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Home / Breaking News / माँ पूर्णिमाँ देवी के चमत्कार की सच्ची गाथा (भाग-2) माता पूर्णिमाँ देवी के व्रत को महिमा, और भक्तों के साथ हुए चमत्कार को कथा भक्ति में शक्ति की कहानी सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज की जुबानी

माँ पूर्णिमाँ देवी के चमत्कार की सच्ची गाथा (भाग-2) माता पूर्णिमाँ देवी के व्रत को महिमा, और भक्तों के साथ हुए चमत्कार को कथा भक्ति में शक्ति की कहानी सद्गुरु स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज की जुबानी

माता पूर्णिमाँ देवी के व्रत व उनके चमत्कार की गाथा का यह भाग 2 है। माता पूर्णिमाँ देवी कैसे भक्तों के जीवन में बदलाव ला देती हैं यह खुद भक्तों की जुबानी जानिए।

पूर्णिमां देवी व्रत महिमा और उनके भक्ति शक्ति के भक्तों संग सच्ची चमत्कार कथा-“2”:-

कैसे महावतार सत्यई पूर्णिमां का सदा सुखी रहने वाला वरदान की प्राप्ति करके,आप पर किसी भी प्रकार का ग्रह या काल,पितृ, ग्रहण,शाप आदि दोष हो,वो क्षमा होकर आपको ओर आपके परिजनों को संतान, शिक्षा,नोकरी,कर्ज से मुक्ति,स्वास्थ लाभ,उन्नति,ग्रहस्थ,विवाह सुख,शांति,वैभव,प्रेम और सदमार्ग की प्राप्ति होगी…

[चैत्र पूर्णिमां को प्रेम पूर्णिमा व्रत,जो कि पतियों के द्धारा अपनी पत्नियों ओर सन्तान के सभी सुखों ओर प्रेम की प्राप्ति के लिए 19-अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को पांचवीं बार मनाया जाएगा,आप भी अवश्य मनाये]

मैं शिवकुमार “गुल्ला भाई” पेंटर के कार्य का ठेकेदार हूँ और गुरु जी सत्य साहिब जी से विवाह पूर्व युवास्वथा से जुड़ा हूँ ,वर्तमान में मेरे दो पुत्र और एक पुत्री शिवानी और पत्नी राजकुमारी देवी है।परन्तु मैं अपने व्यवसाय और बच्चों में शिक्षा को लेकर बड़ा चिंतित रहता था,यूँ तो अब भी हूँ क्योकि संसारिक चिंताएं कभी समाप्त नही होती है,चूँकि गृहस्थी के दायित्त्व बहुत होते है।विशेषकर दैनिक आय और व्यय वाले के साथ तो ज्यादा अनिश्चितता होती है।यही मेरे जीवन में घटित हो रही थी की-मैने गुरु जी से इस विषय में अनुरोध किया।वे बोले ठीक है-तू-पूर्णिमां देवी का आने वाला चैत्र पूर्णिमां का प्रेम पूर्णिमां का महाव्रत करना और व्रत रखकर खीर बाँटना।यही शीघ्र ही तेरी सभी समस्याओं का समाधान करेंगी।और यही हुआ-मैने आश्रम में स्थापित श्रीभगपीठ पर हुए चैत्र की प्रेम पुर्णिमाँ का व्रत अपनी पत्नी के लिए श्रद्धा और उत्साह से रखा और इस विषय में मेरे व्रत रखने को लेकर
मेरे अनेक मित्रों और परिचितों ने प्रबल व्यंग करते हुए,मुझे कहा की-अरे अब अपनी लुगाई को व्रत रखेगा? हम तो बिलकुल नहीं रखेंगे।मेरे साथ मेरा कार्यकर्ता छोटू भी था,वह भी गुरु जी और पूर्णिमां देवी का भक्त है,तब मेने उनसे कहा की-हमारे और हमारे बच्चों के लिए क्या सभी व्रत केवल हमारी पत्नियों को ही रखने का जिम्मा है?
क्या हमारा अपने बच्चे और पत्नी से प्रेम नहीं है?
क्या पत्नी हमारे सभी सुख और विशेषकर दुःख में हमारा साथ नहीं देती ?


