चैत्र प्रेम पूर्णिमां व्रत के भक्ति में शक्ति के व्यक्तिगत सच्चे अनुभव कथा-“3″…
चैत्र पूर्णिमां को प्रेम पूर्णिमा व्रत,जो कि पतियों के द्धारा अपनी पत्नियों ओर सन्तान के सभी सुखों ओर प्रेम की प्राप्ति के लिए 19-अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को पांचवीं बार मनाया जाएगा,आप भी अवश्य मनाये…
ये सच्ची कथा इस प्रकार से है,की इस विषय मे भक्त मोहित जादोन ने अपनी पुरुष मित्र मण्डली में ये प्रेम पूर्णिमां व्रत की महिमा के विषय में बताया,जिसे सुन कर एक अड़ियल पुरुष मित्र ने तुरन्त आलोचना भरे अंदाज में सभी की और देखते हुए कहा की-अरे अब पुरुष भी व्रत रखेंगे? भई प्यार क्या प्रदर्शन की वस्तु है? ये तो है बस है!!
यो वहां बहस होने लगी।
अंत में मोहित ने निष्कर्ष निकाला की-चलो भाई अब तुम्हारे घर चलते है और तुम अपनी पत्नी के सामने ये ही बात कहना !!
वो बोला हाँ चलो..इसमें क्या डर है।
सब घर पहुँचे..
सबको घर आता देख उस व्यक्ति की पत्नी ने स्वागत करते पूछा की-आज ये पंचायत कैसे आई इस समय?
सबने उन्हें नमस्कार करी और घर में पधारते हुए उनसे कहा की-भाभी जी आप यहाँ बैठो!
और आप बताओ की-आप अपने इन हमारे भाई से प्यार करती हो या नहीं?
वे सकुचाती सी बोली की-ये क्या बात पूछी?
सब बोले की-बस आप दो शब्दों में बताओ की-आप इनसे प्यार करती है?
वे बोली-हां..
और अब उनके पति से कहते हुए की-हां भाई अब कहो..जो वहां कहा था।
कि-तुम भाभी से प्यार करते हो या नहीं?
वो अचकचा गया कि-क्या कहूँ?
फिर भी हेंकड़ी से बोला की- ये तो मन का विषय है..कहने का थोड़े ही..
अब सब बोले की-भाभी जी आप करवा चोथ का व्रत क्यों करती हो? क्या आपको बिना व्रत किये इनसे प्रेम नहीं है?
वे बोली-हाँ है..परन्तु ये व्रत भी तो विवाह के उस संस्कार की भांति है,जिस कर्मकांड से समाज को पता चलता है की-इन दोनों का विवाह हुआ है और समाज उनके परस्पर स्वेच्छित सभी भौतिक और आध्यात्मिक कर्मों को करने की स्वतन्त्रता देता है।अन्यथा तो दोनों ने ही तो प्रेम किया और अपनी सहमति से साथ रह सकते है और सारे गृहस्थी दायित्वों को भी पूरा कर सकते है।इसमें कोई बुरा नहीं है।फिर भी ये कर्मकांड और उसके नियम ही तो हमारे रूप में सारे समाज और उनके पवित्र रिश्तों के महत्त्व को उजागर कर बताते है कि-हम क्या है?
और उठ कर चाय नाश्ता लेने चली गयी और जब लायी तो सबको परोसा।जिसमें पति को अलग से दिया और जैसे ही सबने खाया तो सबने तारीफ की और पति ने एक दम कहा ये क्या?-पकोड़ों फ़ीके है और चाय में मीठा ज्यादा है।
इसे सुन वे बोली की-यही तो है.,खाने में सन्तुलन..
और उसका सामाजिक प्रदर्शन..
एक दिन वो सही नहीं मिला की-कह दिया की अरे ये क्या बनाया है?
ठीक यही है.,प्रेम और उसकी सामाजिक अभिव्यक्ति!!
