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जन्मकुंडली के 12 कालसर्प दोष (अंतिम भाग 6), जीवन की सारी कठिनाइयां दूर हो जाएंगी, मार्ग सुगम बन जाएंगे, स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज द्वारा बताए सूत्र अपनाकर तो देखें

 

 

 

श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज वैसे तो समय-समय पर अपने भक्तों का मार्गदर्शन करते रहते हैं लेकिन, कई बार ऐसे उपाय या ऐसे सुझाव दे जाते हैं जो जीवन में बहुत काम आते हैं। स्वामी जी जीवन के जो सूत्र बताते हैं वो न तो किन्हीं किताब में मिलते हैं और न ही कोई ज्ञानी विद्द्वान जीवन के इन अनमोल सूत्रों को बताते हैं।

 

 

श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज बहुत ही ज्ञानी और विद्धवान हैं, स्वामी जी अपनी दूरदृष्टि से लोगों के जीवन में हो रही उथल पुथल को देख लेते हैं। और उसको भांपकर ही भक्तों को उपाय बताते हैं। स्वामी जी द्वारा बताए उपाय इतने सरल और चमत्कारिक होते हैं कि जरूरतमंद को शीघ्र फायदा मिलना शुरू हो जाता है।

स्वामी जी जन्मकुंडली के रहस्यों के बारे में सभी को बता रहे हैं, साथ ही जन्मकुंडली के 12 कालसर्प दोषों के रहस्यों से भी पर्दा उठा रहे हैं। स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज अभी तक इसके पांच अध्याय बता चुके हैं यह छठवाँ और अंतिम अध्याय है जोकि बेहद महत्वपूर्ण है। कृपया सभी अध्यायों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और अपने जीवन में होने वाले बदलाव को अपनी आंखों से देखें।

कहते हैं अच्छा वक्त आने में समय नहीं लगता और बुरा वक्त मेहनत, ईमानदारी, काम करने की लगन और हौसले के आगे पस्त हो जाता है, घुटने टेक देता है। वैसे ही मंत्र स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज बता रहे हैं।

 

बारहवें घर के शेषनाग कालसर्प दोष का चमत्कारिक अचूक उपाय :-

 

अंतिम-भाग-6

-बारहवां घर-मनुष्य के समस्त व्यय यानि खर्चे, हानि, घाटे, दिवाला निकलना, सभी छोटी और विशेषकर पीढ़ीदर पीढ़ी लम्बी मुकदमेबाजी, सारे बुरे व्यसन यानि शराब पीना, धूम्रपान, ड्रग्स आदि लेने और पीने की आदत, अपने निवास और शहर से बाहर के सभी निवास और उनकी यात्रा और वहां कम या अधिक समय तक निवास से लाभ या हानि,गुप्त और प्रत्यक्ष शत्रु से सम्बन्ध और उनसे हानि,गुप्त अफवाह के फैलने से हानि,फिजूलखर्ची,अतिरिक्त और अचानक आने वाले खर्चे का ज्ञान,नेत्र और मस्तिष्क की पीड़ा और रोग और भ्रम होने वाले सपने या अन्तःप्रेरणा के सपने दिखने और मनुष्य की मृत्यु क्र बाद का जीवन-कैसा और कहाँ होगा और मोक्ष मिलेगा या नहीं या शापित जीवन मिलेगा,जैसे प्रश्नों के उत्तर इसी बारहवें घर में ग्रहों की स्थिति से पता चलता है और यदि इस घर में राहु बैठा हो तो,शेषनाग कालसर्प योग बनाता है,जो इन समस्त बातों को बड़ी हानि या लाभ देता है,यो यदि इन सभी बातों में आपको निरन्तर हानि मिल रही हो तो-आप तुरन्त ये चमत्कारिक अचूक उपाय करें और अपने जीवन में सफलताएं प्राप्त करें:-

 

-अनिर्णीत और अनिश्चित चल रहे मुकदमे और लम्बे जेल से शीघ्र छुटकारे के लिए अचूक उपाय:–