भई ये क्या बात हुयी? की-भोग और मजे को पत्नी और अपने कष्ट और बच्चो के दुखों के निवारण को हमारी वहीं बीबी? जिसे तुम अपने आनन्द को भोगते हो?
क्या तुमने पत्नी केवल अपने भोग और दासी बना कर अपनी नोकरी करने को ब्याह कर लाये हो?
ऐसी अनेक प्रबल मेरे कहने को सुन कर उस व्यक्ति सहित अनेक अन्य पुरुष लोग भी सकते में आ गए और चुप रहे।सोचने में लगे देख-मैं फिर बोला की-चलो-
अभी हम सब घर चलते है! और यही बात जो तुमने मुझसे कही है की-अब क्या लुगाई को व्रत रहेंगे? जाकर उसी लुगाई के सामने ये कहना?? इसके बाद जो तुम्हारी पत्नी से उत्तर मिलेगा,वो भी सुन लेंगे।


ये सुन सब बोले की-गुल्ला भाई-तू सही कह रहे हो।हमे कहीं जाने की जरूरत नहीं है और ना अपनी पत्नियों से इसका उत्तर पाना है और क्यों पाये? क्या हमे नही दीखता ये सच?
अब आपकी सभी बातो से हमे भी पूर्णिमाँ माता का चैत्र का प्रेम पूर्णिमाँ व्रत रखना है।आओ उसकी तैयारी हमे बताओ और उसे अवश्य पूरा करेंगे।।
ये सब सुन मैं बोला की-ये प्रश्न पहले मेरे मन भी थे और इसका उत्तर श्री गुरु देव ने ही दिया,जो मेने यहाँ कहा है।

आओ पूर्णिमां देवी का व्रत विधि बताता हूँ जो की इस प्रकार से है:-

इसी दिन ईश्वर पुरुष ने अपनी प्रेम पत्नी ईश्वरी व अपनी संतान के लिये सवर्प्रथम व्रत रखा जो प्रेम पूर्णिमाँ व्रत कहलाता है, जैसे स्त्री अपनी पति संतान की मंगल कामना के लिया कार्तिक माह में करवा चौथ व्रत रखती है वैसे ही ये व्रत भी निम्न प्रकार से किया जाता है कि पूर्णिमा की दिन पुरुष निराहार रहकर प्रेम पूर्णिमाँ देवी के सामने घी की अखंड ज्योत जलाए व एक सेब जो ईश्वर ने सवर्प्रथम दिव्य प्रेम फल उत्पन्न किया था जिसे खा कर ही आदम हव्वा में ग्रहस्थी जीवन जीने का काम ज्ञान हुआ था उस दिव्य फल सेब में ‘एक चांदी का पूर्ण चंद्र लगाए और पूजाघर में रख दे शाम को उसकी पत्नी उस सेब को अपने मुँह से काट कर भोग लगाकर पति को देगी जिसे खाकर पति अपना व्रत पूर्ण करेगा तथा दो प्रेम डोर जो सात रंग के धागों से बनी हुई है वो पति पत्नी एक दूसरे के सीधे हाथ मे बांधेंगे ये प्रेम डोर सात जन्मो के प्रेम का प्रतीक है और जो पुरुष अभी विवाहित नहीं है और जिन पुरुषों की पत्नी स्वर्गवासी हो चुकी है, वे ब्रह्मचारी अविवाहित युवक व विधुर पुरुष अपना सेब व चांदी का बना भिन्न चन्द्रमा प्रेम पूर्णिमाँ देवी को शाम पूजन के समय भेंट कर अपनी एक प्रेम डोरी देवी के सीधे हाथ की कलाई में बांधेंगे और एक अपने सीधे हाथ की कलाई में बांधेंगे व देवी को खीर का भोग लगाकर शेष खीर और सेब खाकर व्रत खोलेंगे जिससे अविवाहितों को भविष्य में उत्तम प्रेमिक पत्नी की प्राप्ति होगी व विदुर पुरुषों को उनके आगामी जन्म में मनचाही प्रेम पत्नी की प्राप्ति होकर सुखी गृहस्थी और उत्तम संतान की प्राप्ति होगी यो यह प्रेम पूर्णिमाँ व्रत प्रतिवर्ष मनाया जाता है,
!!जो अपनी पत्नी से करे प्यार, वो ये व्रत मनाये हर बार!!

