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“मेरी आस्था और मैं मरते दम तक बीजेपी में लेकिन नहीं होता मुझ जैसे गरीब का काम” यह कहते हुए गुजरात के किसान ने कर ली आत्महत्या”

गरीबों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है इस बात को गुजरात के महिसागर के किसान की आत्महत्या ने साबित कर दिया है।

एक तरफ तो कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली में तमाम किसान आंदोलन कर रहे हैं, इस आंदोलन को सपोर्ट करने के लिए कई किसान आत्महत्या तक लार चुके हैं वहीं अब गुजरात के महिसागर से भी ऐसा ह्रदयविदारक मामला सामने आया है।


यहां एक गरीब किसान ने पंचायत घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि वह किसान सरकारी मदद के लिए लगातार पंचायत दफ्तर के चक्कर काट रहा था और सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलने से परेशान था। 

जानकारी के मुताबिक, गुजरात के महिसागर जिले के बाकोर गांव में रहने वाले किसान बलवंत सिंह ने पंचायत घर में फांसी लगा ली। मामले की जानकारी मिलने के बाद किसान के घर में कोहराम मच गया। मौके पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि पुलिस को घटनास्थल से एक सुसाइड नोट मिला, जिस पर लिखा था, ‘मेरी आत्मा में अब भी भाजपा है, लेकिन मुझ गरीब का काम किसी ने भी नहीं किया।’

गुजरात में किसान ने की आत्महत्या

जांच में सामने आया है कि आत्महत्या करने से पहले बलवंत सिंह ने बाकोर पुलिस थाने में फोन किया था। यह कॉल पंचायत घर से ही की गई थी। उस दौरान किसान ने पुलिसकर्मियों से कहा कि सरकारी कर्मचारी उसका काम नहीं कर रहे हैं और वह आत्महत्या करने जा रहा है। आरोप है कि पुलिसवालों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इसका नतीजा यह हुआ कि किसान ने अपनी जान दे दी। 

बताया जा रहा है कि आत्महत्या करने वाले बलवंत सिंह की जेब से मिली चिठ्ठी में उसने महिसागर के सांसद और विधायक जिग्नेश सेवक दोनों के नाम लिखे हैं। गौर करने वाली बात है कि यह मामला उस वक्त सामने आया, जब सरकार की ओर से किसानों की आय दोगुनी करने का दावा किया जा रहा है।

पुलिस के मुताबिक, किसान ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, ‘सेवक का मतलब सेवा करना होता है, लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है। मैं एक गरीब आदमी हूं और वर्षों से भाजपा में विश्वास करता था। मेरी आत्मा में भाजपा है। भाजपा के साथ अंत तक रहा। भले ही मैं मर जाऊं, फिर भी मैं भाजपा को मानता रहूंगा। पार्टी में आज भी मेरी आत्मा है, लेकिन गरीब होने की वजह से मुझे किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला।’ 

बलवंत सिंह की मौत के बाद उनके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। उनके बेटे राजेंद्र के मुताबिक, उसके पिता ने अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचकर घर बनाने का सपना देखा था। वह पांच साल से प्रधानमंत्री आवास योजना की सहायता लेने के लिए अर्जी लगा रहे थे। उनका नाम लिस्ट में भी आया, लेकिन पंचायत घर से उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिली। 

गुजरात से खबर 24 एक्सप्रेस के लिए नागेश्वर सेन की रिपोर्ट

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