भारतीय व् विश्व ज्योतिष में बुध ग्रह के देव बुध देव है।और बुध देव मृदुल और तार्किक स्वभाव के, शास्त्रज्ञ व् नवीनता प्रिय स्वतंत्र दर्शन और चिंतन के दाता और प्राचीन प्रचलित धार्मिकता में जब रूढ़िवादिता आ जाती है,उसके नवीन शोधक और एक हरे वर्ण वाले कहलाते हैं।सभी प्रकार के धनिक और व्यापार और वकालत में उच्चता व् लेखन,पुस्तक प्रकाशन आदि व्यवसाय पर इन्हीं का शासन है। उन्हें कमल, कृपाण, फ़रसा और ढाल धारण किये हुए दिखाया जाता है और इनकी सवारी पंखों वाले सात सिंह बताते हैं। एक अन्य रूप में इन्हें राजदण्ड और कमल लिये हुए उड़ने वाले कालीन के साथ या सिंहों द्वारा खींचे गए रथ पर आरूढ दिखाया गया है।
बुधदेव का शासन बुधवार दिवस पर रहता है।बुध देव गुरु ब्रह्स्पति और तारा के पुत्र है।और विवादस्त कथाओं में ये चन्द्रदेव और तारा के अनैतिक प्रेम से जन्में पुत्र है।ये देवताओं के राजकुमार भी है।
बुधदेव का विवाह वैवस्वत मनु की पुत्री इला से विवाह किया। इला से प्रसन्न होकर मित्रावरुण ने उसे अपने कुल की कन्या तथा मनु का पुत्र होने का वरदान दिया। कन्या भाव में उसने चन्द्रमा के पुत्र बुध से विवाह करके पुरूरवा नामक पुत्र को जन्म दिया। तदुपरान्त वह सुद्युम्न बन गयी और उसने अत्यन्त धर्मात्मा तीन पुत्रों से मनु के वंश की वृध्दि की जिनके नाम इस प्रकार हैं- उत्कल, गय तथा विनताश्व।
ज्योतिष शास्त्र में बुद्ध को एक शुभ ग्रह माना जाता है। किसी हानिकर ग्रह या अशुभकारी ग्रह के संगम यानि युक्ति से यह हानिकर फल देने वाले भी हो सकते है। बुध मिथुन एवं कन्या राशियों का स्वामी ग्रह है तथा कन्या राशि में उच्च भाव में स्थित रहते है तथा मीन राशि में नीच भाव में रहते है। यह सूर्य और शुक्र के साथ मित्र भाव से तथा चंद्रमा से शत्रुतापूर्ण और अन्य ग्रहों के प्रति तटस्थ रखते है।बुध ग्रह बुद्धि, बुद्धिवर्ग, संचार, विश्लेषण, मनो चेतना, त्वचा और स्नायु सबलता और निर्बलता, विज्ञान, गणित, व्यापार, शिक्षा और अनुसंधान का और दिव्य स्वतंत्र प्रेम और उसके लेखन कवित्त्व व् अविवाहित रहते हुए,स्वतंत्र विपरीत लिंगियों से सम्बन्ध रखने और उससे प्राप्त सक्रिय ब्रह्मचर्य के प्रतिनिधित्व कर्ता है। सभी प्रकार के लिखित शब्द और सभी प्रकार की भौतिक और सूक्ष्म शरीरी व् कल्पना की उड़ान यात्राएं बुध के अधीन आती हैं।
बुध तीन नक्षत्रों के स्वामी है, अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती (नक्षत्र)। हरे रंग, धातु, पीतल और रत्नों में पन्ना बुद्ध की प्रिय वस्तुएं हैं। इसके साथ जुड़ी दिशा उत्तर है, मौसम शरद ऋतु और तत्व पृथ्वी है।
और बीज मंत्र-ब्रां है।
!!🌹बुधदेव स्तुति🌻!!
हे-बुद्धि वाणी अधिपति..
हे-शास्त्रार्थ विजयिदाता देव..
हरित प्रकति प्रसन्न सुखकर्ता..
नमो नमन बुध भक्त स्वमेव..
हे-सिंह सवारी इलापति..
कमल कृपाण अस्त्रधारी..
हे-राजदंड बुद्धिमता अखंड
दिव्य प्रेम दात्रै शास्त्र मार्तंडधारी..
ओ-बावन अक्षर नाँद उद्धभी
हे-पुरुरवा पिता मनु वंशी..
हे-मंत्रराज नवज्ञान के दाता
अनहद मधुर धुन बंशी..
ओ-त्रिकाली ब्रह्म विद्याली
खोलो मेरी बध्य शक्ति..
प्रज्ञा प्रभा बुद्धत्त्व दाता
स्वतंत्र आत्म शुद्धा भक्ति..
हे-गुरु पुत्र तारा के अंशी
चंद्र चंद्रिका प्रेम प्रकाश..
ब्रां मंत्र रत्न पन्ना
भक्त करो कृपा सुखरास..
स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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