इस दिवस पर अपनी कविता ओर ज्ञान वार्ता के माध्यम से स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी कहते है कि,,
हर वर्ष भारत में व अनेक देशों में भी 7 नवंबर को शिशु सुरक्षा दिवस मनाया जाता है। इस दिन को शिशुओं की सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने और शिशुओं की उचित देखभाल करके उनके जीवन की रक्षा करने के लिए दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है। हम सभी लोगों को यह ध्यान में रखना ओर जानना चाहिए कि उचित सुरक्षा और उचित देखभाल की कमी के कारण, नवजात शिशुओं को बहुत सारी शारारिक समस्याओं का सामना वर्तमान में और आगामी भविष्य में करना पड़ता है।जिसका फिर निदान करना बड़ा ही कठिन है।
भारत में शिशु मृत्यु दर जाने:-
हमारे देश भारत में माँ और शिशु की स्वास्थ्य देखभाल की कमी के कारण अन्य देशों की तुलना में शिशु मृत्यु दर अधिक है। सरकार ने इस स्वास्थ योजना को इस दिवस ओर अन्य समयों पर लागू करके शिशु मृत्यु दर को रोकने के लिए एक प्रभावी उपाय की घोषणा की है।फिर भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, जागरूकता की कमी और जनसंख्या के बढ़ते बोझ के कारण शिशु मृत्यु दर में अपेक्षित कमी नहीं आई है। शिशु कल के भविष्य नागरिक हैं, और उनकी सुरक्षा करना आज ही परम आवश्यक है क्योंकि वे ही इस दुनिया के उन्नत भविष्य हैं। भारत सरकार ने शिशुओं के लाभ के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।
इसी शिशु सुरक्षा दिवस पर कविता इस प्रकार से है कि,,
ईश्वर और ईश्वरी दोनों ने
जन्मी सृष्टि अपने दिव्य प्रेम।
अंकुरित करे माँ गर्भ में अपने
पोषित किया जीव दे दुग्धरस प्रेम।।
कोई जीव हो इस जगत का
यही संस्कार मिला माँ ईश।
अपनी लगा जान की बाजी
सुरक्षा देती दिन ओर निश।।
नाल काट कर भिन्न है करती
अपने मध्य जो तन सम्बन्ध।
फिर पालती बहिर स्नेह सुरक्षा
देकर अपनी गोद के बंध।।
इसमें देती सहयोग परिजन
ओर पड़ोसी दूर सदुर।
नहीं छूते नवजात शिशु को
रोगकारक कारणों से रख दूर।।
जापा बिगड़े नहीं मातृ का
इसका रख्खा जाता ध्यान।
माँ स्वस्थ तो शिशु सुरक्षित
प्रचलित यही समाजिक ज्ञान।।
प्रसव समय दाई अज्ञानी
ओर साधन नहीं हो प्रसवकाल।
उल्टा बच्चा जन्में कष्टकारी
उसे निकालते गर्भ से बड़े संभाल।।
जन्मता शिशु स्वास नाल ले
बड़ा ही कोमल तन अंग संग।
उसे नाभि नाल से काट भिन्न कर
तब जगाते उल्टा कर थपकी तंग।।
नाल काटते त्रुटि हो गयी
या प्रसव समय बहे रक्त अधिक।
मां शिशु को जीवन खतरा
इन कारण मृत्यु पाएं अधिक।।
सीलन गंदगी दूषित घर हो
मां संग शिशु रोग बढ़े।
स्वस्थ जगहां ही लालन पालन
नवजीवन मृत्यु दर तभी घटे।।
नए वस्त्र शिशु पहनाएं
पुराने वस्त्र हो स्वच्छ धुले।
तन कोमल पर गंदे कपड़े
घातक है नवजीवन बन शूले।।
यही काम सरकार कर रही
मना शिशु सुरक्षा दिवस।
स्वास्थ ज्ञान संग साधन देकर
बंटवाती निशुल्क दवाई पीवस।।
आओ मनाये शिशु दिवस को
भविष्य हमारा सुरक्षित बने।
शिशु ही नव समाज बनेगा
स्वस्थ शिशु ही स्वस्थता जने।।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी
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