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कौवा के द्वारा भगवान शनिदेव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय, इससे मिल सकती है पत्रिदोष से भी मुक्ति, अपने दुखों को सुख में बदलने के उपाय : श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज

 

 

 

 

“भगवान शनि के नौ प्रिय वाहन हैं और इन सभी का अलग-अलग महत्त्व है। भगवान शनि न्याय के देवता माने जाते हैं और उन्हें कर्म फलदाता भी कहा जाता है। शनिदेव को मानने वालों के मुताबिक भगवान शनि अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं।”

 

 

श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज आज शनि भगवान की एक ऐसी ही सवारी का वर्णन कर रहे हैं। शनिदेव की नौ सवारियों में से एक सवारी कौवा भी है।

 

 

“कौवा के द्धारा शनिदेव को प्रसन्न करके कैसे शनिग्रह और पितृदोष से पाये अपने सभी दुखों को सुख में बदले:-

 

 

 

 

कौवा शनिदेव के आठ वाहनों में से एक प्रमुख वाहन है, कहीं कहीं शनिदेव के नो वाहन नवग्रह के आधार पर दिए गए है, ये भी सही है, इससे शनिदेव अष्ट सिद्धि और नवनिधि के देवा भी है, चूँकि शनिदेव मनुष्य के किये गए सभी कर्मों का परिणाम फल यानि भाग्य है, ये इनके सभी जीवों के कर्मों के फलों के ऊपर शासन है।
और कोए का रंग काला होता है और उड़कर सभी सदूर स्थानों तक जाता है और शनिदेव सभी अंधकार यानि कालरात्रि यानि अज्ञान या अमावस यानि समस्त बुरे कर्मो को अपने दंड से शुद्ध करके मनुष्य को नए कर्मो को करने की और प्रेरित करते है,और सभी नीच से उच्च तक किये कर्मो को एक ही आँख से देखते है,यो कौवा में इसी एक आँख से देखने के गुण से उन सभी मनुष्य रूपी पितरों के कर्मो का “वाहक का पक्षी” रूप होने से इस कौवे को पितरों के पास तक उन्हें मिला भोजन आदि का भावना रूपी संदेश देने का अधिकार है,यो ये कौवा पितृदोष और श्राद्धों में सभी पितरों को रखकर किये कर्मों को उन तक पहुँचाने का वाहक है और विशेषकर अमावस के दिन पे भी इसे अधिकार मिला है।यो जो कौवे को नित्य भोजन खिलाता है और विशेषकर शनिवार को और अमावस को तो उसे पितृदोष के ऋण से बड़ी भारी मुक्ति और शांति मिलती है।

प्रत्येक शनिवार को कौवे को अवश्य घर में जो बने खाने को श्रद्धा पूर्वक दे।
वेसे शनिवार को यदि चावल उबालकर उसका पिंड बनाकर कौवे को जिमाये,तो अधिक लाभ मिलता है। अन्यथा जो बने वो खिलाये।
शनिदेव की ढैया और साढ़े साती और शनि की महा दशा की पीढ़ा से बड़ी राहत मिलेगी और शनिदोषों से मुक्ति मिलकर बड़ा शुभ लाभ होगा।

कौवा शनि ग्रह के सभी उपायों में श्रेष्ठ भी है।
और पितृदोष का निदान भी है।
आओ कुछ और भी बातें कौवे के विषय में आपको बताऊँ:-

कौवे की ये विशेषता है कि-
जिस दिन किसी कौए की मृत्यु हो जाती है उस दिन उसका कोई साथी भोजन नहीं करता है।

कौवा की कांय कांय ताने-आपके जीवन की दैनिक शुभ अशुभ राय जाने:-

प्राचीन सामाजिक मान्यता है क‌ि- कौए में अद्भुत रहस्यमयी दैविक शुभ और शैतानी अशुभ शक्त‌ि होती है।और ये आने वाले समय को पहले से भांप लेता है। इसल‌िए संसार भर के सभी धर्म और सभी समाज में पीढी दर पीढी कौए के शुभ और अशुभ शगुन पर बड़ी भारी चर्चा होती रही है।

विश्व भर के सभी ज्योतिष और शकुनशास्‍त्र में भी कौओं से जुड़ी अनगिनत बातों का उल्लेख क‌‌िया गया है। आइए देखें क‌ि- कौए कि कांय कांय से आपको कौन से शुभ अशुभ दैनिक जीवन की राय मिलती है और उसका उपाय क्या है ?..

1-यदि आप घर की छत या लोन में बेठे है और पास के किसी बिजली के तार या किसी पेड़ या किसी छजली पे बेठा कौवा आपको देखते हुए अपनी गर्दन की इधर उधर हिला रहा हो,तो ये संकेत आपकी कोई भी तत्कालिक योजना या यात्रा हो उसके करने के प्रति मना कर रहा है,उसे टाल देने में भी आपकी भलाई है।और आगे की और गर्दन हिलाते हुए ऐसा संकेत कर रहा हो की-जेसे कौवा आपकी और आना चाहता है।और बेसुरी चींख निकाल रहा हो,तो आप पर बड़ी भारी विपदा आने वाली है।

2-यदि कौआ का झुंड आकर आपके घर की छत पर या मुंडेर पर शोर करे और साथ ही उनमें कोई दो आपस में लड़ने लगे तो यह संकेत है की-आपके घर परिवार की परस्पर या किसी रिश्तेदार के आने या उसके यहाँ जाने पर किसी भी सामान्य बात पर झगड़ा बढ़ जायेगा या आपके और आपके घरवालों के प्रति बड़ी भारी बुराई हो रही है,जो शीघ्र ही आप तक आने वाली है।

