आज श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज तुलसी की पूजा और उसकी सेवा करने के फायदे बता रहे हैं।
तुलसी के ऐसे चमत्कारिक अचूक उपाय जो अपने न सुने होंगे और न पढ़े और जाने होंगें,जो स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब् जी द्धारा आपको पहली बार बताये जा रहे है,उन्हें श्रद्धा विस्वास से करो और मनवांछित कल्याण पाओ:-
“”तुलसी के चमत्कारिक उपाय””
तुलसी के गमले या चौबारे के चारों कोनों का चमत्कारिक उपयोग करें और पाये:-
1-मनवांछित धन लाभ।
2-मनवांछित प्रेम की प्राप्ति।
3-मनवांछित शिक्षा नोकरी व्यवसाय में सफलता।
4-किसी भी असाध्य रोग में लाभ से लेकर मुक्ति।
तुलसी का पौधा कर देता है, पहले ही आने वाली मुसीबत की भविष्यवाणी:-
आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है, तो उसका प्रभाव सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है, तुलसी के पौधा का ये गुण ऐसा है की- जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।अर्थात वो मुरझा जायेगा अथवा कितना ही प्रयत्न करने पर वो पनपेगा ही नहीं।यो तुरन्त उपाय करें।की-किसी मन्दिर से पुजारी से आज्ञा लेकर और वहाँ भगवान से प्रार्थना करके की-मैं आपके मन्दिर से तुलसी ले जा रही हूँ और तब वहां से तुलसी लाये और गंगा जल उसमे डालते हुए तुलसी लगाये और तुरन्त उसके सामने घी का दीपक जलाये और प्रसाद बांटे।तो अवश्य आप पर आई विपदा मिट जायेगी।या उसका समाधान हो जायेगा।
वास्तुशास्त्र के अनुसार तुलसी किसी दिशा में लगाये:-
तुलसी का पौधा घर में लगाते समय सबसे पहले आवश्यक ये बात सदा ध्यान रखें कि-
1-तुलसी के गमले में कोई और पौधा ना उग रहा हो।
2-तुलसी को हमेशा उत्तर और पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के दक्षिण भाग को छोड़कर तुलसी कहीं भी स्थापित की जा सकती है, क्योंकि दक्षिण दिशा में तुलसी लगाने से आपको तुरन्त ही नुकसान होने लगेगा।
भारतीय प्राचीन परंपरा:-
भारतीय प्राचीन परंपरा के अनुसार गृहस्थ जीवन में तुलसी पूजन अवश्य किया जाना चाहिए।
विशेषकर जिनकी संतान नहीं होती हो,या संतान सम्बंधित ऐसी कोई भी बांधा हो तो,पति और पत्नी द्वारा तुलसी विवाह करवाए जाने का भी विधान है।
तुलसी विवाह कब होता है:-
कार्तिक माह में शालिग्राम के साथ तुलसी विवाह कराया जाता है।
शालीग्राम की पूजा भी तुलसी के पत्ते के बगैर नहीं होती।
जब व्यक्ति के प्राण उसका साथ छोड़ रहे होते हैं उनके मुंह में भी तुलसी का पत्ता रखा जाता है।
म्रत्यु के समय तुलसी के पत्तों का आयुर्वेदिक महत्त्व:-
मृत्यु के समय व्यक्ति के गले में कफ जमा हो जाने के कारण साँस की क्रिया में अथवा बोलने में रुकावट आ जाती है। तुलसी के पत्तों के रस में कफ को फाड़ने का विशेष गुण होता है, इसलिए मृत्यु शैया पर लेटे व्यक्ति को यदि तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस पिला दिया जाये तो व्यक्ति के मुख से आवाज निकल सकती है।
