एक मासूम बिटिया जिसकी खिलखिलाहट सुनकर सारी थकान दूर हो जाये, बच्चों की मुस्कुराहट के आगे सारे दुःख दूर हो जाएं। बच्चे घर की शान होते हैं, जान होते हैं।
आज हम एक ऐसी ही मासूम की कहानी बताने जा रहे हैं, वैसे तो सोशल मीडिया ने उस बच्ची का नाम घर-घर पहुंचा दिया है, उसकी तस्वीरें खुलेआम शेयर की जा रही हैं.. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे…। हम सिर्फ उस मासूम की बात करेंगे…।
वो मासूम थी, छोटी सी निर्भया थी, जो अपने नन्हे हाथों से अपने माँ बाप को दुलार देती थी….
निर्भया, छोटी सी तीन साल की मासूम निर्भया जो खेल के अलावा शायद ही कुछ जानती हो। लेकिन एक दिन कुछ हैवानों ने उसकी खुशियां छीन लीं, खुशियाँ ही नहीं छीनी बल्कि इस तरह हैवानियत की कि उसे सुनकर किसी का भी खून खोल जाए।
बच्ची के मांस को उन हैवानों ने ऐसे नोंचा जैसे आदमखोर जानवरों ने नोंचा हो…।
उन शैतानों ने बच्ची के साथ इस कदर हैवानियत का नंगा नाच किया कि बच्ची न जाने कितनी तड़पी होगी, वो तो इतनी छोटी मासूम थी कि उन हैवानों से अपने को बचाने के लिए गुहार भी नहीं लगा सकती थी…। बच्ची सिर्फ यही सोच सकती थी कि उसका क्या कसूर जो अंकल उसके साथ ऐसा घिनोना खेल-खेल रहे हैं।
क्या ऐसे हैवानों को तुरंत फांसी पर नहीं चढ़ा देना चाहिए?
कानून क्या सजा देगा क्या नहीं…. हम 16 दिसंबर 2012 से सुनते आ रहे हैं लेकिन आजतक निर्भया बिटिया के हैवानों को फांसी नहीं मिली….।
16 दिसंबर का एक आरोपी जो उस वक़्त 16 साल का था वो मजे में छुट्टा घूम रहा है, क्योंकि वो हैवानियत करते वक़्त 16 साल का खुद मासूम था, तो उसकी मासूमियत के लिए उसे छोड़ दिया गया। वाह!!
इन दोनों हैवानों को भी कोर्ट में पेश किया जाएगा। केस चलेगा….।
सुनवाइयां होंगी….।
1 साल, 2 साल, 3 साल, 4 साल, 5 साल…… 10 साल।
और फिर हर साल ऐसे ही न जाने कितनी अनगिनत मासूमों की मौत पर तमाशा बनता रहेगा…।
हम 2012 से 2019 में आ पहुंचे… आये दिन ऐसी कोई न कोई घटना सुनने को मिलती है…. घटना सुनते ही हम भारतीयों का खून खोल उठता है, हम मोमबत्ती जला देते हैं और मोमबत्ती बुझते ही फिर कुछ देर बाद हमारा खून भी ठंडा हो जाता है।
हम भारतीयों के जैसा ही भारतीय कानून भी है…।
जब साबित हो गया कि गुनाह इसी गुनेहगार ने किया था…। हर सबूत हर गवाह चीख-चीखकर कह रहा है कि यही वो असली गुनेहगार है…. गुनेहगार भी कह रहा है कि हां वही गुनेहगार है। लेकिन इसके बावजूद केस सालों साल चलता रहता है…। गवाहों को तारीखों पर बुलाया जाता है, परिवार को बार-बार आना पड़ता है, कई बार तो लगता है कि पीड़ित खुद भी गुनेहगार हैं।
जी हां अलीगढ़ के टप्पल में जो हुआ उससे मानवता शर्मसार है।
तीन साल की बच्ची के साथ हुई बर्बरतापूर्ण हत्या से आज पूरे देश में उबाल है। पूरा भारत गुस्से में है। सोशल मीडिया हो या सियासी दल सभी जगह से एक सुर में यही आवाज आ रही है कि गुनाहगारों को कड़ी सजा मिले। बच्ची का शव रविवार को क्षत-विक्षत अवस्था में कूड़े के ढेर में मिला था जबकि बच्ची 30 मई से लापता हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने बच्ची के गायब होने की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बच्ची का शव मिलने के बाद खबर जंगल की आग की तरह पूरे भारत में फैल गयी। लोगों ने एक सुर में बच्ची को न्याय दिलाने और पुलिस के रवैये पर नाराजगी जताई।
बुलंदशहर में स्थित सत्यास्मि मिशन और सत्य ॐ सिद्धाश्रम के संस्थापक सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज ने इस मामले पर नाराजगी जताई और प्रशासन से आग्रह किया कि इस केस से संबंधित सभी हैवानों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
स्वामी जी ने कहा कि उन हैवानों को ऐसी सजा मिले कि अपराधियों के मन में कानून के प्रति डर पैदा हो सके। किसी मासूम के साथ ऐसी बर्बरता करने से पूर्व वो हज़ार बार सोचने पर मजबूर हों।
सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज ने जनता से भी अपील की, उन्होंने कहा कि हम कब तक मोमबत्तियां जलाते रहेंगें हम खुद क्यों सजग नहीं हो जाते हैं? अपराधी हमारे बीच होते हुए हमारी आँखों के सामने अपराध कर जाता है और हम मौन रह जाते हैं। हम तब तक मुंह नहीं खोलते जबतक बाकि लोग उस मामले पर न बोलें।
सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज ने कहा कि उन हैवानों के लिए सजा कानून जरूर दे, लेकिन कानून सजा देने में इतनी शीघ्रता दिखाए ताकि उस मासूम की आत्मा को शांति मिल सके। उन्होंने कहा कि फांसी से कमतर सजा नहीं होनी चाहिए। या उससे भी अगर भयंकर सजा हो वो इन हैवानों को मिले।
स्वामी जी ने कहा कि जबसे मैंने उस मासूम बिटिया के बारे में सुना है तब से मन विचलित है। एक तीन साल की बच्ची के साथ इस तरह की हैवानियत कैसे की जा सकती है, ऐसा सिर्फ आदमखोर जानवर ही कर सकता है।
मनीष कुमार “अंकुर” : खबर 24 एक्सप्रेस