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यदा यदा ही धर्मस्य..ओर इसी श्लोक में अर्थित ज्ञान की कैसे है अंग्रेज पूज्य इस विषय पर अपनी ज्ञान कविता केमाध्यम से बता रहें है स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी,,

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥


शब्दार्थ-
मै प्रकट होता हूं, मैं आता हूं, जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं, जब जब अधर्म बढता है तब तब मैं आता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं।
गीता के इसी महान श्लोक का विस्तारित अर्थ के अंतर्गत ये कविता है जो इसी ज्ञान का प्रमाण है कि जब जब धर्म की हानि किसी भी प्रकार से किसी भी काल या युग मे होती है,तब मैं यानी विश्वात्मा किसी भी मनुष्य जाति व उन्नतिकारक धर्म मे जन्म लेकर अधर्म के विस्तार को सही दिशा देता हूं।महाभारत के समय तब संसार भर में आर्य यानी हिंदुत्व का साम्राज्य था,जो कि परस्पर ही लड़कर अपनी सार्वभोमिक उन्नति का समाप्त कर कलियुग नामक युग के अंधकार में अपने अस्तित्त्व के वर्चस्व को झुझते रहे है।कलियुग के मध्यकाल में आकर केवल सम्राट अशोक ही अनेक देशों तक विजेता थे,फिर सब सिमटता गया और आर्य हिंदू बाहरी आक्रांताओं से युद्ध करते हुए और भी अपने सांस्कृतिक अस्तित्व को संघर्षयुक्त होते पराजित होकर दासत्व को प्राप्त होते हुए,इसी दासत्त्व के अंतिम चरण में जब हिन्दुत्त्व के अस्तित्त्व का दीपक दम तोड़ रहा था ठीक तभी यदा यदा धर्मास्य.. के घोष के रूप में अंग्रेजो का भारत मे प्रवेश हुआ।


इसी समय को सत्यास्मि मिशन ने नवयुग नारी उत्थान का युग प्रमाणित किया है कि,पूर्वकाल से चले आ रहे चार पुरुषयुग समाप्त हुए और आगामी चार स्त्री युगों का प्रारम्भ हुआ है,उसी के अंतर्गत ही इंग्लैंड में सबसे पहले स्त्री शक्ति का उद्धभव हुआ,महारानी विक्टोरिया के नेतृत्व में सम्पूर्ण विश्व अंग्रेजों का साम्राज्य स्थापित हुआ,इसी काल मे साइंस से लेकर सभी क्षेत्रों में उच्चतर विकास व स्त्रियों की अधिकार की संसार के सभी देशों में मांग और उन्हें स्थान मिलना शुरू हुआ।नहीं तो इससे पहले स्त्रियों को सभी धर्म और समाज व राजनीतिक केक्षेत्रो में कोई विशेषाधिकार प्राप्त नहीं थे,यो ये स्त्रियुग में ही यदा यदा ही धर्मास्य..का ईश्वरी शक्ति ने अवतार लिया इंग्लैंड में ओर उसे सम्पूर्ण विश्व मे सिद्ध कर रही है।अन्यथा भारत मे आज भी कथित पुरोहित लोग पुरुष अवतार कल्कि की आशा में उसी प्रकार से बैठे धर्म मे पुरुषवाद फैलाकर निकम्मापन दे रहे है,जैसे सोमनाथ के मंदिर ध्वंश के समय मे इन्ही परोहितो ने घोष किया था की भगवान आएंगे और इन विधर्मियों का नाश करेंगे और मन्दिर ध्वंश होते ही,लाखो हिंदुओ का इसी इंतजार में खड़ो का वध हुआ।तब से आजतक कल्पित ईश्वर अवतार लेंगे और विनाश रोकेंगे की कल्पित थ्योरी से विनाश ही हो रहाहै,उधर इंग्लैंड में प्रत्क्षय स्त्री अवतार आयी और उन्होंने ही इन इस्लाम को रोका है
ओर इस संदर्भ में जब विश्व भर में इस्लाम धर्म ने अपने धर्म को एक हिंसात्मक रूप देकर धर्मांतरण करना प्रारम्भ किया,ठीक तभी उसके सामने सम्पूर्ण विश्व मे बसी अंगेज जाति आ गयी ओर उन्होंने इस इस्लाम के हिंसात्मक धर्मान्दोलन को रोक दिया और आजतक रोके है और युद्धरत है।हमारे कुछ कथित विस्तारवादी जन हल्ला मचाते हुए अंग्रेजियत का वहिष्कार करते है,की,हम ये थे और हम वो थे,ओर करने के नाम पर बस गलबजुआ बने रहते है तो उन्ही के ज्ञानवर्द्धन को ये छोटी से कविता यूँ लिखी है कि,,

