दिलीप कुमार को अपने अभिनय के लिए फिल्म इंडस्ट्री के सभी सर्वोच्च पुरस्कार मिले। दिलीप कुमार दु:खद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजिडी किंग भी कहा जाता है। उन्हें भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियात से भी सम्मानित किया गया है। दिलीप कुमार को जन्म 11 दिसंबर 1922 पेशावर पाकिस्तान में हुआ था। दिलीप जी के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ खान है। उनके पिता मुंबई आ बसे थे, इनके 12 भाई बहन थे। इनके पिता फल बेचा करते थे, जहां उन्होंने हिन्दी फिल्मों में काम शुरू किया। उन्होंने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर दिया ताकि उन्हें हिन्दी फिल्मों में ज्यादा पहचान और सफलता मिले।
दिलीप जी ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में शादी की। विवाह के समय दिलीप जी 44 और सायरा बानो की उम्र सिर्फ 22 थीं। 1980 में दिलीप जी ने आसमां से दूसरी शादी भी की थी। लेकिन किसी कारणवंश यह शादी जल्द ही खत्म हो गई।
50 के दशक में स्टार के तौर पर स्थापित होने के बाद दिलीप जी ने 1960 में कोहिनूर फिल्म की जिसमें उन्हें एक बाहर फिल्म फिल्मफेयर अवार्ड मिला। 60 के दशक में उनकी गंगा जमुना, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम व आदमी जैसी फिल्म असफल रही। गंगा जमुना में इन्होंने अपने रियल भाई नासिर खान के साथ काम किया था। लेकिन इसके दिलीप जी के स्टारडम में कोई खास फर्क नहीं पडा।
वहीं 1960 में ही दिलीप जी ने देश की सबसे बडी फिल्म मुगल-ए-आजम में शहजादे सलीम की बेहतरीन भूमिका निभाई, जो इनके करियर की सबसे बडी हिट साबित हुई।
अभिनेता दिलीप कुमार अपनी पहली फिल्म ज्वार भाटा के असफल होने के बाद जुगनु नाम की फिल्म में काम किया यह फिल्म सुपरहिट रही, जिसके बाद दिलीप कुमार रातों रात हिन्दी सिनेमा के बडे स्टार बन गए। इस फिल्मकी सफलता के बाद दिलीप जी के पास फिल्मों के ऑफर की बाढ ही आ गई।