अब चुनाव बहुत बड़ी चीज हैं और जीतना भी जरूरी हैं, हर बार के चुनाव महंगाई का अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं।
इस बार बीजेपी का अकेले का चुनावों पर खर्चा इतना रहा जितना कि सभी पोलिटिकल पार्टियों का मिलाकर हुआ।
यानी चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने दिल खोलकर खर्च किया।
खैर हम चुनावी खर्चे की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि सरकार द्वारा लिए गए कर्जे की और वित्तीय घाटे की बात कर रहे हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत सरकार पर 49 फीसदी का कर्ज बढ़ा है। शुक्रवार को केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट का आठवां संस्करण जारी किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक बीते साढ़े चार सालों में सरकार पर कर्ज 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो जून, 2014 में सरकार पर कुल कर्ज 54,90,763 करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपये हो गया।
कर्ज में बढ़ोतरी की वजह पब्लिक डेट में 51.7 फीसदी की बढ़ोतरी है, जो बीते साढ़े चार सालों में 48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। मोदी सरकार के कार्यकाल में मार्केट लोन भी 47.5 फीसदी बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। जून 2014 के आखिर तक गोल्ड बॉन्ड के जरिए कोई डेट नहीं रहा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार सालाना स्टेटस रिपोर्ट के जरिए केंद्र पर कर्ज के आंकड़ों को पेश करती है। यह प्रक्रिया 2010-11 से जारी है।
कर्ज में बढ़ोतरी की वजह पब्लिक डेट में 51.7 फीसदी की बढ़ोतरी है, जो बीते साढ़े चार सालों में 48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 73 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। मोदी सरकार के कार्यकाल में मार्केट लोन भी 47.5 फीसदी बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा। जून 2014 के आखिर तक गोल्ड बॉन्ड के जरिए कोई डेट नहीं रहा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार सालाना स्टेटस रिपोर्ट के जरिए केंद्र पर कर्ज के आंकड़ों को पेश करती है। यह प्रक्रिया 2010-11 से जारी है।
अब यह भी बात सामने आ रही है कि सरकार अब सरकारी कर्ज के भी आंकड़े पेश नहीं करेगी।
ख़बर 24 एक्सप्रेस के लिए कन्हैया लाल मराठा की रिपोर्ट