श्री सत्यसाहिब स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज आज एक अतिमहत्त्वपूर्ण चीज बताने जा रहे हैं जो हमारे जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है। यूँ तो हम ईश्वर में बहुत आस्था रखते हैं
लेकिन बहुत से शुभकार्य अपनी मनमर्जी के मुताबिक कर जाते हैं। जिसकी वजह से हमारे जीवन में अशांति पैदा हो जाती है। घर से में शांति नष्ट हो जाती है, आसपास का वातावरण भी दूषित नज़र आने लगता है। अच्छे भले कार्य बिगड़ने शुरू हो जाते हैं।
स्वामी जी के अनुसार हिन्दू धर्म, हमारा ज्योतिष शास्त्र वैज्ञानिक आधारों से जुड़ा हुआ है। यहां बहुत सारे शुभकार्य शास्त्रों के आधार पर ही किये जाते हैं।
हमारे लगभग सभी तीज त्यौहार ज्योतिष शास्त्रों से जुड़े हुए हैं।
स्वामी सत्येन्द्र जी महाराज आज ऐसे ही एक आधार पर बात करने जा रहे हैं।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मुहूर्त (काल, समय) का विशेष महत्व माना गया है। मुहूर्त में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति की गणना के आधार पर किसी भी कार्य के लिए शुभ-अशुभ होने पर विचार किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार, 27 नक्षत्रों में कुछ नक्षत्रों या ग्रह संयोग में शुभ कार्य करना बहुत ही अच्छा माना जाता है, वहीं कुछ नक्षत्रों में कोई विशेष कार्य करने की मनाही रहती है।
-जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में विचरण करते हुए धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्व भाद्रपदा, उत्तरा भाद्रपदा और रेवती इन नक्षत्रों में से विचरण करता है। उन्हें “पंचक’ कहा जाता है। क्योंकि एक नक्षत्र लगभग 24 घंटे चलता है। इसी प्रकार से 5 नक्षत्र लगभग 5 दिन चलते हैं और इन्हीं 5 दिनों में से चंद्रमा का गुजरना पंचक कहलाता है। आइए देखते हैं..ज्योतिष शास्त्र इन पंचकों के विषय में क्या कहते हैं ?
-ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक 5 प्रकार के होते हैं।
आगे विशेष जानकरी जानिए कि- कौन-कौन से होते हैं-5 पंचक:-…
1-रोग पंचक : –
रविवार को शुरू होने वाला पंचक “रोग पंचक” कहलाता है। इसके प्रभाव से ये पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों वाले होते हैं। इन पंचकों में यदि किसी भी प्रकार के रोग का प्रारम्भ हुआ है, तो आप जान लीजिए कि वो अति कष्टदायक सिद्ध होगा और बड़ा खर्चा कराकर जायेगा। यहां तक कि मृत्यतुल्य कष्ट हो सकता है।
या इस काल में किसी पूर्वत चले आ रहे रोग में व्रद्धि होती है, या मृत्युकारक भी सिद्ध हो सकता है।
ऐसे में अपनी दवाइयों को जांचकर खाये और रोग के सही ज्ञान वाले डॉक्टर को ही दिखाए।
2-राज पंचक : –
सोमवार को शुरू होने वाला पंचक “राज पंचक” कहलाता है। ये पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनों में सरकारी कामों में सफलता मिलती है। राज पंचक में संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ रहता है। परन्तु कोई नवीन कार्य या योजना को इस पंचक में बनाकर प्रारम्भ नहीं करना चाहिए,अन्यथा पांच सप्ताह या माह चलकर हानि मिलेगी।
3-अग्नि पंचक : –
मंगलवार को शुरू होने वाला पंचक “अग्नि पंचक” कहलाता है। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम किए जा सकते हैं।