और तुलसी के नीचे बैठकर की गयी एक रात्रि पूजा-और होगा आपके गुप्त शत्रुओं का विनाश-कैसे:-…पहले तो आप जब भी अपने घर में तुलसी लगाये,तो एक ताम्बे का या चांदी का या सोने का सिक्के में एक अलग से कुंदा जड़वाकर उसमें यदि ताम्बे या सोने का सिक्का बांधना है,तो लाल रेशम की डोरी पिरोकर तुलसी की जड़ में बांधे और चांदी का सिक्के में सफेद रेशम की डोरी तुलसी कई जड़ में बांधे और साथ ही एक सादा कागज पे या भोजपत्र पर अपने परिवार के सभी सदस्यों के नाम गोत्र सहित लिखकर उसे एक पन्नी में इस प्रकार से बांधे की उसमें जल नही जाये।और अब गमले में सबसे पहले एक ताँबे का नवग्रह यन्त्र रखें और फिर उसके ऊपर यदि मिल सके तो विष्णु लक्ष्मी का यन्त्र रखें और तब सिक्का जड़ में लगा तुलसी मिटटी से दबाये और तब गंगा जल मिश्रित सादा जल मिलाकर चौबारे या चोकोर गमले में लगाये।गोल गमले में तुलसी नहीं लगाये।तभी तुलसी से-अर्थ+धर्म-काम+मोक्ष के चार ग्रहस्थ धर्म का सम्पूर्ण लाभ मिलेगा।अन्यथा गोल गमले में तो सामान्य लाभ हो मिलेगा।
अब अपना मुख तुसली की इस प्रकार से करें की-आपका मुख दक्षिण दिशा की और रहे,तब सरसों के तेल का दीपक जलाये और धूपब्बती जलाये और अपनी मनोकामना तुलसी मइया से कहते हुए की-मेरे इन शत्रुओं का विनाश करो।और शत्रु विनाशक तुलसी मंत्र जपे-ॐ ह्रीं तुलसी सर्व विधन्नाशाय शत्रु विनाशाय ह्रीं फट् स्वाहा””।इस मन्त्र का जप जब तक कर सको, करें,और थोड़ी देर बिन मंत्र के ध्यान लगाकर वहां साष्टांग प्रणाम करके अपने सोने के स्थान जा सोये,तो जो भी दर्शन होंगे,वो आपको तुलसी मइया का इस सम्बंधित सन्देश होगा,फिर वेसा ही करें।
तुलसी में ऐसी शाप वरदान देनी सामर्थ्य क्यों है? जाने:-
तुलसी पूर्व जन्म में विष्णु जी की भक्त वृंदा थी जिसका विवाह राक्षसराज रुद्रांश से हुआ और वृंदा के वरदान से वो अमरता की स्थिति को प्राप्त होने लगा,ये देख विष्णु भगवान ने वृंदा का पतिव्रता व्रत भंग किया और रुद्रांश को म्रत्यु प्राप्त हुयी,तब इस छल से वृंदा ने विष्णु जी को पहले तो पत्थर होने और साथ ही ये शाप भी दे दिया की-तुम भी अपने पत्नी के वियोग को प्राप्त होंगे।तब सती होने पर उसकी राख से एक पौधा निकला. तब भगवान विष्णु जी ने कहा कि आज से इनका नाम तुलसी है और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा, जिसे शालीग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जाएगा और मैं बिना तुलसी जी के भोग स्वीकार नहीं करूंगा, तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालीग्राम जी के साथ कार्तिक मास में किया जाता है। देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है।यो तुलसी में शाप और वरदान देने की शक्ति भी है।
और तुलसी चौबारे के ये चार चमत्कारी अचूक उपाय करें:-
आओ जाने तुलसी के चारों कोनों में की गयी पूजा कैसे चमत्कारी लाभ देगी:-
मनवांछित धन लाभ के लिए चमत्कारिक तुलसी उपाय:-
1-दिशा उत्तर+पूर्व कोना-में आप घी के ज्योत जलाये तो आपको मनवांछित धन लाभ की प्राप्ति होगी।और शीघ्र ही कर्ज से भी मुक्ति मिलती जायेगी।और जिस व्यक्ति पर आपका धन फंसा हुआ है,उससे भी किसी न किसी देव योग से फिर से धन की प्राप्ति का योग बनेगा।
