वैजयंती माला का प्राचीन धमर्ग्रंथों में काफी बखान किया गया है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि धरा ने वैजयंती की माला श्री कृष्ण को भेंट में दी थी। यह माला वैजयंती के बीजों से बनती है। इसका उपयोग पूजापाठ के बाद इसको सिद्ध करके किया जाता है।
युद्ध में विजयी होने के उपरांत मिला उपहार और आपके धर्म और सिद्धांत की पताका या ध्वजा तथा उच्चतम या सर्वोच्चता।
वैजयंती माला को पहनने और जप करने के लाभी और महत्व:-
वैजयंती माला के सम्बन्ध में प्राचीन ग्रन्थों बहुत अधिक महिमा का वर्णन किया गया है। सबसे पहले ये वैजयंती के फूलों की माला भगवान सत्यनारायण और भगवती पूर्णिमाँ के गले में पहने हुए दर्शित है,उसके उपरांत ये भगवान विष्णु जी और लक्ष्मी जी के गले में सुशोभित होती दिखाई देती है, और इसके उपरांत इस माला को पृथ्वी देवी ने श्रीकृष्ण को प्रकर्ति की रक्षा के लिए किये उनके युद्ध के उपरांत श्रद्धा और प्रेम से उन्हें भेंट में दी थी, और तभी से श्रीकृष्ण को यह माला अत्यन्त प्रिय है। यह माला वैजयंती के बीजों से बनती है। इसे सभी प्रकार के बड़े अनुष्ठानों से लेकर सामान्य पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, तन्त्र व सात्विक साधनों में प्रयोग किया जाता है। वैसे तो हर राशि का मनुष्य इसे धारण कर सभी सुख लाभ की प्राप्ति कर सकता है। परन्तु वैष्णव सम्प्रदाय के वैष्णव भक्त व लक्ष्मी भक्तों और वैष्णों देवी भक्तों के लिए यह माला अत्यन्त श्रेष्ठ है।
और ये माला और इसके पुष्प की माला वैष्णोदेवी को बड़ी प्रिय है।क्योकि उन्हें भी भगवान राम ने उनसे आगामी जन्म में अपने नए अवतार के रूप में जन्म ले कर उनसे विवाह करने के वचन के रूप में अपने गले से उतार कर उपहार स्वरूप भेंट की थी।यो जो भक्त वैष्णों देवी की यात्रा में अपने साथ वैजयंती की माला ले जाकर उसे उनसे छुलाकर या वहां जब तक निवास करें,तब तक इस माला से जो भी इष्ट मंत्र हो उसका जप करें,और उसके उपरांत अपने गले में धारण करें तो उसका सर्वकल्याण होकर वैष्णों देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।यो अबकी वैष्णो देवी की यात्रा में अवश्य ऐसा करके मनवांछित लाभ प्राप्त करें।
माला धारण की विधि:-
यदि आप भगवान सत्यनारायण और पूर्णिमाँ या श्री विष्णु भगवान या राम जी या कृष्ण जी की आराधना करनी है,तो शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को ये उपाय करें और जिन्हें लक्ष्मी जी की कृपा साधना करनी है,उन्हें शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को स्नान-ध्यान करके ये उपाय करें:-
कि पहले 1 माला ॐ वैष्णवायै नमः का जप करें और उसके उपरांत अपने गुरु से मिला गुरु मंत्र का जप करें।यदि गुरु मंत्र नहीं मिला है या अपने नहीं लिया है,तो ये मंत्र जपे-
‘ऊं नमः भगवते वासुदेवाय’ मन्त्र का कम से कम 108 बार जाप करें, फिर किसी भगवान सत्यनारायण और पूर्णिमाँ के मन्दिर या श्री विष्णु या श्री राम या श्री कृष्ण जी के या लक्ष्मी जी के मन्दिर में जाकर वहां गरीबों को भोजन करने के उपरांत मिठाई दे।और उसके बाद इस माला को धारण करना चाहिए।
विवाह के होने में निरन्तर बांधाएं आती हो तो:-
यदि किसी लड़का या लड़की के विवाह में लगातार बाधा आ रही है तो वैजयंती माला से अपने गुरु मंत्र से जप करते हुए गुरुवार के दिन केले के पेड़ पर सत्यनारायण और पूर्णिमाँ देवी या विष्णु लक्ष्मी जी की चना हल्दी और जल चढ़ाकर पूजन करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही हर प्रकार की बाधा दूर हो जाती है और उस लड़के या लड़की का शीघ्र विवाह सम्पन्न हो जाता है।
पूर्णिमां माता के श्रीभगपीठ का पूजन से विवाह का अचूक उपाय:-
