
अब इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की,ये आक्रोश प्रतिक्रिया आ रही है,की-हमारे जैसे छोटे व्यवसायियों की रोजीरोटी पर न्यायपालिका ने ये बन्द करा कर बड़ा अन्याय किया है,हम बेरोजगार कहां जाएं?
जबकि हमें खतरनाक है,शराब सिगरेट तम्बाखू आदि तो वो पूरी तरहां बन्द होना चाहिए।
जबकि ध्वनि प्रदूषण इतना हानिकारक नहीं है,जितना बताया गया है और इससे कोई जानलेवा हानि या मृत्यु नहीं होती है,व नहीं हुई है,हमें बदनाम किया जा रहा है।
ओर सभी ध्वनि विस्तारक यंत्रों को डीजे नहीं कहा जाता है,बल्कि जो डीजे कहकर प्रचारित किया जा रहा है,वो डीजे है ही नहीं,डीजे का अर्थ है-“डिश जॉकी”!जिसे कई एम्प्लीफायरों ओर स्पीकरों को जोड़कर तैयार किया जाता है।

अब इनसे पूछे कि,अरे अब सब ओर यही तो इस्तेमाल किया जा रहा है।मैटाडोर छोटे बड़े ट्रकों में इन्हें भरकर फिर आपस मे एक कम्पटीशन किया जाता है,किसके इस डीजे सिस्टम की आवाज सबसे ज्यादा ओर कितनी शोर के साथ दूर तक जा रही है,कितना उन्माद ओर पागलपन मन मे ला रही है,अभी तो सड़क पर बने मकानों के शीशे नहीं टूट रहे और न लोग घर से बाहर निकल हमें देख रहे,दरवाजे खिड़कियां कांप नहीं रहीं है,मतलब अभी हमारा ये म्यूजिक सिस्टम का विनाशकारी उन्मादी प्रलयंकारी भयंकर प्रभाव घर की खिड़कियों व दरवाजों व शीशों को नुकसान नही पहुँचा रहा है,लोग परेशान होकर हम से मिन्नत नहीं कर रहे है कि,भई आवाज को कम करों ओर इस मिन्नत को सुनकर हम उनसे कहेंगे कि,अरे हम क्या तुम्हारे को कुछ कह रहे है,हम तो सड़क पर निकल रहे है,बस,ओर ज्यादा कहें,तो उनसे झगड़ों उन्हें धमाकों,ओर उनकी इस मजबूरी पर हंसो,जब कोई शिकायत करें तो,उसके खिलाफ उसके किसी समारोह व विवाह में बजने वाले सामान्य संगीत पर भी एतराज करके उससे झगड़ो।
ओर रही शराब पीने से हानि ओर से बन्द की बात,तो शराब पीना बहुत हानिकारक है,मानो एक व्यक्ति शराब पी रहा है,तो वो आपकी स्वतंत्रता की बाँधित नहीं कर रहा है,वो हानि पहुँचायेगा तो,अपने परिवार को या कुछ लोगो को,जिसे उसके परिजन नितन्त्रित कर सकते है,उसे रोका जाता भी है,पर इस भीषण ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव तो ना चाहते हुए,सारे समाज पर होता है।
सड़को पर निकल रहे ये तेज बजते लाउडस्पीकरों का बड़ा समूह या ये कथित डीजे,जो धार्मिक शोभायात्रा हो या व्यक्तिगत या नेता का स्वागत हो,या केवल अपने ही मनोरंजन को हो,वहां उपस्थित सभी के सभी लोगो को बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित करता है।
जो कि लोगो को इस प्रकार की तेज ध्वनि की बिल्कुल या इतनी आवश्यकता नहीं है।
ओर
एक तो देंनिक आवश्यकता की जरूरतें है,जैसे-कार,बस,स्कूटर आदि ये हमारी देंनिक आवश्यकता है,इनके बिना हमारा देंनिक जीवन चलना बाँधित होता है।ये न चले तो,हम समय पर दूर तक अपने व्यवसायिक व नोकरी के स्थान पर नहीं पहुँच सकते है।
ओर इनके हॉर्न हमारी यात्रा में आने वाली बाँधाओ को हटाने में सहायता करते है,हां इन होरणों को अतिरिक्त व अधिक देर तक बजाने पर ये भी इतने ही हानिकारक बनते है।पर ये इतनी देर तक बजते नहीं है।यो उन्हें नियंत्रण में माना जाता है।