परन्तु कोई नया मुकदमा नहीं प्रारम्भ करें या कोई नई विवाद से सम्बंधित अर्जी नहीं डाले या वकील नहीं बदले। इस पंचक में अग्नि का भय होता है। ये अशुभ होता है। इस पंचक में किसी भी तरह का निर्माण कार्य, औजार और मशीनरी कामों की शुरुआत करना और घर में बिजली के कार्य करने में,इकट्ठी की गयी लकड़ियाँ या ईंधन में अचानक अग्नि लगने से हानि सम्भव है।
4-मृत्यु पंचक : –
शनिवार के दिन प्रारम्भ होने वाला पंचक “मृत्यु पंचक” कहलाता है। नाम से ही पता चलता है कि- अशुभ या कठोर दिन से शुरू होने वाला ये पंचक मृत्यु के बराबर परेशानी देने वाला होता है। इन पांच दिनों में किसी भी तरह के जोखिम भरे काम नहीं करना चाहिए।इन पांच दिनों में कोई व्यायाम या कठोर आसन व उच्चतर प्राणायाम का प्रारम्भ नहीं करें और नाही बहुत तेज वाहन चलाये अथवा किसी नए सीखतर व्यक्ति के पीछे बैठकर वाहन आदि न चलवाए।
इसके प्रभाव से तुरन्त विवाद, चोट, दुर्घटना आदि होने का पूरा खतरा रहता है।
5-चोर पंचक : –
शुक्रवार को शुरू होने वाला पंचक “चोर पंचक” कहलाता है। विद्वानों के अनुसार, इस पंचक में किसी भी प्रकार का भारी धन हो या नवीन खरीदा गया वाहन हो या कोई भी मूल्यवान वस्तु हो वो इस समय की यात्रा में चोरी होने के प्रबल योग है,यो यात्रा करने की मनाही है। इस पंचक में किसी भी प्रकार की चोरी गयी वस्तु के मिलने के योग असम्भव है और किसी भी प्रकार कि की गयी लेन-देन, व्यापार या समझोते तथा इस समय किये गए प्रेम वादे के टूटने के पूर्ण योग है,अर्थात किसी भी तरह के सौदे भी नहीं करने चाहिए।साथ ही आपको यदि किसी ने इस समय 5 दिनों के मध्य करने जा रहे कार्य को मना किए जाने पर भी किये गए कार्य करने से धन हानि पक्की तरहां हो सकती है।
इसके अलावा बुधवार को जीव जन्तु की खरीद नहीं करें उस जीव की हानि होगी।
और गुरुवार को अपने गुरु या किसी ब्राह्मण से कोई मन्त्र नहीं ले अन्यथा उसकी सिद्धि सम्भव नहीं है।ना ही कोई शुभ कार्य को पूजा कराये।वो पूजापाठ का फल नहीं प्राप्त होगा।
पंचक के समय में सबसे निषेध काम है- शव का अंतिम संस्कार करना:-
जी हां, पंचक के समय में यदि किसी की मृत्यु हो जाती है, तो शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। अब चूंकि पंचक तो 5 दिन लगातार चलते हैं, तो 5 दिन तक तो हम शव को नहीं रख सकते, अतः उसके लिए हमारे शास्त्रों में पंचक शांति का विधान बताया गया है।
-पंचक शांति में डॉभ यानी कुशा के पांच पुतले बनाकर शव के ऊपर एक छाती, दो हाथ और दो पैर के ऊपर रखकर विधि विधान से उनका पूजन कराने या करने के बाद ही शव का अंतिम संस्कार किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति हमारे शास्त्रों की आज्ञा का उल्लंघन करके शव का अंतिम संस्कार बिना “पंचक शांति” कराए ही कर देता है, तो उसके परिवार, गांव, पड़ोस, मित्र, बंधु या जो भी उसके निकटतम व्यक्ति हैं। उनमें से किसी की भी पांच दिनों के अंदर “पांच मृत्यु” हो जाती हैं। इस प्रकार के घटित घटना समाज में अनगिनत लोगों द्धारा देखी हुयी प्रमाणित है। अतः हमारे शास्त्रों में बताई हुई सभी बातें पूर्णतः सत्यता पर आधारित हैं।
-इन दिनों में मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति के शव पर श्मशान में जाकर तांत्रिक लोग कर्णपिशाचनी या द्रष्टि पिशाच सिद्धि की साधना करते है, इन पंचकों में मृत्यु को प्राप्त आपके परिजन की रात्रि भर अंतिम क्रिया होने तक वहां लोगों को निगरानी करने बेठना चाहिए।अथवा ऐसा नहीं कर सकते है,तो अपने घर लौटकर आने पर उस रात्रि भर उस व्यक्ति की आत्मा की शांति का संकल्प लेकर गीता पाठ अथवा गुरु नाम का जप अवश्य करना चाहिए,ताकि उसकी आत्मा किसे के बन्धन में नहीं होकर केवल सदगति को प्राप्त हो।