पूर्णिमाँ माता के श्रीभग पीठ पर जो भक्त वैजयंती की फूल माला या केवल वैजयंती की माला की भेंट चढ़ाता है और वहां के पुजारी से उसे अपने कल्याण को लेकर धारण करता है,तो उसका विवाह और मंगल कार्य अति शीघ्र सम्पूर्ण होता है।
किसी भी आकर्षण के लिए
श्रीकृष्ण को मोहन इसलिए भी कहा जाता है कि वे जहां जाते थे, सभी को मोह लेते थे। इसको धारण करने से शत्रु मित्रवत व्यवहार करने लगते है। वैजयंती माला को धारण करने से सम्मान में वृद्धि होती है, कार्यो में सफलता मिलती है और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
आत्म-विश्वास में वृद्धि के लिए:-
यदि बच्चों को परीक्षा से पहले भय लगता है, तो बच्चों को एक वैजयंती माला पहनाने से आत्मविश्वास में व्रद्धि का बड़ा लाभ मिलता है और उन्हें आने वाले बुरे सपनों से पीछा छुट जाता है।
मन शान्त करने के लिए:-
जिन व्यक्तियों का मन लगातार परेशान रहता है या किसी कार्य में मन नहीं लगता है तो ऐसे व्यक्तियों को अपनी मंगलवार के दिन वैजयंती माला पहनाने से मन शान्त रहता है और मन में सकारात्मक विचार आते है।
सभी प्रकार की ग्रह शांति और महादशा के अशुभ प्रभाव के निराकरण के लिए माला कैसे धारण करें:-
शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले पुष्य नक्षत्र को अपने कलेंडर में देख ले की-वो कब पड़ रहा है,तब उस पुष्य नक्षत्र में वैजयंती की माला खरीद कर लाये और उसे पंचाम्रत से स्नान कराकर उस माला से अब पहले अपने गुरु मंत्र का 1 माला जप करें और तब जो भी ग्रह की दशा या महादशा चल रही हो,उस ग्रह का बीज मंत्र जपे और अब अपने गले में पहन ले,
अब नित्य इसी माला से ऐसे ही करते हुए दैनिक जप किया करे,तो आपके ग्रह की महादशा आपको शुभ फल देगी।
महादशा के लाभ को कितनी माला जपनी चाहिए:-
जैसे आप पर शुक्र की महादशा 20 साल की चलती है,तो नित्य कम से कम 2 और अन्यथा 20 माला नित्य जप करनी चाहिए।
गुरु मंत्र का जप इस माला पर बड़ा उत्तम फल देता है:-
जिन भक्तों पर गुरु मंत्र है, और यदि नहीं है तो इस सिद्धासिद्ध महामंत्र-सत्य ॐ सिद्धायै नमः से जप कर सकते है,उन्हें सभी गुरु मन्त्रो की शक्ति भक्ति की प्राप्ति होगी, यो वे यदि वैजयंती माला से अपने गुरु मन्त्र का दैनिक जप करके अपने गले में पहने,तो सभी प्रकार के जन्मकुंडली में आने वाले दोष-कालसर्प दोष-पितृदोष-ग्रहण दोष-ऋण दोष और सबसे बड़ा गृहस्थ सुख भंग दोष जिससे लड़का लड़की के विवाह में जितनी भी देरी की बांधाएं आ रही है,वे जल्दी से दूर होकर शुभ विवाह की प्राप्ति होती है।और सभी दोषों में शांति मिलती है।
क्या माला को रात्रि में गले में पहने ही रहे:-
हां अवश्य पहने रहे,यदि आपको पहनने में कोई कठनाई है,तो अपनी किसी भी माला को अपने सिरहाने रख कर सोये।बस केवल पति पत्नी के रिश्ते के समय इसे उतार कर पूजाघर में रख दे और प्रातः स्नान करके पहन ले।
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और जो गले में पूरी माला नहीं पहन सकते है तो क्या करें:-
तो उन्हें अपने जन्मतिथि के अंक-जेसे आपका अंक है-1 या10 या 28 है या मानो
9 या 18 या 27-तो इतने ही वैजयंती के बीज-यानि 9 या 18 या 27 बीज ले और उन्हें एक पीले धागे में डालकर पंचाम्रत से स्नान कराकर गुरु मन्त्र और इष्ट मंत्र जपते हुए अपने गले में पहने,तो आपको अपनी राशि और अंक का सम्पूर्ण दुष्प्रभाव नष्ट होकर सभी शुभ लाभ बढ़कर मिलेगा।
राहु और केतु का अचूक उपाय:-
वैजयंती के बीज का रंग धूसर मटमैला सा होता है,यो ये राहु और केतु के सभी हानियों को मिटाने की शक्ति रखता है,यो जिन्हें राहू और केतु से सम्बंधित समस्या हो,वे अवश्य इसे पहने।
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श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
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