खबरों के मुताबिक बिहार के बाहुबली निर्दलीय विधायक अनंत सिंह को पटना पुलिस जब गिरफ्तार करने के लिए उनके आवास पर पहुंची वैसे ही विधायक को पुलिस के आने की भनक लग गयी और वो घर के पीछे के दरवाजे से फरार हो गए। पुलिस ने उनके सरकारी आवास से छोटन को गिरफ्तार कर लिया है। छोटन अनंत का करीबी है और उसपर हत्या के 22 मामले दर्ज हैं।
ग्रामीण एसपी कांतेश मिश्रा और सिटी एसपी सेंट्रल विनय तिवारी के नेतृत्व में पुलिस जब अनंत सिंह के आवास पर पहुंची तो घर का दरवाजा बंद था। पुलिस किसी तरह घर के अंदर दाखिल हुई। इस हफ्ते की शुरुआत में पुलिस ने विधायक के घर पर छापेमारी की थी। पुलिस ने विधायक के घर से एके-47 राइफल और दो बम बरामद किये।
बता दें कि अनंत सिंह कई मामलों में आरोपी हैं, उनपर लोगों को धमकाने, अपहरण, लूट, हत्या और हत्या के प्रयास के दर्जनों मामले चल रहे हैं।
अनंत सिंह पुलिस के रडार में उस समय आए, जब उनका एक ऑडियो क्लिप वायरल हुआ। उस ऑडियो में वो अपने सहयोगी के साथ मिलकर विरोधी की हत्या करने को बात कर रहे थे। इसी कारण पुलिस ने पिछले हफ्ते उनका वाइस सैंपल भी टेस्ट कराया था।
तो आइये आपको बताते हैं कि कौन हैं यह बाहुबली अनंत सिंह जिससे डरते हैं बड़े से बड़े नेता और डॉन
बिहार में छोटे सरकार के नाम से प्रसिद्ध अनंत सिंह बिहार के बाढ़ और मोकामा से संबंध रखते हैं।
अपराध जगत से अनंत का रिश्ता कई दशक पुराना रहा है। कहा जाता है अनंत सिंह ने 12 साल की उम्र में हत्या की पहली घटना को अंजाम दिया तो इसके बाद उन्होंने मुड़ कर कभी पीछे नहीं देखा। पहले वो जुर्म की दुनिया के बादशाह बने और फिर राजनीति में एंट्री ली। अनंत सिंह पर हत्या, अपहरण और बलात्कार जैसे संगीन मामलों में दर्जनों केस दर्ज हैं।
अनंत सिंह के खौफ और रसूख के किस्से पूरे बिहार में सुनने को मिलते रहते हैं। साल 2007 में एक महिला से दुष्कर्म और हत्या के केस में बाहुबली विधायक का नाम आया था। जब इसके बारे में एनडीटीवी न्यूज़ चैनल के पत्रकार पक्ष जानने अनंत के आवास पर पहुंचे तो सत्ता के नशे में चूर विधायक और उनके गुंडों ने पत्रकार की जमकर पिटाई की।
इससे पहले अनंत सिंह के घर पर मोकामा में साल 2004 में जब बिहार पुलिस की एसटीएफ ने छापेमारी की तब दोनों तरफ से घंटों गोलीबारी हुई। दरअसल, अनंत सिंह ने महलनुमा बने अपने आवास में कई समर्थकों को शरण दे रखी थी जिससे पुलिस की छापेमारी में वह आसानी से बच जाए। इसके अलावा खुद को सुरक्षित रखने के लिए उसने एक विशेष कमरे का निर्माण भी कराया था। इस घटना के बाद अनंत सिंह सुर्खियों में आए।
इस गोलीबारी में एक पुलिसकर्मी समेत अनंत सिंह के आठ समर्थक मारे गए। कहा जाता है कि इस घटना में विधायक को भी गोली लगी थी लेकिन वो फरार होने में कामयाब हो गया।
अपराध की दुनिया का बादशाह बनने के बाद अनंत सिंह ने सियासी गलियारों में भी अपनी पैठ बनानी शुरू की। इसी दौरान अनंत सिंह की मुलाकात नीतीश कुमार से हुई और 2005 में वह मोकामा से जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीत गए। इसके बाद साल 2010 में भी वह जेडीयू के टिकट पर मोकामा से विधायक चुने गए।