जो समाज के सामने कहनी और आनी आवश्यक होती है।
समाज प्रश्न करता है, सभी प्रेम करने वालो से की-क्या केवल प्रेम ही करते हो या उसका दायित्त्व भी उठाओगे।
यो उसका उत्तर आवश्यक है।
इस सबको सुन कर उनका पति बोले की-तुमने सही कहा।और ये सब तीज त्यौहार हमारी प्रेम और प्रसन्नता के परस्पर बाँटने और आगामी हमारी पीढ़ी को ये बताने की- कैसे हम अपने प्रेम और प्रसन्नता को प्रदर्शित करें।यो सभी कर्मकांडो और व्रत के पीछे का सच्चा अर्थ प्रेम और उसकी सामाजिक रूप में प्रत्यक्ष श्रेष्ठता बतानी है।
और फिर बिना संकोच के पत्नी की और देख कर कहा-मुझे तुमसे प्यार है और इसके लिए जो भी सामाजिक रीति प्रेम पूर्णिमां व्रत की है,उसे अवश्य मनाऊंगा।साथ ही और लोगो को भी प्रेरित करूँगा।
मोहित जादौन सहित सभी ने प्रसन्नता से कहा।आओ अब इस व्रत की तैयारी कर मनाते है।
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
वर्तमान में घटित महाशक्ति पूर्णिमां माता की अतुलित कृपा का चमत्कार…
मैं मोहित जादौन फिर से गुरु जी व पूर्णिमा से जुड़ी एक चमत्कारिक कथा के साथ हाजिर हूँ यह अनुभव स्वयं का है, जैसा कि आपको ज्ञात होगा अभी छोटी होली 20 मार्च 2019 पर हमारे सत्य ॐ सिद्धाश्रम में माँ पूर्णिमा का यज्ञ का आयोजन किया गया था। उसी के तैयारी को समान लेन के बीच एक दिन पहले जब रात को घर पर जाकर देखा तो मेरा पर्स जिसमे मेरा आधार कार्ड पेन कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस और एटीएम कार्ड ओर अन्य भी जरूरी कागज थे, मेरी जेब मे नही था,उस रात को फिर अगली यज्ञ वाली सुबह को काफी ढूंढा पर नही मिला। अगले दिन यज्ञ के पश्चात गुरु को इस बारे में बताया, उन्होंने कहा कोई नही मिल जायेंगे। लेकिन मन बेचैन था,की उसमें सभी जरूरी कागजात थे और सोमवार को जरूरत भी थी।यज्ञ में सभी भक्तों के लिए गुरु जी के साथ मैने यज्ञाहुति कराते हुए,यज्ञ सम्पूर्ण कराया और अपनी दुकान पर आ गया।अब इसी तरह बेचैनी में शुक्रवार की रात्री को जाप के पश्चात जब गुरू जी व पूर्णिमा का ध्यान करके सोने की तैयारी कर रहा था,तभी उन दोनों के आशीर्वाद से विचार आया कि मैं यज्ञ के लिये सामग्री लेने गायत्री संस्कार पीठ गया था। तू वहाँ जाकर देख।इस विचार की प्रबलता के चलते जब सुबह मेने वहॉ जाकर पूछा, तो बाहर बैठे व्यक्ति ने मना कर दिया।तभी देवयोग से एक व्यक्ति जो उसी संस्था से जुड़ा हुआ था, वही दूसरी तरफ बैठकर अखबार पढ़ रहा था, जब में वापिस आ रहा था,तो उसने रोककर मेरा परिचय पूछा, जब मैने उन्हें अपना नाम पता बताया तो उसने कहा रुको, मैं अभी आता हूँ और अन्दर से मेरे सारे समान लाकर पूछा,यह तुम्हारे ही है,ओर पूरा का पूरा सामान मुझे सकुशल वापस मिल गया,अब यहाँ गायत्री पीठ वाले उन भक्त को मै धन्यवाद,तब भी ओर अब भी देता हूं,पर बात यहाँ ये है कि,उस पर्स में मेरा दुकान व मकान आदि का एड्रेस भी लिखा था,यदि वहाँ का भक्त उस नम्बर पर मुझे फोन कर सूचना देता ,तो मैं उनको श्रेय देता की,देखो उन्होंने मुझे वापस कर दिया,पर चौथे दिन पर मुझे ही गुरु और देवी पूर्णिमां की कृपा प्रेरणा आशीर्वाद से ये सब विचार मिलकर प्राप्त हुआ,ये है जीवन्त गुरु के वचन का प्रभाव,की चिंता मत कर,जप कर,मिल जाएगा।तभी ही देव देवी कृपा होती है,तभी गुरु को त्रिदेव से बड़ा और साक्षर परब्रह्म कहा गया है,गुरु में ही देवी देव को अवतरण करने की शक्ति होती है,गुरु और देवी एक ही होते है,इनमे कभी भेद नहीं होता है,तो सदा गुरु के कहे अनुसार चलना चाहिए,तब पूर्णिमां माँ की भी कृपा मिलती है।तो यह उदाहरण है गुरु जी व पूर्णिमां के चमत्कार का।
तो आओ भक्तो चैत्र पूर्णिमां को प्रेम पूर्णिमा व्रत,जो कि पतियों के द्धारा अपनी पत्नियों ओर सन्तान के सभी सुखों ओर प्रेम की प्राप्ति के लिए 19-अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को पांचवीं बार मनाया जाएगा,आप भी हम सबकी तरहां अवश्य मनाये..
जय सत्य ॐ सिद्धाये नमः
यहाँ दिए चित्र में भक्त-मोहित जादोन और उनकी पत्नी शालू जादोन व्रत मनाते हुए।आप भी मनाये!!
!!जो करे अपनी पत्नी से प्यार!!
!!वो प्रेम पूर्णिमां व्रत मनाये हर बार!!
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
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