उन्नाव(यूपी) में लगभग एक वर्ष पूर्व एक महिला के साथ बलात्कार होता है। थाने में रपट लिखाने जाती है, चूंकि आरोपी एक भाजपा विधायक हैं, कोई कार्रवाई नहीं होती।पीड़िता अधिकारियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी गुहार लगाती है। आश्वासन मिलता है, कार्रवाई नहीं। थक-हार कर पीड़िता आत्मदाह की कोशिश करती है। किसी तरह बचा ली जाती है। आश्चर्य कि उसके पिता को पुलिस गिरफ्तार कर लेती है। थाने में उसे प्रताड़ित किया जाता है। अंततः, थाने में ही, संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो जाती है।
क्या इसे ही कानून का शासन, जनता द्वारा निर्वाचित लोकतांत्रिक शासन कहते हैं? धिक्कार है ऐसी सरकार और धिक्कार है इसके मुखिया गेरुआ वस्त्रधारी योगी पर! अब भी कह रहे हैं दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी! बलात्कर की शिकार पीड़ित रो-रो कर न्याय की गुहार लगा रही है। अस्मत खोया, पिता को खोया! ये कैसी सरकार जहां बलात्कर पीड़िता को एक साल से न्याय मिलना तो दूर, पिता को भी पुलिस थाने में मौत की नींद सुला दी जाए? सिर्फ इसलिए कि आरोपी सत्तापक्ष का रसूखदार विधायक है? तो क्या सत्तापक्ष से जुड़े लोगों को बलात्कर की छूट मिली हुई है? पुलिस को पीड़ित के परिवार के लोगों को मार डालने की आज़ादी है?आज सिर्फ उत्तर प्रदेश नहीं, पूरा देश शर्मसार है। देश का लोकतंत्र शर्मसार है कि उसके कंधों पर चढ़ कैसे-कैसे सत्ता-सिंहासन पर पहुंच गए हैं?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी! जनता के धैर्य की परीक्षा न लें! जिस दिन जनता के सब्र का बांध टूटेगा, न आप बचेंगे, न सत्ता बचेगी और ना ही सत्ता सिंहासन!
बलात्कर पीड़िता को न्याय दीजिए, आरोपी को दबोचें! वैसे नहीं, जैसे बिहार में केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के अपराधी बेटे को हंगामा होने पर दबोचा तो गया, लेकिन पुलिस ने मामला इतना “अच्छा” बनाया कि अदालत से जमानत पर बाहर।
योगी जी! जनता सब देख रही है। आप जनता के सेवक हैं, मालिक नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी खुद भी स्वयं को प्रधान सेवक बताते हैं। सो, सावधान! अगर पीड़िता को न्याय, वास्तविक न्याय, नहीं मिला, तो जनता के साथ-साथ ईश्वर के प्रकोप से भी आप नहीं बच पाएंगे!
आप तो स्वयं एक “योगी” हैं, समझ तो गये ही होंगे!
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वरिष्ठ पत्रकार श्री एस.एन विनोद