यो सभी पुरुष अवश्य इस व्रत को मनायेंगे।।
इस व्रत से लाभ-अकाल ग्रहस्थ सुख भंग होना, प्रेम में असफलता, संतान का नही होना,संतान का सुख,कालसर्प दोष,पितृदोष,ग्रहण दोष आदि सभी प्रकार के भंग दोष मिट जाते हैं।।
आप सभी पुरुष इस सनातन पूर्णिमाँ व्रत को अपनी पत्नी की सार्वभोमिक उन्नति और ग्रहस्थ सुख और भविष्य की उत्तम पत्नी की प्राप्ति व् सुखद ग्रहस्थ सुख प्राप्ति के लिए अवश्य मनाये।।
*तथा जो भी मनुष्य स्त्री हो या पुरुष वो किसी भी नवग्रह के दोषों से किसी भी प्रकार की पीड़ा पा रहा हो वो यदि कम से कम एक वर्ष की 12 पूर्णिमासी को ये दिव्य कथा पढ़ता और सुनता हुआ 12 व्रत रखता और सवा किलों की खीर बना कर गरीबों को और विशेषकर गाय व् कुत्तों को भर पेट खिलाता है तो उसके सर्वग्रह दोष समाप्त होकर सभी शुभ सफलताओं की प्राप्ति करता है व् इष्ट और मंत्र सिद्धि की प्राप्ति होती है।।

यो मेने भी ये सब व्रत विधि संग किया और देवी कृपा हुयी और गृहस्थी में जो भी सन्तान और आय सम्बंधित व्यवधान थे,उनका सहजता से समाधान होता चला गए।मेरे कार्य में भी प्रगति हुयी और अब मैं लगभग इस और काफी हद तक सन्तुष्ट हूँ और देवी पूर्णिमां से नित्य प्रतिदिन कृपा द्रष्टि बनाये रखने की प्रार्थना करता हूँ।साथ ही गुरु देव स्थापित सत्य शनिदेव सिद्धपीठ पर शनिवार को रात्रि में भक्तों के जाने के उपरांत मन्दिर बन्द होने तक यथायोग्य सेवा देता हूँ।चारों नवरात्रि-चैत्र-ज्येष्ठ-क्वार-माघ को हम सभी भक्त मिलकर अखण्ड जप यज्ञ करते है।और गुरुदेव सहित देवी पूर्णिमां की सदा कृपा पाता हूँ।यो आप भी पाये।ये सुन कहा-गुल्ला भाई हम भी आज और अभी से पूर्णिमाँ माता का ये व्रत 19 अप्रैल 2019 शुक्रवार को अवश्य करेंगे।और तब सभी ने ये सुन कर श्रद्धा से जयकारा किया-

!!जय जय पूर्णिमां माता!!
!!तेरा जन्म जन्म का नाता!!
!!हम आये शरण में तेरी!!
!!माँ धयायै करें जगराता!!

और भक्तों आप भी अवश्य करें और “”मनवांछित प्रेम”” की प्राप्ति और गृहस्थी में भी सभी सुख पाएं।।

नीचे चित्र में शिवकुमार गुल्ला भाई और उनकी धर्म पत्नी श्रीमती राजकुमारी पूर्णिमां व्रत मनाते और गुरु सत्यसाहिब जी का आशीर्वाद पाते हुए..

चैत्र पूर्णिमां को प्रेम पूर्णिमा व्रत,जो कि पतियों के द्धारा अपनी पत्नियों ओर सन्तान के सभी सुखों ओर प्रेम की प्राप्ति के लिए 19-अप्रैल 2019 दिन शुक्रवार को पांचवीं बार मनाया जाएगा,आप भी अवश्य मनाये..

सद्गुरु स्वामी श्री सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
www.satyasmeemission.org


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