2-मंत्र-ॐ नमो भगवते उत्तरी तुलसी देव्यै नमः। मंत्र का घी का दीपक जला कर वहीं खड़े या बैठकर जप करें।औरअंत में अपनी मनोकामना कह कर नमन करे और स्मरण रखे की-तुलसी की और से एकदम से पीठ करके लौटे नहीं,बल्कि थोडा से पीछे को होकर जब पलटना चाहिए।
2-दिशा पूर्व+दक्षिण कोना-में तिल के तेल का दीपक जलाकर अपनी मनवांछित प्रेम के प्राप्ति की तथा यदि घर में अनावश्यक कलह बनी ही रहती है,पति और पत्नी में तनाव से अशांति और दुरी और विवाद बना ही रहता है,तो ये मनोकामना कहे और..निम्न तुलसी मंत्र का वहीं खड़े होकर 108 बार जप करें।
2-मंत्र-ॐ हरि पूर्वी तुलसी नमः।
3- दक्षिण+पश्चिम कोना-यहाँ भक्त दक्षिण दिशा का अर्थ ये नहीं लगाये की-तुलसी की पूजा दक्षिण दिशा में करने से हानि होगी,बल्कि ये तुलसी के गमले या चौबारे का एक कोना मात्र है और तीसरा धर्म फल को प्रदान करने वाला कौना है,यो इस कोने में चमेली के तेल का दीपक जलाकर अपनी नोकरी और अपने नवीन व्यवसाय की प्राप्ति की मनोकामना कहते है,108 बार तुलसी की माला( सभी उपायों में तुलसी की ही माला का उपयोग अनिवार्य है) पर ही निम्न जप करें।और जैसा ऊपर बताया था की-जप के उपरांत एकदम से पीठ नहीं फेरें।बल्कि थोड़ा पीछे को हट कर नमन करते हुए पीठ फेरें।तो अवश्य आपकी नोकरी की प्राप्ति और पद और प्रतिष्ठा की व्रद्धि और व्यवसाय में लाभ होगा।
4-पश्चिम+उत्तर कोना:-में सरसों के तेल का दीपक जलाये और निम्न मंत्र कम से कम 108 बार जपते हुए जो रोगी हो, उसके स्वस्थ के लिए अपनी प्रार्थना कहे,यदि सम्भव हो तो रोगी भी वहां बैठकर जप और तुलसी का ध्यान करें।तो अवश्य ही स्वस्थ लाभ की प्राप्ति होगी।
मंत्र-ॐ नमो सुदर्शनधारी पश्चिमी तुलसी नमो नमः।
इस जप उपरांत तुलसी मइया से प्रार्थना करके दो पत्ते उनके आशीर्वाद स्वरूप लेकर रोगी को खिला दे।अवश्य कल्याण होगा।
ये सब मंत्र तुलसी की माला पर ही जप करने है और उस मंत्र जपी माला को गले में भी धारण किया जा सकता है।
तुलसी के पास इस पोधे को छोड़कर कोई अन्य पौधा नहीं होना चाहिए,अन्यथा कोई विशेष लाभ नहीं मिलेगा :-
तुलसी के पौधे को अक्सर लोग गमले में लगाकर उसे ऐसे ही छोड़ देते है और उसके आस पास कोई दूसरा पौधा रखते है, जबकि ऐसा बिल्कुल नही करना चाहिए, तुलसी के पौधे के पास हमेशा केले का पौधा ही लगाना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार केला केलि भगवान सत्यनारायण और माता पूर्णिमाँ और श्री विष्णु और लक्ष्मी का प्रतीक है। इससे मां पूर्णिमाँ और माँ लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है, और ऐसा करने पर उस परिवार में दरिद्रता का वास नही रहता।
यदि आप भी अपने घर मे तुलसी के पौधे के पास कोई और पौधा लगाए हैं तो उसे तुरंत हटा कर केले का पौधा लगा लें और फिर देखें-इसकी चमत्कारिक धन धन्य का भरपूर शक्ति का लाभ।
“” श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येंद्र जी महाराज””
“जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः”