नववर्ष संकल्प पर कविता
जाते नववर्ष से क्या सीखा
आते नववर्ष का क्या है स्वागत।
क्या जाना और शेष क्या जाने
वही संकल्प नववर्ष करो स्वगत।।
क्या बदलाव जीवन में लाऊं
जिससे मुझमें मिले सर्व लाभ।
नियम धारण करूँ कौन से
जिनसे सुधर मिटे अभाव।।
क्या खोया मैने किस कारण
इस पर मैने क्या किया विचार।
मेरी पहल में कमी क्या रह गयी
उससे सुधार मुझे मिटे अहंकार।।
हर वर्ष आपदा विपदा आती
उन चलते खोते हम स्वजन।
किन कर्मों की कमी के कारण
जीवन पड़ा दुःखद लौह घन।।
नववर्ष के जाते अंतिम दिन
चिंतन करो बिताकर ध्यान।
दोष आरोप दूजे नहीं देकर
बच निकलो नहीं हटा निज अज्ञान।।
मैं कौन हूं और क्यों जग आया
क्या मेरा उद्धेश्य इस जग।
ओरो संग क्या सम्बंध है मेरा
मित्रता शत्रुता क्यों मुझ जग।।
जीवन का नाम सदा गति है
बढ़ना अपने आत्म के पथ।
गिरना अर्थ ध्यान न देना जानो
उठना अर्थ नवज्ञान ले गत।।
ईश्वर और गुरु स्मरण सदा रख
मात पिता ओर वर्तमान बंधु।
उनके प्रति वैर भूल जुड़
यही सब संग मिल बनो सिंधु।।
जो न सुधरे उसे न सोचो
जो सुधरे उन संग कर संगत।
स्वयं प्रमाणित करो स्वयं को
न दूजे दें धक्का उठा पंगत।।
सदा अपने को ही देखो
ओर सुधार करने का रख भाव।
घृणा नहीं ज्ञान प्रेम बढ़ाओ
तभी नववर्ष संग बढोगे प्रसन्न स्वभाव।।
जपो सत्य ॐ सिद्धायै नमः
करो नियमित रेहीक्रियायोग।
सेवा तप दान करो बढ़ आगे
आशीष रहे सद्गुरु बन सुयोग।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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