं, किसानों के रास्ते रोकने के लिए सड़कें खुदवाई जा रही थीं, NIA किसानों को पूंछताछ के नाम पर जेल में ठूंस रहा था। किसानों को आतंकवादी, खालिस्तानी कहलवाया जा रहा था। लेकिन किसान इन सबके बीच ठंड और बारिश में अपनी आवाज बुलंद करते दिखा, वो डिगा नहीं न हिंसक हुआ…। तो फिर आज ऐसा क्या हुआ?
ये सब किसकी करामात है और किसने किया, अब भी बताने की जरूरत है क्या?
याद कीजिये CAA-NRC वाले आंदोलन के दौरान सोशल पर लोगों को कैसे भड़काया जा रहा था… आग को धीरे-धीरे कैसे सुलगाया जा रहा था और एक दिन वही आग सैलाब बन गयी और 50 लोगों को अपनी चपेट में ले गई और पीछे छोड़ गई दुश्मनी। खैर वो मामला दूसरे धर्म विशेष के लोगों से जुड़ा हुआ था… लेकिन इस बार के आंदोलन में तो हिन्दू और सिख बहुतायत में हैं।
किसानों ने इस हिंसा के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया है।
प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने राष्ट्रीय राजधानी में भड़की हिंसा में शामिल लोगों से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया। किसान मोर्चा ने घटना की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर रैली में असामाजिक तत्वों ने घुसपैठ कर ली। नहीं तो उनका आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था।
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक बयान में कहा कि हम अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा करते हैं। कुछ किसान समूहों की ओर से पहले से तय रास्ता बदलने के बाद ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा में किसानों के 41 संघ हैं। वह दिल्ली की कई सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के साथ झड़प पर कहा कि हम ऐसे तत्वों से खुद को अलग करते हैं जिन्होंने हमारा अनुशासन भंग किया। कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने तुरंत प्रभाव के साथ ट्रैक्टर रैली को रोका, भागीदारों से प्रदर्शन स्थलों की ओर लौटने की अपील की।
किसान मोर्चा की ओर से दावा किया गया कि असामाजिक तत्व हमारे बीच घुस आए हैं, अन्यथा हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण था। उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी रहेगा, आगे के कदम पर जल्द फैसला होगा। ‘किसान’ गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने के लिए हम किसानों को धन्यवाद देते हैं।
मनीष कुमार अंकुर