जैसे-जैसे बाबा के आश्रमों में छापे पड़ रहे हैं वैसे-वैसे बाबा की अय्याशी के राज खुलते जा रहे हैं। अय्याशी के लिए बाबा का ऐसा घिनोना काम जिसे सुनकर आप खुद चौंक जाएंगे। बाबा गरीब घरों की छोटी-छोटी बच्चियों को शिकार बनाता था। उनके माँ बाप को बहला फुसलाकर उनकी लड़कियों को आश्रम में रख लेता था इसके बाद बाबा उन बच्चियों को हार्मोन के इंजेक्शन लगाता था जिससे बच्चियां जल्दी बड़ी दिखने लगे जाएं।
बाबा के इस घिनोने काम में कई सफेदपोश इसकी मदद करते थे। और बाबा के साथ मिलकर अय्याशी करते थे।
शनिवार तड़के फर्रुखाबाद और कंपिल में बने बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रमों में 2 घंटे तक तलाशी अभियान चला। इस दौरान मीडिया को अंदर घुसने से मना कर दिया गया। बताया जा रहा है कि फर्रुखाबाद के सिकत्तरबाग में 1 लड़की और कंपिल से 40 लड़कियों को पूछताछ के लिए पुलिस ले गई है।
इन सभी के परिजनों को बुलाया गया है। पुलिस के अनुसार लड़कियों के घरवालों का बयान लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इन 41 लड़कियों में केवल 2 ही लड़कियां कंपिल की रहने वाली हैं बाकी सभी दूसरे प्रदेशों से आकर यहां रह रही हैं।
बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित से जुड़े आश्रमों में शुक्रवार को भी पुलिस ने फिर छापा मारा था। आश्रम में मौजूद आधा दर्जन महिलाओं और युवतियों से पूछा गया कितने दिन से रह रही हैं। उनके परिजनों से भी फोन पर बात की। क्षेत्राधिकारी ने बताया कि दिल्ली स्थित बाबा के आश्रम में मिलीं महिलाओं में दो बांदा की भी हैं। इन्हें बांदा आश्रम से ही दिल्ली भेजा गया था। इसी की जांच पड़ताल के लिए पूछताछ की गई है। सीओ ने स्वीकारा कि आश्रम संचालिका की भूमिका संदिग्ध है।
जांच में ठीक से सहयोग नहीं कर रही हैं। पुलिस अभी और जांच करेगी। बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के सर्वोदय नगर में चल रहे आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में पुलिस ने 20 नवंबर को छापा मारकर संचालक हेमंत राय व रेखा राय से सघन पूछताछ की थी। अगले दिन कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी कि आश्रम में कुछ महिलाओं को अवैध तरीके से रोका गया है। पुलिस अभी इसकी तफ्तीश कर रही है। हाल ही में सिविल लाइंस चौकी प्रभारी को पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की जांच में ढिलाई बरतने पर निलंबित कर दिया है।
शुक्रवार दोपहर पुलिस ने फिर इस आश्रम में छापा मारा। शहर पुलिस उपाधीक्षक राघवेंद्र सिंह, कोतवाली के एसएसआई उपेंद्र प्रताप सिंह, महिला थाना इंचार्ज अनुपमा श्रीवास्तव ने फोर्स के साथ आश्रम की देर तक जांच पड़ताल की। वहां मौजूद महिलाओं और युवतियों के बारे में पूरी जानकारी लेकर उसे दर्ज किया। उनके परिवार वालों से भी फोन पर बातचीत की।
विश्वविद्यालय संचालिका रेखा राय से भी कई सवाल किए। उनके पति हेमंत राय के बारे में पूछा। रेखा ने बताया कि वह एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं और उसी के काम से बाहर गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने आश्रम के आसपास रहने वालों से भी पूछताछ की। शुक्रवार को पुलिस की जांच के दौरान आश्रम में बांदा निवासी एक युवती की उम्र को लेकर पुलिस और आश्रम संचालिका में देर तक बहस चली। फर्रुखाबाद जिले के कंपिल थाना क्षेत्र के चौधरियान निवासी सोहनलाल दीक्षित के बेटे बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का विवादों से गहरा नाता है।
वीरेंद्र देव दीक्षित के खिलाफ अलग-अलग थाने में यौन उत्पीड़न, पुलिस से मुठभेड़ समेत अन्य संगीन धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं। कंपिल के अलावा शहर फर्रुखाबाद में सिकत्तरबाग मोहल्ले में इनका आश्रम है। बहन की शादी होने के बाद 1975 में वीरेंद्र देव का अपने पिता से विवाद हो गया। वह घर से निकल गए। 1984 में पिता की मृत्यु के बाद लौटे तो कंपिल में पैतृक जमीन पर आश्रम खोल दिया। यह आश्रम पहली बार 30 मार्च 1998 को चर्चा में आया।
इस दिन कोलकाता की युवती के माता-पिता ने कंपिल थाने में बंधक बनाकर रेप की रिपोर्ट लिखाई। पुलिस ने छापा मार युवती को आश्रम से छुड़ाया। फिर एक के बाद एक कई मामले दर्ज हुए। शुक्रवार को बांदा आश्रम में छापे के बाद यहां के आश्रमों में तोड़फोड़ की अफवाह उड़ गई। पुलिस मौके पर पहुंची तो ऐसा कुछ नहीं मिला।
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