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प्रिय प्रधानमंत्री, देश को शर्मिंदा न करें, वरिष्ठ पत्रकार एसएन विनोद जी कमल से

भारत!
महान भारत!!
विश्व गुरु भारत!!!
इसका प्रधान सेवक,अर्थात् प्रधान मंत्री,इतना “बौद्धिक दरिद्र “कैसे हो सकता है?इतना अशिष्ट कैसे हो सकता है?सवा सौ करोड़ से अधिक की आबादी को मूर्ख समझ स्वयं को ‘महाज्ञानी ‘ अवतार के रुप में प्रस्तुत कर पूरे संसार में भारत को उपहास का पात्र बनाने वाले प्रधान मंत्री मोदी की ताजा ‘समझ ‘से प्रत्येक भारतवासी शर्मिंदा हुआ है ।लोकतंत्र शर्मिंदा हुआ है।
लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत,शनिवार 19जनवरी को कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में,मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आह्वान पर ‘महारैली’ का आयोजन हुआ ।पूरे देश के लगभग दो दर्जन विपक्षी दलों के लगभग इतने ही नेता मंचासीन हुए।मैदान में,निर्धारित समय से घंटो पूर्व ही लाखों लोग उपस्थित।विशाल जन समुदाय …..कर्ण भेदी करतल ध्वनी!
1977के बाद पहली बार 2019में एकजुट विपक्ष का शक्ति-प्रदर्शन!तब लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में,तत्कालीन प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी के कथित कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ विपक्ष एकजुट हुआ था ।इतना समर्पित कि तब सबसे बड़े विपक्षी दल भारतीय जनसंघ ने अपनी पहचान,नाम -झंडा-चुनाव चिन्ह,तक का त्याग कर डाला था।समर्पण और कटिबद्धता की पराकाष्ठता!
अब?
विडंबना दर विडंबना!
उसी महान जनसंघ की पृष्ठभूमि वाले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कथित कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘संपूर्ण क्रांति’ सदृश आह्वान?
लेकिन ऐसा हुआ।और हुआ एक मजबूत लोकतंत्र व जागरुक जनता की मौजूदगी को चिन्हित करता हुआ।
क्या इस घटना विकासक्रम का अभिनंदन नहीं होना चाहिए?
किन्तु,हमारे प्रधान मंत्री ने पूरे के पूरे आयोजन को ही ‘जन-विरोधी ‘ निरुपित कर डाला।सत्तारूढ़ दल के प्रमुख नेता के रुप में उनकी टिप्पणी/बयान को स्वीकार भी किया जा सकता है।लेकिन,प्रधान मंत्री के रुप में उनके इस कथन को कि,” प.बंगाल में भाजपा का एक MLA है,लेकिन वहाँ बीजेपी से बचने के लिए,पूरे हिंदुस्तान के सारे लोग इकट्ठे हुए हैं।एक MLA वाली पार्टी ने उनकी नींद हराम कर दी है .. “, किस कसौटी पर कसा जाये?
क्या ममता बनर्जी ने लगभग दो दर्जन दलों के साथ महा गठबंधन का आगाज़ एक MLA के भय से किया था?राजनीति का ककहरा सीखने वाला भी कह देगा कि ‘नहीं ,ये गलत है ।प्रधान मंत्री गलत बोल रहे हैं!’
प्रिय प्रधान मंत्री जी!
भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है ।और,ये हमारा लोकतंत्र ही है जहाँ जनादेश का आदर करते हुए शांति पूर्ण सत्ता-परिवर्तन होते रहे हैं।आज,अगर आप प्रधान मंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं,तो इसी मजबूत लोकतंत्र के कारण ।कृपया इसे हास्यास्पद न बनायें!विपक्ष का आदर करते हुए उन कारणों की पड़ताल करें,जिसने विपक्षी दलों को कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में एक मंच पर आने को मजबूर किया-लाखों लोगों को उपस्तिथि दर्ज कराने प्रोत्साहित किया?
स्वयं को हास्यास्पद साबित कर महान भारत को उपहास का पात्र न बनाएं!
दोहरा दूँ,आपके एक MLA के भय से संपूर्ण विपक्ष एक मंच पर एकत्रित नहीं हुआ था।असली कारण से तो आप स्वयं वाकिफ़ हैं!उन पर आवरण डाल,स्वयं को अनावृत न करें!भारत का एक-एक बच्चा समझदार है!

वरिष्ठ पत्रकार, श्री एस.एन. विनोद

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