3-दोपहर से पहले यद‌ि पेड़ पर बैठे कौए का स्वर पूर्व या उत्तर द‌िशा से सुनाई दे, तो यह संकेत है कि-आपका द‌िन शुभ और लाभप्रद रहेगा। साथ ही अपनी स्‍त्री या बेटी या बहिन को किसी भी सुख की प्राप्ति होगी।

4-यदि आपकी घर की छत पर आकर कौआ अगर दक्ष‌िण दिशा की ओर मुंह करके बोले तो यह बड़ा भारी अशुभ संकेत माना जाता है। इससे आपके घर में क‌िसी को भी मृत्युतुल्य कष्ट का सामना करना पड़ता है।और यदि कोई रोगी है,तो उसका रोग बढ़कर अस्पताल में भर्ती हो जाने का योग बन जायेगा।

5-यदि आप कहीं जा रहे हों और रास्ते में कौआ क‌िसी बर्तन में पानी पीते हुए ‌द‌िख जाए तो यह शुभ संकेत है क‌ि – आपको उस यात्रा में जाने से धन लाभ या बड़ी अच्छे स्तर की बचत का लाभ भी म‌िलेगा, और ज‌िस काम से जा रहे हैं, उसमें भी लाभ के साथ सफलता म‌िलेगी।

5-यदि कौआ कहीं बैठकर मुंह में रोटी या मांस का टुकड़ा ल‌िए नजर आए तो, यह इस बात का शुभ संकेत है क‌ि-आपकी कोई सोची बड़ी मनोकामना पूरी होगी।

6-यदि कोई कौआ उड़ता हुआ अचानक आपके ऊपर शरीर पर किसी भी अंग पर बीट कर दे, तो यह माना जाता है क‌ि-आपको तुरन्त ही या कुछ समय बाद ही बड़ी भारी शारीर‌िक और मासस‌िक पीड़ा का सामना करना होगा।और अपमानित भी होना पड़ सकता है।

7-कौए का ‌‌‌क‌िसी भी व्यक्त‌ि के स‌िर के ऊपर आकर बैठना या पंजा मारना या हवा सी देता हुआ उड़ जाये, तो ये अच्छा शगुन नहीं माना जाता है। इससे अचानक रोग हो जाना या आपसे कोई व्यक्ति धन मांगने आ जाये और देने के उपरांत वो वापस नहीं करेगा एवं वेसे भी किसी न किसी रूप धन की हान‌ि होती है।पैत्रक सम्पत्ति में कम मिलने के भी योग बनते।

8-सुबह के समय कौआ उड़ता हुआ आकर आपके पांव से स्पर्श कर जाए तो, यह बड़ा की शुभ शगुन होता है। इससे जीवन में बड़ी भारी उन्नति मिलती है। धन का लाभ होता है।और किसी भी अद्रश्य शक्ति की बड़ी भारी कृपा आपको मिलेगी।ये बड़ा असाधारण दैविक योग है।

9-सुबह सुबह आप सोकर उठें ही हो वेसे ये किसी भी समय हो, और देखें क‌ि घर पर आकर कौआ कांव-कांव की रहा है, तो यह संकेत है आपके घर कोई मेहमान आना वाला है।

तब क्या करें उपाय:- जो ऊपर उपाय बताये गए है,और नित्य प्रतिदिन आप जो भी भोजन बने उसमें से एक रोटी और कुछ सब्जी और मीठा कौवे के नाम से ही निकाले और अपनी छत्त या पास में कोई व्रक्ष हो,उसके नीचे श्रद्धा से रख आये,अब चाहे उसे कौवा खाये तो अति उत्तम,अन्यथा कोई भी जीव खाये,वो भी कल्याणकारी रहेगा।क्योकि वो कोवे के ही नाम का होने से उन सभी जीवों के माध्यम से भक्तिभाव से पितरो को पहुँचेगा।
देखिये यहां कुछ तर्क है की-क्या ऐसा करने से कैसे पितरो को पहुँचेगा? तो हम अपने पितरों को स्मरण करके जब कुछ भी किसी को भी खाने को देते है,चाहे खाने वाला नहीं जानता की-आपका भाव क्या है? पर आप जानते है की-आप इस खाने के देने और खिलाने के पीछे अपने स्मरण किये पितरों को भावनात्मक तृप्ति प्रमुख भाव है।कुछ कहेंगे की-पितरों के तो हम ही अंश है,तब हम ही नहीं खा ले,हमसे बढ़िया जीवित कौन हितेषी मिलेगा।तो जाने की हमे पूर्व जन्म में किये या वर्तमान जन्म में किये अपने सगे सम्बंधियों आदि पितरों के साथ अन्याय का ही तो बुरा फल मिल रहा है,तो वो दोष हमारे खाने से नहीं मिटेगा।बल्कि किसी और की तृप्ति होने से उसके द्धारा हमे मिले तृप्ति आशीर्वाद के भाव शक्ति बल से प्राप्त होगा और ये सकारात्मक शक्ति उस नकारात्मक शक्ति को काट देगी।यो अधिक से अधिक किसी जीव और मनुष्य के साथ अपनी भूल को स्मरण करते हुए सकारात्मक कर्म करना चाहिए,यहाँ मुख्य रूप से ये अर्थ और उपाय है।यो जो दोष है,उसे स्मरण करके किया सभी शुभ कर्म हमें उस दोष को शुद्ध करके शुभ लाभ देता है।और जिससे और जिस कारण दोष हुआ है,वो स्मरण में रहने से ही वो मिटता जाता है। और अंत में हमें शुभ फल की प्राप्ति होतीं है,यो इस प्रकार के उपाय आदि करके शुभ कर्म करें।

 

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“श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज”

“जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः”


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