खैर हम किसी के “जोश” पर सवाल नहीं उठा रहे हैं या किसी को गलत सही नहीं बोल रहे हैं। यहां सवाल उन 42 परिवारों का हैं जिनके चिराग बुझ गए। सवाल उन 42 शहीदों का है जो बिना जंग के पाकिस्तानी कायरों का निशाना बन गए।
हमारा असल मुद्दा है कि नापाक पाकिस्तानी और कश्मीरी आतंकियों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि उनकी आने वाली नस्लें भी याद रखें।
जब बिना किसी जंग के हमारे सैनिक शहीद हो रहे हैं तो क्या हमारी सेना को एक बार पाकिस्तानी आतंकियों को सबक सिखाने की छूट नहीं मिलनी चाहिए?
जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की कायराना हरकत, फिदायीन हमले में लगभग 42 जवान शहीद 25 घायल।
5 साल में देश में यह 12वां बड़ा आतंकी हमला था, अब तक इनमें 136 जवान शहीद हुए है। लेकिन हम सिर्फ उरी-उरी करते रह गए। हम हर बार पाकिस्तान को सबूत दिखाते हैं और नापाक पाकिस्तान हर बार उन्हें नकार देता है। इतना ही नहीं हमने सबूत दिखाने में इतनी हद कर दी कि पाकिस्तानी जांच दल के अधिकारियों को अपना महत्वपूर्ण एयरबेस तक दिखा डाला।
भारत ने पठानकोट एयरफोर्स बेस पर आतंकी हमले की जांच के लिए पाकिस्तान में गठित संयुक्त जांच दल (जेआईटी) के 5 सदस्यों का वीजा जारी कर उन्हें वाकायदा अपना पूरा एयरबेस दिखाया, जबकि भारत ने पाकिस्तान को पहले ही पर्याप्त सबूत सौंप दिए थे, लेकिन बाबजूद इसके हम पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकत के सबूत दिखाते रह गए।
आपको बता दें कि पठानकोट हमले के लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया गया था। और इसके सबूत भी मिले थे।
पाकिस्तान आतंकवादियों का जनक है। और वो उन्हें संरक्षण के साथ-साथ पूरी सुरक्षा की गारंटी भी देता है तभी तो पाकिस्तान हर आतंकी हमले के बाद अपने आतंकियों को क्लीनचिट दे देता है।
न जाने वो कौनसा दिन होगा जब पाकिस्तानी आतंकियों को सबक सिखाया जाएगा। हम इजरायल-इजरायल चिल्लाते हैं उसकी बढ़ाई करते हैं लेकिन क्या हम इज़राइल के इर्दगिर्द भी ठहरते हैं?
पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से ऐसे कभी बाज नहीं आएगा जब तक कि उसे ऐसा सबक न सिखाया जाए कि वो जन्मों-जन्मों तक याद रखे। एक बार फिर साल 1971 को दोहरा दिया जाए, नहीं तो 10-15 सर्जिकल स्ट्राइक कर दी जाएं जैसे अमेरिका करता आया है।