बुरे कर्मों का फल तो सभी को मिलता और भोगना पड़ता है,परन्तु यदि आपमे कुछ प्रायश्चित है तो-ये उपाय करें की-विशेषकर तो शुक्लपक्ष की अष्टमी में करें और यदि अभी मुकदमे या कारावास के विषय में आपके पक्ष में कुछ अशुभता होती दिखती है-तो आप किसी भी चतुर्थी या अष्टमी या पूर्णिमासी के दिन दोपहर को ठीक 11.40 से 12.30 के बीच और विशेष लाभ को इसी समय रात्रि में ये उपाय करें-एक स्टील का ऐसा बड़ा डिब्बा ले जिसमें आपके जेल वाले व्यक्ति की अथवा मुकदमा हो तो आपके जिन लोगों के नाम से ये मुकदमा उन सभी लोगों के पसीनें का रुमाल ले कर अपने पूजाघर में ज्योत धूपबत्ती जलाकर आराम से बैठकर ये काम करें-की एक सादा सफेद कागज पर ऊपर अपने गुरु और इष्ट का मन्त्र लिखे और उसके नीचे उन सभी मुकदमें वाले लोगो के नाम उनके गोत्र सहित उनकी माता के नाम और कब मुकदमा चला और शीघ्र छूटने की प्रार्थना लिखे और अब दो फूल वाली लौंग लेकर उसको जो भी घी हो उसमें उसके फूलों को छुलाकर उस पर अब थोडा सा गुड़ या चीनी लगाकर उसे जल रही ज्योत में थोडा सा भुनते या जलते हुए अपने गुरु या इष्ट का नाम लेकर अपनी मनोकामना कहें और उस मनोकामना लिखे कागज पर दो बताशे रखे और उन बताशों के ऊपर ये लौंग रख कर अब कागज को मोड़कर का छोटी सी तह बना दे और उसे चारों और से कलावे से अपना गुरु और इष्ट मंत्र पढ़ते हुए बांध दे,और अब इस कलावा बंधे कागज को उन सभी व्यक्तियों के रूमालों को एक दूसरे के ऊपर रख दे और उस सब रूमालों के ऊपर इस कागज को रख दे और अब सब रूमालों को एक साथ मिलाकर लपेटते हुए गांठ मार दे और अब उस स्टील के डिब्बे में धूपबत्ती घूमाते हुए शुद्ध करके उसमें ये रुमाल बंधा कागज को रख दे और ढक्कन से बन्द कर दे।और इस स्टील के डिब्बे को चारों और टेप से चिपकाते हुए बांध दे ताकि इसे कोई खोले नहीं।अब आपका चमत्कारिक उपाय तैयार है और अब इसके ऊपर एक स्टील की प्लेट रख दे और उसके ऊपर अखण्ड ज्योत जो नवरात्रियों में जलायी जाती है,उसे नो दिन के लिए जलाकर पूजाघर में जगहां हो तो ठीक अन्यथा पूजाघर के नीचे या उत्तर दिशा यानि आपके बैठने के सीधे हाथ की और रख कर ज्योति को जलने दे। अब जब नो दिन हो जाये तो मंगल और शनिवार व् अमावस और पूर्णिमा के दिन पुरे दिन की अखण्ड ज्योत इस डिब्बे पर जलाया करें और वेसे भी दैनिक पूजा करके जो ज्योत जलती बचे उसे भी इसी डिब्बे के ऊपर जलने को रख दिया करे।और तब आप शीघ्र ही चमत्कार स्वयं देखेंगे।इस लेख को थोडा पढ़ कर करेंगे तो आसानी से सब समझ आ जायेगा यो टेंशन नहीं ले बल्कि करें।इसके करने में कुछ भी भूल का कोई दंड नहीं मिलता है।बस कुछ कमी रहने पर भी पूरा लाभ ही मिलेगा।बस श्रद्धा रखकर करें तो सही। तब स्वयं होता कल्याण देखेंगे।

इससे जितनी भी इस बारहवें घर की समस्याएं है और ये शेषनाग कालसर्प दोष है,वह अवश्य ही शांत होकर कल्याणी बन सभी मनोरथ पूर्ण करेगा।
– और इसी के साथ साथ यदि ये उपाय भी करें तो अति उत्तम की-प्रतिदिन किसी भी समय और इसमें नहाने घोने तथा स्त्री के पीरियड का या घर में सोबर या सूतक फैलने आदि का बिलकुल भी विचार नहीं है,बस करने का है,यो पाव भर खीर(चावल आदि किसी की भी खीर हो) बनाकर जो भी सदस्य बारहवें घर की समस्या से ग्रस्त हो उससे या उसके फोटो से 7 बार उल्टा यानि एंटी क्लॉकवाइज उतारे और कैसे भी रंग के घर से बाहर के कुतों को खाने को पहले तो 41 दिन दे फिर मंगल-शनिवार-अमावस और पूर्णिमा देते रहने पर अति शीघ्र ही मनोरथ पूर्ण होकर अवश्य कल्याण होगा।

-विशेष:- कि किसी भी उपाय की सफलता में-1-प्रथम-आवश्यकता-2-श्रद्धा-3-नियम करने से अति सम्पूर्णता मिलती है..

2-उपाय:-

चूँकि बारहवां घर आपके किये गए सारे दान पुण्यों से कितना लाभ हुआ या वे लगे नहीं है यानि लाभकारी नहीं रहे है,ये भी बताता है,तो यो इस घर के दोषों के निवारण को आप अवश्य ये दान करें-

-1- शनिवार के दिन या पूर्णमासी के दिन,जिस व्यक्ति को समस्या हो उसके वजन के बराबर का गेहू लेकर या खरीदकर उसमें सवा किलों गेहू और लेकर उसे उस व्यक्ति से या उसके फोटो से 7 बार उल्टा उतार कर उस गेहूं में डाल दे।अथवा सवा किलों के उस उतरे गेहूं को शनिमन्दिर में शनिदेव की मूर्ति के पास रख दे और जो वजन के बराबर का गेहूँ था इसकी जगहां उतने गेहूं के रूपये लेकर व्यक्ति के हाथ से छुवाकर या उसके फोटो से 7 बार उल्टा उतार कर शनिमन्दिर के दानपात्र में चुप डाल आवें।

-फिर तीन दिन या तीसरे सप्ताह या तीसरे महीनें में ऐसे ही चीनी या गुड़ का दान करें।
-फिर तीसरे दिन या सप्ताह या महीने में किसी भी फल या मिश्रित फलों का दान करें।
तो अवश्य ही मनोवांछित कल्याण होता है।

 

-विशेष:-
कोई भी दान हो वो जितना गुप्त तरीके से किया जायेगा उतना ही फलदायक होता है।ज्यों ही आपने उसे कहा की-अरे।मेने तो ऐसा किया था,यो जाने तभी उसका फल आधा हो गया और फिर कहा तो फिर आधा हो गया और तीसरी बार में बिलकुल समाप्त हो जायेगा।
यो भण्डारा हो या दान हो सब गुप्त होते ही लाभकारी फलदायी होते है।यो कभी कहें नहीं..

(इन ज्ञान वर्द्धक लेखों को आप जितना शेयर करेंगे उतना ही धर्म पूण्य लाभ आपको प्राप्त होगा।यो तुरन्त ही अपने मित्रों को शेयर करें और पूण्य कमाए.)

 

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श्री सत्यसाहिब
स्वामी सत्येंद्र जी महाराज

 

जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः


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