गहन रात्रि व सोने के समय ये सब लगभग बन्द ही हो जाते है।पर ये कथित डीजे या अनेक लाउडस्पीकर जो कि हमारे सोने के समय पर भी बजते होते है, ओर जो उस समारोह से सम्बंधित भी नहीं है,वो भी इन संगीत के नाम पर भयंकर शोर से प्रभावित होकर सो नहीं पाता है।
ओर जो अस्पताल है,ये तेज आवाज में बजने वाले संगीत के नाम और भयंकर शोर,उनके रोगों को ओर बढाते है,जबकि उसे उस समय कोई भी तेज आवाज कष्टकारी होकर जीवन को हानि दे सकती व देती है।यो ये बजने किसी भी तरहां उपयोगी नहीं है।
ओर ये कहाँ व किसके घर या स्थान पर जाकर तेज आवाज में बज रहे है,उसे रात्रि में जाकर कौन रोके,रोके तो लड़ाई करो,या पुलिस को फोन करो,फिर वो उसे बुलाती ओर तरहां तरहां के प्रश्न उत्तर करके परेशान करती है।
बच्चे पढ़ नहीं पाते है,लोग सही से सो नहीं पाते है,रोगी को आराम नहीं मिलता है,सड़क पर चल रहे व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति की वार्ता नहीं सुनाई आती है,न सड़क पार कर रहे व्यक्ति को किसी वाहन के हॉर्न की आवाज सुनाई नहीं आती है,नतीजा एक्सीडेंट हो जाते है।
आप प्रातः या रात्रि में अपने देंनिक कार्य निपटाकर फिर आराम से स्नान आदि करके, कोई मन ही मन अपनी शांति को मन्त्र जप या कोई भजन कर रहे है,तभी इन तेज बजते साउंड यंत्रों से कोई और मन्त्र व भजन चालीसा चलने लगी,तो उस व्यक्ति को अपना मन्त्र चलाने में बड़ी कठनाई आती है और अंत मे वो अपनी पूजा आदि सब छोड़कर यदि सोने जाए,तो इस शोर से सो नहीं पाता है।तब क्या करें ऐसा व्यक्ति,जो अपने घर पर भी शांति से नहीं जप तप या कोई बौद्धिक एकाग्रता का पठन पाठन,पेपर की आवश्यक तैयारी भी नहीं कर सकता या ऑफिस का कार्य नहीं कर सकता,जो बीमारी में शांति से न अस्पताल न घर पर आराम भी नहीं कर सकता।
कम से कम एक शराबी व सिगरेट पीने वाला व्यक्ति केवल कुछ वर्ग विशेष को ही तो प्रभावित कर रहा है,उसे वही नियंत्रित किया जा सकता है।पर इन सदृर बजने वाले ध्वनि यंत्रों को कैसे नियंत्रित किया जाए?
यो ये सभी हानिकारक कारणों से अधिक हानिकारक है,यो इनका बजना सबके लिए बन्द ही उत्तम है।
अब रही विवाह व समारोह में इनकी आवश्यकता की,तो उनके बिना भी विवाह व समारोह सहज रूप से होने सम्भव है।पहले भी होते रहे थे और आज भी होते रहेंगे।
ओर यदि कुछों को आवश्यकता भी है,तो आपने कान पर सुनने का यंत्र लगाकर नाचते व सुनते रहो, उससे दूसरे बाँधक नही होंगे और खुद को भी आनन्द आएगा,यदि आपके आनन्द का कारण दुसरो की पीड़ा पहुँचाना है,तो ये ध्वनि प्रदूषण ही सिद्ध होता है और बन्द ही होना आवश्यक है।और इस बन्द के विपरीत कोई विधेयक आता है,तो उसके लिए इन ध्वनि प्रदूषण फैलाने वालों से अधिक इसे रोकने वाले लोग अधिक है,जिन्हें इस ध्वनि प्रदूषण से छुटकारा चाहिए।
यो आपमें से जो जो लोग ये चाहते है कि,खूब शोरशराबा हो,सबकी नींद उड़ी रहे आप करवट बदलते सारी रात उठते बैठते रहे,सो नही पाए,पढ़ाई न हो ओर आपके नम्बर कम आये,आपकी सुबह की परीक्षा विफल हो जाये,सही से इंटव्यू नहों दे पाए,ऑफिस का काम रात को पूरा नहीं कर पाए,सुबह बॉस की डांट खाना चाहे,रोगी आराम नहीं पाए,पूजा पाठ बिगड़ जाए,आप मानसिक रोगी हो जाये,आप प्यार के दो पल इस शोर से आपस मे नहीं बिता पाए,आपके गर्भ में पल रहे आपका प्यारा भविष्य नवजात बच्चा मानसिक रोगी होकर आजीवन आपको कष्ट दें,आप किसी की बात ही नहीं सुन पाए,न कोई बात कह पाए,इस शोर से सड़क पर टकरा कर गिर पड़े,आपके घर की खिड़कियां हिलती रहे,आपके शीशे टूट कर गिर जाए,ओर किसी से इस सम्बंध में कुछ कहे ओर वो आपसे बतमीजी से बोले झगड़े।यदि आप ही इसमें सहयोगी होना चाहते है,तो आप इस डीजे ओर इस साउंड सर्विस को फिर से अपने जीवन मे ला सकते है,इस सम्बंध में फिर कुछ नहीं किया जा सकता है।आपकी मर्जी इसे आगे शेयर करें या नहीं,

स्वामी सत्येन्द्र सत्यसाहिब जी।