धन्यवाद दो अंग्रेजो को
की उन्होंने तुम्हे बचाया।
वरना मुस्लिम होते तुम
पढ़ रहे होते या ख़ुदाया।।
सोचो मुस्लिम कुछ ओर वर्ष रह
शासन करते भारत वर्ष।
नाम भी मिट देश मुस्लिम बन जाता
अल्पसंख्यक हिंदू जीते तरस।।
रोक दी मुस्लिम आंधी को
जो फैल रही थी विश्व पटल।
धन्य अंग्रजों का तुम मानो
आज भी लड़ रहे इन्हें रोक अटल।।
रोक दिया अंग्रेजों ने सब
धर्मांतरण जबरदस्ती।
सहूलियतें दी खोज साइंस को
शिक्षा घर घर कर दी सस्ती।
साइकिल से सेटेलाइट तक देकर
पेड़ पहाड़ कर भूमिगत गश्ती।।
खून जांच चढ़ा खून तक
बदल खून कर निरोगी काया।
संतानहीन दे औलाद मनचाही
रूप बदल देकर हर अंग साया।।
फिल्में दे कल्पना दुनियां की
हर वर्ग दिया मनोरंजन।
रेल कार हवाई जहाज पनडुब्बी
रास्ते सैर को कर दिए दुखभंजन।।
गर्मी में कूलर दे ऐसी
मौसम किया नियंत्रित घर।
सभी सुविधा सहज कर दी
सुनो भजन रिकॉर्ड कर हर।।
मिटा दि दूरी बदल के भाषा
कंप्यूटर और दे फोन मोबाइल।
मन करें जब जिसे बतयाओ
बिन तडफे दिल कह सुन कर डाइल।।
खेलकूद को विश्व मंच बनाया
ओलॉम्पिक करा दिए दिग्गज।
आधुनिक व्यायाम पद्धति दे जग
किया स्वास्थ को उच्चतर सजग।।
पुरुषकार दिए हर क्षेत्र प्रतिभा
उन्हें दे विश्व सम्मान।
जन जन को भी पता चला यूँ
किसने किया ये काम महान।।
कानून बनाकर मर्द औरत को
समानाधिकार सहज दिलाया।
न्याय प्रक्रिया न्यायविद्य से शिक्षा
भेद वर्चस्व भरा मिटाया।।
प्रेम अंतर्जात विवाह सहज कर
सुरक्षा दी सामान्य मनुष्य।
राजाशाही मिटा जगत से
लोकतंत्र वोट दे अधिकार मनुष्य।।
हर कोई प्रधान बन सके
प्रतिभा से पा सम्पूर्णतम पद।
ज्ञान विज्ञान भूमि से नभ तक
बढा दिया मनुष्यता का कद।।
विश्वयुद्ध नहीं हो करी व्यवस्था
विश्व शांति सेना करी गठित।
विश्व न्यायलय प्रणाली देकर
किये मानवाधिकार नियम बढ़ित।।
पुनर्जागरण नवयुग का करके
छिपे पीरामिड गुह् मंदिर खोजे।
भूमिगत खनिज निकाल सभी दे
सुलभ किये सभी रहस्य अनसुलझे।।
ऐसे सभी अधिकार अनन्त कर
सबको दिया जीवन स्वतंत्र।
नमन करो इन अंग्रेज ईश को
मिटा दि दुखद व्यवस्था परतंत्र।।
यो हम आर्य बकवास ही करते
पुराने गड़े उखाड़ मुर्दे।
कुछ भी नया नहीं करते है
बस दोष निकाल उड़ा गर्दे।।
हमारे पुरखों ये लिखा है
ओर ये कहा हमारे इन शास्त्र।
करतब में नहीं कर दिखलाते
मुँह भख्या करते है मात्र।।
खाकर इनका दिया हुआ सब
साधन नोकरी ओर विश्व व्यापार।
नहीं तो होते बनिये से शोषित
करते लूट गए हाहाकार।।
सारे बाबा ओर सत्संगी सब
अंग्रेजों ने किया धर्म स्वीकार।
दे कर दान डॉलर में हिंदू
बना दिए अमीर कर संत सत्कार।।
कोन पूछता विवेकानंद को मुस्लिम
कोन पूछता मुस्लिम के देश।
क्रांति तक में अंग्रेज रहे सहायक
शरण सहयोग दे अंग्रेजी देश।।
अंग्रेज ही आज हम सहयोगी
मुस्लिम चीन विवाद या युद्ध।
धन तन अन्य साधन सामग्री
दे बनाने में सबल इन अवरुद्ध।।
जब जब धर्म की हानि होगी
तब तब लू पुरुष अवतार।
पुरुष अवतार चार हुए अब पूरे
अब स्त्री ईश्वरी ले अवतार।।
चार युग पुरुष के नामा
चार स्त्री युग अब हुए आरम्भ।
उन्हीं चार युग मे एक सिद्धयुग चलता
इस युग नारी रूप में हुआ प्रारम्भ।।
प्रथम नारी बनी सम्राज्ञी
ले अवतरण जन्मी इंग्लैंड।
शासन संभाला पिता पुरुष का
बदल बढा दिया स्वरूप इंग्लैंड।।
विक्टोरिया बनी विश्व महारानी
ओर दिया चरम ज्ञान विज्ञान।
पूरब से फैला पश्चिम तक
स्वतंत्रता दि नारी उत्थान।।
आज भी प्रमाणिकता बन कर
यही परम्परा प्रचलित इंग्लैंड।
प्रतिनिधित्व स्त्री अवतारी
एलिज़ाबेथ महारानी इंग्लैंड।।
तब से अब तक विश्व पटल पर
नारी का बढ़ रहा प्रभाव।
चाहे धर्म या कोई क्षेत्र हो
नारी उत्थित है हर महाभाव।।
ऐसे अनगिनत है कारण
जो सम्मानित है नर नारी अंग्रेज।
यदा यदा धर्मास्य अर्थ उद्धघोष
यो बकवास छोड़ सम्मान करो अंग्रेज।।

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
www.satyasmeemission.org


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