अन्यथा वो मृत आत्मा अतृप्ति को प्राप्त होकर आपके परिवार में पुनर्जन्म लेकर आपको ही पुनः पता नहीं क्या कष्ट देगीं।
-और इन पंचकों में मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति का अधिकतर पुनर्जन्म अधिकतर “मूल नक्षत्र” के निम्नतर अशुभ पहर में होता है।
मूल नक्षत्र का अर्थ है- मूल इच्छा की प्राप्ति।अर्थात जो भी व्यक्ति की कोई बड़ी ही प्रबल इच्छा शेष रह गयी हो,वो व्यक्ति आगामी जन्म में मूल नक्षत्र में जन्म लेगा, अब इस मूल नक्षत्र के किस चरण में ले, यहाँ उसकी इच्छा की पूर्ति में वो चरण विशेष साहयक होता है। ये एक विस्तृत विषय है।मानो कोई व्यक्ति पूर्व जन्म में किसी भी प्रकार का व्यसनी अथवा व्यभचारी रहा है,तो वो आगामी या वर्तमान जन्म में मूल नक्षत्र में जन्म लेकर अपनी उस शेष अतृप्त इच्छा को अवश्य पूरा करेगा, तभी आप देखोगे की-अरे इसके माँ बाप तो बड़े अच्छे है,संस्कारी परिवार है पर ये बच्चा कैसे व्यसनी या व्यभचारी निकला।
-पंचक का सहज उपाय:-
इन पांच दिनों में यदि आप शुभ परिणाम पाना चाहते है तो-
अपने घर के बाहर को जाते में उलटे मुख्य दरवाजे पर बाहर की और एक तेल का दीपक उनके फोटों से 7 बार उल्टा उतार कर जलाकर साय के समय रख दे,और एक कटोरी खीर बनाकर सभी परिजनों या उनके फोटो से 7 बार उल्टा उतार कर कुत्ते को खाने को दे दे, तो अवश्य ये पांचों पंचक का समय ईश्वर और गुरु की कृपा से निर्विघ्न जायेगा।
-तो पाठकों व् श्रोताओ ये पंचक में केवल पूर्वत किये जा रहे-कार्य को करे और विषेकर पूर्वत की जा रही मन्त्र जप या साधना को ही करें,हाँ उसे बढ़ा सकते है चूँकि वो पहले से ही की जा रही है यो फलित होगी। अर्थात नवीन कार्य नहीं करें।
पंचक 2018 का पूर्ण विवरण :-
-मई 2018 में 08 मई 2018 (मंगलवार)
रात्रि 09:00 PM से 13 मई 2018 (रविवार)
दोपहर 01:32 PM तक।
-जून 2018 में 05 जून 2018 (मंगलवार)
प्रातः 04:35 AM से 09 जून 2018 (शनिवार)
रात्रि 11:11 PM तक।
-जुलाई 2018 में 02 जुलाई 2018 (सोमवार)
दोपहर 11:09 AM से 07 जुलाई 2018 (शनिवार) प्रातः 07:41 AM तक।
-3 अगस्त 2018 (शुक्रवार)
दोपहर 02:2 PM से 7 अगस्त (मंगलवार)
रात्रि 11:16 PM तक।
-सितंबर 2018 में 22 सितंबर 2018 (शनिवार)
प्रातः 06:12 AM से 27 सितंबर 2018 (गुरुवार)
अर्धरात्रि 01:56 AM तक।
-अक्टूबर 2018 में 19 अक्टूबर 2018 (शुक्रवार)
दोपहर 02:03 PM से 24 अक्टूबर 2018 (बुधवार)
सुबह 09:24 AM तक।स
-नवंबर 2018 में 15 नवंबर 2018 (गुरुवार)
रात्रि 10:18 PM से 20 नवंबर 2018 (मंगलवार)
सायं 06:35 PM तक।
-दिसंबर 2018 में 13 दिसंबर 2018 (वीरवार)
सुबह 06:12 AM से 18 दिसंबर 2018 (मंगलवार)
प्रातः 04:18 AM तक।
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स्वामी सत्येंद्र सत्यसाहिब जी महाराज
जय सत्य ॐ सिद्धायै नमः
हेलो गुरु जी नमस्कार
आपने पंचक की बहुत अच्छी जानकारी दी है ,पर क्या आप हमें ये बता सकते है कि पंचक की उत्तपत्ति कैसे हुई? हमारे धर्म ग्रंथ में कौन सी कथा है इस विषय मे ? और इसका वैग्यानिक कारण क्या है? प्लीज रिप्लाई कीजिये ।
जय श्री राम
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