साल 2015 के चुनाव में लालू की पार्टी आरजेडी से गठबंधन के कारण जेडीयू ने सियासी नुकसान को देखते हुए अनंत सिंह का टिकट काट दिया। हालांकि अनंत सिंह निर्दलीय चुनाव में उतरे और जीत हासिल की। बड़ी बात यह है कि अनंत सिंह जैसे नामी अपराधी को राजनीति में लाने वाले नीतीश कुमार की छवि प्रदेश में सुशासन बाबू के नाम से प्रसिद्ध है।
अनंत सिंह और सुशासन बाबू उर्फ नीतीश कुमार की दोस्ती की नींव साल 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान पड़ी थी। उस समय नीतीश कुमार बाढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद और अटल सरकार में रेलमंत्री थे। नीतीश के खिलाफ आरजेडी-लोजपा ने बाहुबली सूरजभान को मैदान में उतारा था। उस चुनाव में अनंत सिंह ने नीतीश की खूब मदद की।
इसके अलावा एक जनसभा के दौरान अनंत सिंह ने नीतीश को चांदी के सिक्कों से तौला था। इसके बाद से ही अनंत सिंह नीतीश कुमार के करीबी बन गए और पूरे प्रदेश में उनकी तूती बोलने लगी। लेकिन साल 2015 में आरजेडी से जेडीयू की नजदीकियों के कारण अनंत सिंह किनारे कर दिए गए। वहीं से उनके बुरे दिन की शुरूआत हुई।
अनंत सिंह को घोड़ों का बहुत शौक रखते हैं। कहा जाता है कि अगर उन्हें कहीं अच्छे नस्ल का घोड़ा होने की जानकारी मिल जाए तो जबतक उसे खरीदे नहीं तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता। घोड़े पर बैठकर घूमते हुए उनकी कई फोटोज वायरल हो चुकी हैं। एक बार तो यह घोड़े पर सवार होकर पटना विधानसभा पहुंचे थे। इसके अलावा अनंत सिंह को अजगर पालने और चश्में लगाने का खूब शौक है।
साल 2015 में भी ऐसी ही एक और घटना सुर्खियां बनी जब अनंत सिंह के करीबी किसी महिला पर मोकामा के पास बाढ़ बाजार इलाके में चार युवकों ने छेड़खानी कर दी। इसके बाद विधायक के घर से निकले समर्थकों की टोली ने उन लड़कों को सरे बाजार उठा लिया। लेकिन, बढ़ते दबाव से मजबूर पुलिस को इस मामले में कार्रवाई करनी पड़ी।
जब पुलिस लड़कों की तलाश में उनके गांव पहुंची तबतक पिटाई के कारण उनमें से तीन की हालत गंभीर हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने विधायक के कई समर्थकों को भी हिरासत में लिया। जबकि एक युवक की दर्दनाक तरीके से हत्या कर दी गई थी। उसका शव पास के जंगल से बरामद किया गया था।
इस घटना की गूंज पूरे बिहार में सुनाई दी। रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस के पास इस घटना में अनंत सिंह की संलिप्तता के कई सबूत थे लेकिन उनकी गिरफ्तारी को रोकने के लिए राजनीतिक दबाव पड़ रहा था। इसलिए, बाहुबली विधायक की गिरफ्तारी को लगातार टाला जाता रहा।
लेकिन, एक नाटकीय घटनाक्रम में 24 जून को आखिरकार अनंत सिंह को पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी इतनी आसान नहीं थी। इस मामले में अनंत सिंह को गिरफ्तार करने का मन बना चुके तत्कालीन एसएसपी जितेंद्र राणा का शासन ने तबादला कर दिया। लेकिन 23 जून को तबादले की भनक लगते ही राणा ने प्रेस कांफ्रेंस कर इस केस से जुड़ी सारे तथ्य सार्वजनिक कर दिए।
इसके बाद 24 जून को राणा की जगह नवनियुक्त एसएसपी विकास वैभव ने चार्ज संभालते ही अनंत सिंह के घर का सर्च वारंट लेकर कई जिलों की फोर्स इकठ्ठा की। इसके बाद पुलिस ने विकास वैभव के नेतृत्व में कई जगहों पर छापेमारी कर शाम को अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। रात को ही उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में पटना के बेऊर जेल भेज दिया गया।