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आज नोटबंदी की बरसी नहीं बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बरसी है, अब बीजेपी या पीएम मोदी जश्न क्यों नहीं मना रहे?

8 नवंबर 2016 का वो काला दिन जिस दिन पीएम मोदी ने 500 और 1000 के नोट पूरी तरह से बंद कर दिए थे। जिसके बाद भारत में क्या हुआ यह बताने की जरूरत नहीं।
आज नोटबंदी को पूरे 4 साल हो गए हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था अभी तक पटरी पर नहीं आ पाई है। खैर अभी तो कोरोनाकल है लेकिन इससे पहले भी जीडीपी 4 सालों से लगातार अपने निम्नस्तर पर रही। और अब तो हाल ऐसे हैं कि जीडीपी माईनस में है।

पीएम मोदी ने नोटबंदी यह कहकर की थी कि इससे कालाधन रखने वाले, अतंकवादी, अवैध रूप से काम करने वालों पर तगड़ी मार होगी।
लेकिन ऐसे लोगों का कुछ न बिगड़ा उल्टे जनता पर दोहरी मार पड़ी। उसे अपने ही पैसों के लिए लाइन में लगना पड़ा, कइयों की तो भीड़ में मौत हो गयी और इसके बाद बेरोजगारी और महंगाई ने दोहरी मार मारी।
इस नोटबंदी ने भारत को जख्म के सिवाय कुछ फायदा नहीं दिया। और आज 4 साल बाद भी लोगों के जख्म हरे के हरे हैं।
इन 4 सालों में न जाने कितने रोजगार बन्द हुए, लाखों लोग बेरोजगार हो गए।
अनुमान तो यह है कि लगभग 2 करोड़ लोगों की नौकरी गयी, 10 लाख छोटे बड़े उधोग बन्द हुए।

अगर नोटबंदी इतनी ही सफल थी तो पीएम मोदी और बीजेपी को नोटबंदी के दिन पर हर साल जश्न मानना चाहिए। नोटबंदी के नाम पर देश के युवाओं से वोट मांगने चाहिए।

लेकिन नेता आखिर नेता होते हैं। उन्हें जनता के दुःख दर्द का जरा एहसास नहीं होता। अगर होता तो बेशर्मी की माफी मांगी जाती।

रिपोर्ट : खबर 24 एक्सप्रेस

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