Breaking News
BigRoz Big Roz
Home / Bihar / नहीं रहे डाॅ.जगन्नाथ मिश्र!

नहीं रहे डाॅ.जगन्नाथ मिश्र!

अत्यंत ही दु:खदायी खबर!
कुशल प्रशासक ,विलक्षण संगठनकर्ता,सही अर्थों में राजनीति के चाणक्य , अत्यंत ही लोकप्रिय जन-नेता डाॅ.जगन्नाथ मिश्र को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि!
जेहन में सुरक्षित अनेक स्मृतियों में एक!
सन् 1982-83!तब राँची से एक दैनिक अखबार (बाद में ‘प्रभात खबर ‘ नामकरण) के प्रकाशन के लिए भवन-प्रेस बैठाने की योजना पर काम कर रहा था।कोकर इंडस्ट्रियल एरिया में भूखंड, 15-P,आवंटित हो चुका था।बिहार राज्य वित्त निगम में हमने वित्तीय सहायता के लिए आवेदन डाल रखा था।स्थानीय विधायक ज्ञान रंजन के साथ हमने एक कंपनी बनाईं थी-विज्ञान प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड।हम चार डायरेक्टर थे -मैं, मेरी पत्नी शोभा, ज्ञान रंजन और उनकी पत्नी बिभा!डाॅ जगन्नाथ मिश्र उन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री थे।
राँची स्थित वित्त निगम के प्रबंधक किन्हीं कारणों से (तब अज्ञात, बाद में ज्ञात) हमारे ‘प्रोजेक्ट ‘ के खिलाफ थे।मैंने ,एक दिन सुबह राँची से पटना फोन पर डाॅ. मिश्र से बात की।उन्होंने पटना बुलाया।
दूसरे दिन सुबह,सभी कागजात लेकर पटना रवाना हुआ।इससे संबंधित एक दिलचस्प वाकया!जब पटना जा रहा था,राँची विमानतल पर वित्त निगम के वे प्रबंधक मिल गये ।मेरे हाथों में ‘प्रोजेक्ट ‘ से सबंधित कागजात देख उन्होंने फब्ती कसी, “…विनोद जी!पटना जा कर क्या होगा?..फाइल तो मेरे पास ही आयेगी।” मैंने गुस्से में तब जवाब दिया था, “अगर आपके पास आने की नौबत आई,तो ‘प्रोजेक्ट ‘ फाड़ कर फेंक दूंगा !….आपके पास नहीं आऊंगा ।”
प्रबंधक हँस पड़े थे।वे अपनी जगह ठीक थे।नियमानुसार, उनकी अनुशंसा चाहिए थी।
पटना पहुंच, जगन्नाथ जी को फोन किया।उन्होंने विधानसभा में बुलाया ।तब सत्र चल रहा था ।जब मैं जगन्नाथ जी के कक्ष में पहुँचा,तो सुखद आश्चर्य!राज्य के औद्योगिक विकास आयुक्त,श्री अरुण पाठक और वित्त निगम के प्रबंध निदेशक श्री मंत्रेश्वर झा पहले से मौजूद!जगन्नाथ जी ने मेरे हाथ से कागजात ले,मंत्रेश्वर झा को,मैथिली में, ये कहते हुए खुद दिया कि,”इसे कर दीजिये!”
झा जी ने एक तकनीकी अड़चन बताई।वित्तीय बोझ को देखते हुए राज्य सरकार ने किसी नये प्रस्ताव की स्वीकृति पर रोक लगा रखी थी।जगन्नाथ जी ने अरुण पाठक की ओर देखा ।उन्होंने झा जी से कुछ पूछा, फिर बोले, “ठीक है, हम लिखित संशोधन आदेश भेजते हैं!”
पाठक जी मुझे सचिवालय साथ ले गये।चलते-चलते जगन्नाथ जी ने मुझे कहा, “सामने करवा लीजियेगा!”
पाठक जी ने अपने सहायक को बुला कर ‘डिक्टेशन’ दिया।फोन पर झा जी को सुना दिया।मूल प्रति ही मुझे दिया,जिसे ले मैं वित्त निगम श्री मंत्रेश्वर झा के पास गया।
स्वीकृति की प्रक्रिया शुरू हो गई ।और हाँ, रांची प्रबंधक के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ी।सबकुछ पटना में ही हो गया ।
इस प्रकार, प्रेस की स्थापना और ‘प्रभात खबर ‘को शुरू करने में डाॅ.जगन्नाथ मिश्र का भी बहुमूल्य योगदान रहा था।
कृतज्ञ मैं, उन्हें कभी नहीं भूल पाया!
कोटि- कोटि प्रणाम!नमन!!

वरिष्ठ पत्रकार एसएन विनोद की कलम से


Discover more from Khabar 24 Express Indias Leading News Network, Khabar 24 Express Live TV shows, Latest News, Breaking News in Hindi, Daily News, News Headlines

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Check Also

“इंदौर में राजा के घर पहुंचा सोनम का भाई, फूट-फूटकर मांगी माफ़ी – बोला, ‘उसे फांसी होनी चाहिए”

इंदौर में राजा के घर पहुंचा सोनम का भाई, फूट-फूटकर मांगी माफ़ी – बोला, 'उसे फांसी होनी चाहिए'

Leave a Reply